अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद अस्रारुल हक़ ने नेपाल में आयोजित मेडिको-लीगल कॉन्फ्रेंस (MELECON) 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यह प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मेडिको-लीगल सोसाइटी ऑफ नेपाल (MeLeSoN) द्वारा आयोजित किया गया था।
इस सम्मेलन में दक्षिण एशियाई देशों सहित विभिन्न हिस्सों से आए प्रमुख शिक्षाविदों, फॉरेंसिक विशेषज्ञों और मेडिको-लीगल पेशेवरों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य फॉरेंसिक मेडिसिन और मेडिकल ज्यूरिस्प्रूडेंस के समकालीन चुनौतियों और नवाचारों पर विचार-विमर्श करना था।
डॉ. हक़ ने इस अवसर पर “Unclaimed Dead in Forensic Medicine: Protocols, Problems, and the Pursuit of Justice” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने संबोधन में उन्होंने फॉरेंसिक विज्ञान के अंतर्गत अज्ञात और लावारिस मृतकों से जुड़े चिकित्सकीय, कानूनी, नैतिक और सामाजिक पहलुओं को विस्तार से उजागर किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे मामलों में मानकीकृत प्रोटोकॉल, विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और कानूनी सुरक्षा उपाय अत्यंत आवश्यक हैं, ताकि मृतकों की गरिमा और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
व्याख्यान देने के अतिरिक्त, डॉ. हक़ ने फैकल्टी अवॉर्ड कैटेगरी के पोस्टर प्रेजेंटेशन सत्र में निर्णायक की भूमिका भी निभाई। इस दौरान उन्होंने प्रतिभागियों के शोध कार्यों का मूल्यांकन किया और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए शिक्षाविदों को प्रोत्साहित किया।
डॉ. मोहम्मद अस्रारुल हक़ की इस अंतरराष्ट्रीय सहभागिता ने न केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की इस प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया है कि संवेदनशील मेडिको-लीगल चुनौतियों का समाधान सम्मान, गरिमा और न्याय के साथ किया जाना चाहिए।