अबू शहमा अंसारी/ लखनऊ
लखनऊ में डॉ. अम्मार रिज़वी के निवास दारुल अमान, अलीगंज में पाँचवें अंतरराष्ट्रीय उर्दू-हिंदी विश्व सम्मेलन की तैयारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई. इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं सम्मेलन के अध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व कार्यकारी मुख्यमंत्री डॉ. अम्मार रिज़वी ने की. बैठक की शुरुआत सभी प्रतिभागियों के गर्मजोशी भरे स्वागत से हुई, जिसके बाद सम्मेलन की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा हुई.
डॉ. रिज़वी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इससे पूर्व आयोजित चारों अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन अत्यंत सफल रहे हैं और उनमें शामिल सभी सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा है. उन्होंने बताया कि इन सम्मेलनों ने न केवल उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार को नया आयाम दिया है, बल्कि हिंदी और उर्दू के बीच सांस्कृतिक एकता और साहित्यिक संवाद को भी और अधिक मज़बूत बनाया है.
उन्होंने कहा, “उर्दू और हिंदी दोनों भाषाएँ भारत की साझा तहज़ीब और गंगा-जमुनी संस्कृति की सच्ची प्रतिनिधि हैं. इनका सामूहिक विकास हमारी सहिष्णुता, आपसी सद्भाव और सांस्कृतिक एकता को मज़बूत करता है.”
बैठक में आगामी सम्मेलन के कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया. निर्णय लिया गया कि सम्मेलन का उद्घाटन ईरा मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में भव्य रूप से किया जाएगा. सम्मेलन के दूसरे दिन का अकादमिक सेमिनार लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित होगा, जबकि मुशायरा और समापन समारोह मौलाना आज़ाद इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमैनिटीज़, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, महमूदाबाद में संपन्न होंगे.
सेमिनार में उर्दू भाषा और साहित्य के इतिहास, विकास और भविष्य की संभावनाओं पर विद्वान अपने विचार प्रस्तुत करेंगे. विशेष सत्रों में संजीव सराफ द्वारा उर्दू साहित्य के डिजिटलीकरण में किए गए योगदान, पंडित रतननाथ सरशार की रचनात्मक विरासत, तथा मुंशी नवल किशोर के प्रकाशन कार्यों पर भी विस्तृत चर्चा होगी.
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सम्मेलन की स्मारिका (Souvenir) का संपादन सय्यद आसिफ़ ज़मां रिज़वी करेंगे, जबकि विद्वानों के शोध पत्रों के संकलन और प्रकाशन की ज़िम्मेदारी डॉ. मूसी रज़ा को सौंपी गई। मुशायरे के संचालन का दायित्व डॉ. मुन्तज़िर क़ाएमी को सौंपा गया, वहीं मीडिया और जनसंपर्क विभाग की ज़िम्मेदारी वरिष्ठ पत्रकार अबू शहमा अंसारी निभाएँगे.
सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए पाँच समितियाँ गठित की गईं—उद्घाटन समारोह समिति, अकादमिक सेमिनार समिति, मुशायरा समिति, सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति और मीडिया समन्वय समिति. प्रत्येक समिति के लिए सक्षम और अनुभवी सदस्यों का चयन भी कर लिया गया है.
बैठक में डॉ. मुन्तज़िर क़ाएमी, फुरकान अहमद बेग, डॉ. मूसी रज़ा, सय्यद आसिफ़ ज़मां रिज़वी, मिर्ज़ा असलम बेग सहित कई शिक्षाविद्, साहित्यकार और सामाजिक हस्तियाँ उपस्थित रहीं. सभी प्रतिभागियों ने एकमत से कहा कि हिंदी और उर्दू के इस संयुक्त सम्मेलन से न केवल भाषाई संबंध प्रगाढ़ होंगे, बल्कि यह भारत की साझा संस्कृति को विश्व स्तर पर नई पहचान देगा.
बैठक के अंत में अध्यक्ष डॉ. अम्मार रिज़वी ने सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मेलन उर्दू और हिंदी के बीच सांस्कृतिक सेतु का कार्य करेगा और भारतीय भाषाओं के वैश्विक सम्मान को नई ऊँचाई पर पहुँचाएगा. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह आयोजन भारत की गंगा-जमुनी विरासत को सशक्त बनाने में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर सिद्ध होगा.






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