नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शिक्षा संकाय के शैक्षिक अध्ययन विभाग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सहयोग से 6 अगस्त 2025 को "बाल अधिकारों पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम" का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बाल अधिकारों की वर्तमान स्थिति, कानूनी ढांचे और व्यावहारिक चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श करना था।
इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण के आयोजक प्रो. कौशल किशोर, डॉ. ज़ेबा तबस्सुम, डॉ. काज़ी फ़िरदौशी इस्लाम और डॉ. समीर बाबू एम थे। इसमें शिक्षाविदों, शोधार्थियों, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भागीदारी की।
एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि बाल अधिकारों पर कानून तो हैं, पर उनका क्रियान्वयन कमजोर है। उन्होंने बच्चों को नीति निर्माण की प्रक्रिया में शामिल करने और उनकी स्वायत्तता व गरिमा को केंद्र में लाने की ज़रूरत पर बल दिया।
डॉ. काज़ी फ़िरदौशी इस्लाम ने पहले सत्र में संवैधानिक प्रावधानों और वैश्विक घोषणाओं (जैसे मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा) के आधार पर मानवाधिकारों की गहन व्याख्या की। उन्होंने इसे न्याय, समानता और वैश्विक चेतना से जोड़ा।
नीलम सिंह द्वारा संचालित इस सत्र में संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (UNCRC) और बाल श्रम अधिनियम, 1986 पर विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने भारत के कानूनी दृष्टिकोण की अंतर्राष्ट्रीय मानकों से तुलना करते हुए नीतियों में व्यावहारिक कमियों की ओर इशारा किया।
चारु मक्कड़ ने RTE अधिनियम, 2009 की व्याख्या की और कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में समान रूप से शिक्षा का अधिकार लागू नहीं हो पा रहा। उन्होंने जाति, लिंग, विकलांगता और वर्ग के आधार पर बच्चों के व्यवस्थागत बहिष्करण की ओर ध्यान दिलाया।
इस सत्र में किशोर न्याय अधिनियम, 2000 और POCSO अधिनियम, 2012 जैसे कानूनों की समीक्षा की गई। इसमें बच्चों की कानूनी समझ, मनोवैज्ञानिक विकास और संरचनात्मक हिंसा पर सवाल उठाए गए। प्रतिभागियों को केवल कानून नहीं, बल्कि न्याय की भावना से सोचने के लिए प्रेरित किया गया।
HAQ: सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स की कार्यकारी निदेशक सुश्री भारती अली ने बच्चों के लिए एक समान नीति की जगह, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों पर आधारित दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत बताई। उन्होंने भारत में बाल अधिकारों के क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण बदलावों को रेखांकित किया।