हाईकोर्ट की मुहर: एएमयू की पहली महिला कुलपति बनीं प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति वैध

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-05-2025
High Court's seal: Prof. Naima Khatoon's appointment as AMU's first woman VC is valid
High Court's seal: Prof. Naima Khatoon's appointment as AMU's first woman VC is valid

 

आवाज द वाॅयस/अलीगढ़

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में ऐतिहासिक परिवर्तन की पुष्टि करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम निर्णय सुनाया. कोर्ट ने एएमयू की पहली महिला कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को पूरी तरह खारिज करते हुए उनके चयन की वैधता, पारदर्शिता और प्रक्रियात्मक शुद्धता की पुष्टि की है.

इस निर्णय से विश्वविद्यालय परिसर के भीतर अस्थिरता और कानूनी अनिश्चितता का जो वातावरण बना हुआ था, उसे अब स्थायी विराम मिल गया है.

पहली महिला कुलपति बनाकर एएमयू ने रचा इतिहास

प्रो. नईमा खातून, जो पूर्व में एएमयू विमेंस कॉलेज की प्राचार्या रह चुकी हैं, विश्वविद्यालय के 100 साल पुराने इतिहास में कुलपति के पद पर आसीन होने वाली पहली महिला बनी हैं.

उनका चयन महज एक प्रशासनिक नियुक्ति नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा में लैंगिक समानता और समावेशी नेतृत्व की दिशा में एक प्रतीकात्मक और प्रगतिशील कदम माना जा रहा है.

न्यायालय ने की चयन प्रक्रिया की विस्तार से समीक्षा

न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दोनाड़ी रमेश की खंडपीठ ने कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया की गहराई से समीक्षा की. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह नियुक्ति एएमयू अधिनियम, विश्वविद्यालय की विधियों और संबंधित विनियमों के तहत पूरी तरह वैध है. चयन प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार की अनियमितता या पक्षपात नहीं पाया गया.

विशेष उल्लेखनीय यह रहा कि कार्यवाहक कुलपति गुलरेज़ द्वारा विश्वविद्यालय न्यायालय और कार्यकारी परिषद की बैठकों की अध्यक्षता को लेकर उठाए गए सवालों को भी अदालत ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उनकी भूमिका सीमित और विधिसम्मत थी और इससे चयन की बहुस्तरीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित नहीं हुई.

राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदन को बताया निर्णायक

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि एएमयू के कुलपति की नियुक्ति का अंतिम निर्णय भारत के राष्ट्रपति, जो विश्वविद्यालय के विजिटर हैं, द्वारा लिया जाता है. न्यायालय ने कहा कि इस स्तर पर कोई दुर्भावना या अनुचित प्रभाव सिद्ध नहीं हुआ है. प्रो. खातून की नियुक्ति को सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकारी द्वारा अनुमोदन प्राप्त है, जो स्वयं में उनकी पात्रता और योग्यता की पुष्टि है.

"यह केवल मेरी नहीं, न्यायिक प्रणाली की जीत है" – प्रो. नईमा खातून

फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो. नईमा खातून ने कहा:"मैंने हमेशा भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता में पूर्ण विश्वास रखा है. यह निर्णय सिर्फ मेरे लिए व्यक्तिगत विजय नहीं है, बल्कि यह हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों की संस्थागत प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनः पुष्टि है. मैं एएमयू में ईमानदारी, पारदर्शिता और समावेशी शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए एक दृष्टिकोण के साथ कार्य करती रहूंगी. मुझे विश्वास है कि यह निर्णय सभी हितधारकों में भरोसा जगाएगा."

समापन विचार

इस ऐतिहासिक फैसले से न केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को एक स्थिर नेतृत्व मिला है, बल्कि यह उच्च शिक्षा संस्थानों में महिला नेतृत्व की स्वीकार्यता और संवैधानिक रूप से संरक्षित प्रक्रियाओं की ताकत को भी उजागर करता है. प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति न केवल एएमयू के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण बनकर उभरी है.