India ranked fourth in the World Bank report, became one of the most equal societies in the world
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारत ने वैश्विक स्तर पर सामाजिक और आर्थिक समानता के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत Gini Index में 25.5 स्कोर के साथ दुनिया का चौथा सबसे अधिक समानता वाला देश बनकर उभरा है. इस सूची में भारत से आगे केवल स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया और बेलारूस हैं.
Gini Index आय की असमानता को मापने का एक मानक सूचकांक है, जिसमें 0 का अर्थ पूर्ण समानता और 100 का अर्थ अधिकतम असमानता होता है. भारत का स्कोर 2011 में 28.8 था, जो अब 25.5 पर आ गया है — यह देश में समान विकास की दिशा में निरंतर प्रगति को दर्शाता है.
गरीबी में ऐतिहासिक गिरावट
विश्व बैंक की Spring 2025 Poverty and Equity Brief के अनुसार, 2011 से 2023 के बीच 17.1 करोड़ भारतीयों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया। इस अवधि में गरीबी दर 16.2% से घटकर मात्र 2.3% रह गई है. यह गिरावट प्रति दिन 2.15 डॉलर की वैश्विक गरीबी सीमा के आधार पर आंकी गई है.
वित्तीय समावेशन और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की भूमिका
भारत में समानता बढ़ने के पीछे सरकार की कई योजनाओं का अहम योगदान रहा है. प्रधानमंत्री जनधन योजना (PM Jan Dhan Yojana) के तहत अब तक 55 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं. आधार डिजिटल पहचान प्रणाली ने 142 करोड़ से अधिक नागरिकों को कवर किया है, जिससे Direct Benefit Transfer (DBT) के ज़रिए 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है.
स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा में सुधार
आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया गया है और 41 करोड़ से अधिक कार्ड जारी किए गए हैं. PM-GKAY योजना से 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को खाद्य सुरक्षा मिली है. Stand-Up India योजना ने SC/ST और महिला उद्यमियों को समर्थन दिया है. PM Vishwakarma Yojana के तहत पारंपरिक कारीगरों को लोन और प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है.
चीन, अमेरिका और G20 देशों से भी आगे
Gini Index में भारत चीन (35.7), अमेरिका (41.8) और अन्य सभी G7 और G20 देशों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत की आर्थिक वृद्धि अब कुछ वर्गों तक सीमित न रहकर पूरे समाज में फैली है.
समाज कल्याण विभाग के एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “यह उपलब्धि भारत में आर्थिक प्रगति को समान रूप से सभी वर्गों तक पहुंचाने की नीतियों की सफलता को दर्शाती है.” भारत की यह उपलब्धि न सिर्फ उसकी सामाजिक न्याय की दिशा में प्रतिबद्धता को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सशक्त नीतियों और लक्षित योजनाओं के जरिए समानता और समावेशन को वास्तविकता में बदला जा सकता है.