आवाज द वाॅयस/श्रीनगर
कश्मीर की शांत घाटियों से उठकर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित ताइक्वांडो अखाड़ों में भारत का प्रतिनिधित्व करना कोई साधारण उपलब्धि नहीं है. यह कहानी है बारामुला के गुलशन आबाद कॉलोनी के दानिश मंजूर की, जिन्होंने अपनी अटूट लगन और असाधारण प्रतिभा के दम पर न केवल बाधाओं को पार किया, बल्कि कश्मीर के युवाओं के लिए एक नई राह भी खोली है. स्थानीय हॉल से लेकर आधिकारिक ओलंपिक रैंकिंग चैंपियनशिप तक का उनका सफर दृढ़ता और सपनों के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है.
तेरह साल की छोटी उम्र में इस खेल को शुरू करने वाले दानिश आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के सबसे प्रमुख नामों में से एक हैं. वह वर्ल्ड ताइक्वांडो-अनुमोदित एथलीट लाइसेंसधारक हैं और 'फिट इंडिया' के एंबेसडर के रूप में भी नामित होने वाले एकमात्र ताइक्वांडो खिलाड़ी हैं.
शैक्षिक और खेल जीवन में संतुलन बनाते हुए, उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय से बायोइनफॉरमेटिक्स में बी.एससी. की पढ़ाई पूरी की, जिससे यह साबित होता है कि खेल और शिक्षा एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं.
दानिश ने अपने करियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्तर पर धमाकेदार प्रदर्शन से की. वह उत्तरी कश्मीर से जूनियर नेशनल के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले एथलीट बने और जम्मू-कश्मीर से अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाले चंद खिलाड़ियों में से एक हैं.
उनके पदक रिकॉर्ड में 12 से अधिक जम्मू-कश्मीर राज्य स्तरीय स्वर्ण पदक शामिल हैं, जिनमें ओपन कश्मीर चैंपियनशिप और कश्मीर ताइक्वांडो लीग के खिताब भी हैं. इसके अतिरिक्त, उन्होंने उत्तर जोन राष्ट्रीय चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतकर अपनी श्रेष्ठता को और भी मजबूत किया.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर, दानिश ने लगातार भारत का गौरव बढ़ाया है. उन्होंने 2019 में हैदराबाद में आयोजित दूसरे इंडिया ओपन इंटरनेशनल ओलंपिक रैंकिंग चैंपियनशिप में भाग लिया और 2020 में यूरोपियन ताइक्वांडो पूमसे चैंपियनशिप में शीर्ष 20 में अपनी जगह बनाई.
2022 में इजरायल ओपन जी2 ओलंपिक रैंकिंग इवेंट में पाँचवाँ स्थान हासिल करने के बाद, उन्होंने 2023 में एक नया इतिहास रचा. वह दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड ताइक्वांडो ऑक्टागन डायमंड जी4 ओलंपिक रैंकिंग इवेंट में लड़ने वाले पहले भारतीय बने, जहाँ उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया.
इसके बाद, उन्होंने 2024 में तेहरान में आयोजित फ़जर कप में छठा और प्रेसिडेंट्स कप एशियन रीजन में पाँचवां स्थान हासिल किया. इसी साल की शुरुआत में, उन्होंने उज्बेकिस्तान और जॉर्डन की राष्ट्रीय टीमों के साथ भी प्रशिक्षण लिया, जिससे उनके खेल में और निखार आया.
अपनी हालिया उपलब्धि पर बात करते हुए दानिश ने कहा, “उन मैदानों में कदम रखना मेरे लिए भावुक कर देने वाला पल होता है. मैं बारामुला से आता हूँ, जहाँ ऐसे सपने देखने की कल्पना भी कुछ लोग ही कर पाते हैं। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के सामने मैट पर खड़ा होना ही मेरे लिए एक जीत है.
” उनका यह बयान कश्मीर में सीमित सुविधाओं की चुनौतियों को दर्शाता है, लेकिन दानिश ने इन चुनौतियों को अपनी प्रेरणा बनाया.हाल ही में, जॉर्डन में आयोजित 13वें एलीट कप इंटरनेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप 2025 में दानिश ने कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया.
इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में दुनिया भर के शीर्ष फाइटर्स और ओलंपियन ने भाग लिया था, जिससे यह पदक और भी खास हो जाता है। दानिश अब 2025 के ओलंपिक रैंकिंग चैंपियनशिप के लिए अपनी निगाहें जमाए हुए हैं. उनका सपना ओलंपिक पदक लाना है। वह कहते हैं, “मैं यह साबित करना चाहता हूँ कि बारामुला जैसी जगह से भी आप विश्व मंच तक पहुँच सकते हैं. अगर मैं यह कर सकता हूँ, तो कोई भी कर सकता है.”
पूर्व भारतीय राष्ट्रीय टीम के कोच और जम्मू-कश्मीर ताइक्वांडो टीम के मुख्य कोच अतुल पंगोत्रा के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण ले रहे दानिश को एचईएलपी फाउंडेशन (जम्मू-कश्मीर स्थित एक गैर-सरकारी संगठन) का भी समर्थन प्राप्त है. दानिश मंजूर का सफर यह दिखाता है कि प्रतिभा, कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है, चाहे वह कहीं से भी आता हो.