इमरान खान की कारगुजारियों से पाकिस्तान के आम व्यापारी और किसान परेशान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 28-05-2022
इमरान खान की कारगुजारियों से पाकिस्तान के आम व्यापारी और किसान परेशान
इमरान खान की कारगुजारियों से पाकिस्तान के आम व्यापारी और किसान परेशान

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
 
इमरान खान के प्रधानमंत्रित्वकाल में आर्थिक मामले में लिए गए गल निर्णयों का नतीजा मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार के अलावा आम के उत्पादकों एवं व्यापरियों को भी भुगतना पड़ रहा है.

पाकिस्तान में डाॅलर के मुकाबले पाकिस्तानी रूपये की वैल्यू निरंतर घटने से साधारण आम की कीमत इतनी हो गई है कि व्यापारियों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं.
mango
पाकिस्तान में एक डाॅलर के मुकाबले पाकिस्तानी रूपये का मूल्य करीब 200 है. ऐसे में निर्यात किए जाने वाले आमों की कीमत इतनी ज्यादा हो गई है कि उसे खरीदार ने व्यापारियों ने इनकार कर दिया है.
 
कोरोना महामारी के खात्मे के बाद पाकिस्तान को इस साल बड़ी संख्या में आम के निर्यात के ऑर्डर मिले हैं. मगर अहम सवाल यह है कि उन आॅर्डर को पूरा कैसे किया जाए ?
 
पाकिस्तान फ्रूट एंड वेजिटेबल एक्सपोर्टर्स, इंपोर्टर्स एंड मर्चेंट्स एसोसिएशन के अनुसार, इस साल पाकिस्तान में आम की कुल उत्पादन में गर्मी और पानी की कमी के कारण 50 प्रतिशत की कमी आएगी.
 
निर्यातकों के मुताबिक,  आमों को विदेशों में निर्यात करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हवाई किराए में बढ़ोतरी से उनका निर्यात बहुत महंगा हो रहा है.
 
निर्यातकों के मुताबिक, स्वाद और गुणवत्ता के मामले में अपनी अलग पहचान रखने वाले पाकिस्तानी आमों की मांग अमेरिका और यूरोप समेत खाड़ी देशों में बढ़ रही है. दुनिया भर से नए ऑर्डर मिलने के बाद 25 मई से निर्यात प्रक्रिया शुरू हो गई है.
 
हालांकि, इस साल परिवहन किराए में भारी वृद्धि के कारण सभी ऑर्डर की डिलीवरी में मुश्किलें आ रही हैं.सिंध के एक प्रमुख आम निर्यातक आगा हुमायूं ने उर्दू न्यूज को बताया कि ‘‘हमें बहुत सारे ऑर्डर मिल रहे हैं.‘‘
 
उन्होंने कहा कि इस बार मुद्दा एयर फ्रेट का है. किराया डॉलर में चुकाना पड़ता है और इस वजह से यह महंगा हो रहा है. आम 100 रुपये प्रति किलो और किराया 400 रुपये है. इससे विश्व बाजार में पाकिस्तानी आम की कीमत बढ़ती जा रही है.
 
पाकिस्तान कृषि और बागवानी फोरम के अध्यक्ष शेख अमिताज हुसैन के अनुसार, पाकिस्तान में आम का उत्पादन 1.8 से 2 मिलियन टन है. पिछले सीजन में देश से डेढ़ लाख टन आम का निर्यात हुआ था.
mango
शेख इम्तियाज हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान आम के निर्यात से 90 करोड़ की कमाई कर रहा है. इस रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा एयरलाइंस को जाता है.आम, जिसकी कीमत 200 रुपये प्रति किलो है, किराया जोड़ने के बाद 900 रुपये प्रति किलो हो जाता है. इसलिए पाकिस्तान को आम के निर्यात का वह लाभ नहीं मिल रहा है जो उसे मिलना चाहिए था.
 
शेख इम्तियाज हुसैन ने  बताया कि पाकिस्तान के पास बेहतर समुद्री और हवाई कार्गो सेवाएं नहीं हैं. वर्तमान में पीआईए यात्री उड़ानों के माध्यम से आमों का निर्यात किया जाता है. इसलिए, इसे बड़ी मात्रा में नहीं भेजा जा सकता है.
 
शेख इम्तियाज ने सुझाव दिया कि निर्यात बढ़ाने के लिए पाकिस्तान को अपने मालवाहक जहाजों को लेने की जरूरत है.पाकिस्तान समुद्र के रास्ते खाड़ी के करीब है और सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान सहित कई खाड़ी देशों में पाकिस्तानी आम लोकप्रिय हैं.
 
अगर यहां से आम का निर्यात समुद्र के रास्ते भी किया जाए तो निर्यात बढ़ाया जा सकता है.व्यापार विकास प्राधिकरण को निर्यात लागत कम करने के लिए विशेष उपाय करने चाहिए. किराया कम करने पर देश के लिए अच्छी विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है.
 
शेख इम्तियाज ने कहा कि आम के निर्यात में और सुधार के लिए विदेशों में प्रदर्शनियां आयोजित करना जरूरी है और सरकार को इस संबंध में निर्यातकों की मदद करनी चाहिए. अगर सरकार सहयोग करती है, तो इस साल यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में आम के उत्सव आयोजित किए जाएंगे, जिसमें खाड़ी के देश भी शामिल हैं. इससे एक्सपोर्ट ऑर्डर ज्यादा मिलेंगे.
 
पाकिस्तान से सिंधी आम का निर्यात 25 मई से शुरू हो गया है. उसके बाद चोंसा का निर्यात शुरू होगा. ये दो प्रमुख प्रकार हैं जो उच्च मांग में हैं.अन्य प्रकार के आमों का भी निर्यात किया जाता है.
 
उन्होंने कहा कि निर्यात के लिए देश भर से आम एकत्र किए जाते हैं और आमों की आवक मई से नवंबर तक जारी रहती है. पाकिस्तान के सिंध के दक्षिणी प्रांत में मीरपुर खास से शुरू होकर, श्रृंखला रहीम यार खान से दक्षिणी पंजाब तक फैली हुई है और मुल्तान में समाप्त होती है, जहां सफेद चैंसा आम की अंतिम किस्म का निर्यात किया जाता है.
 
आम का सीजन अगस्त में खत्म होता था, लेकिन अब यह नवंबर तक चलता है.माल के बदले कमोडिटी बाजारों में आम का व्यापार शेख इम्तियाज के अनुसार अफगानिस्तान और ईरान के वस्तु विनिमय व्यापार में भी आम का व्यापार बढ़ रहा है.
 
यानी सामान के बदले आम खरीदे जा रहे हैं. पाक-अफगान सीमा पर एक बड़ा बाजार भी नजर आने लगा है क्योंकि अफगानिस्तान से खरीदारी रुपये में की जाती है, इसलिए इस बाजार में भी सुधार देखने को मिल रहा है. चीन भी एक बड़ा बाजार बनता जा रहा है. यहां से हम दूसरे फलों के लिए आम बेच सकते हैं.