फरहान इसराइली | कोटा ( राजस्थान)
राजस्थान के कोटा शहर से ताल्लुक रखने वाले अमीन पठान की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति के संघर्ष और सफलता की नहीं, बल्कि खेल, समाज सेवा और नेतृत्व के ज़रिए बदलाव लाने की एक मिसाल है. कोटा, जहाँ देशभर से आए छात्र अपने सपनों की तलाश में आते हैं, वहीं से एक ऐसे शख्स ने अपनी उड़ान भरी जिसने क्रिकेट के मैदान से लेकर सियासत और समाज सेवा तक, हर जगह अपनी छाप छोड़ी. बचपन में क्रिकेट का जुनून लिए कोटा की गलियों से निकले अमीन पठान ने कॉलेज के दिनों में बतौर तेज़ गेंदबाज़ मध्य प्रदेश और राजस्थान की टीमों से बोर्ड स्तर पर क्रिकेट खेला. उनका सपना था कि वे भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हों, लेकिन किस्मत ने उन्हें एक और बड़ी भूमिका के लिए चुना.
वर्ष 2002 में वे कोटा जिला क्रिकेट संघ के सचिव बने और 2005 में राजस्थान क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव पद पर पहुँचे. इसके बाद वे उपाध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे. उनके कार्यकाल में राजस्थान क्रिकेट ने एक नया स्वर्णिम युग देखा.
पहली बार राजस्थान रणजी ट्रॉफी का विजेता बना और खलील अहमद, दीपक चाहर, राहुल चाहर, रवि बिश्नोई, पंकज सिंह और अनिकेत चौधरी जैसे खिलाड़ी भारतीय टीम तक पहुँचे. अमीन पठान खुद इस बात को गर्व से बताते हैं कि सलीम दुर्रानी और पार्थसारथी शर्मा के बाद राजस्थान से कोई खिलाड़ी भारतीय टीम में नहीं गया था, और उनके प्रयासों से यह संभव हो पाया.
1995 में कोटा में शुरू की गई अनंतपुरा क्रिकेट अकादमी उनके लिए केवल एक खेल संस्था नहीं थी, बल्कि कोटा के बच्चों के सपनों का मैदान थी, जहाँ हर साल सैकड़ों युवा क्रिकेट की बारीकियाँ सीखते थे.
राजनीतिक मतभेदों के चलते जब उन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा, तो यह अकादमी तोड़ दी गई, जो उनके लिए एक गहरी व्यक्तिगत क्षति थी. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, जयपुर में नई क्रिकेट अकादमी शुरू की और अब टोंक व विदेशों में विस्तार की योजना पर काम कर रहे हैं.
क्रिकेट को आमजन से जोड़ने और युवाओं को मंच देने के लिए उन्होंने रजवाड़ा क्रिकेट लीग (RCL) की शुरुआत की. यह लीग सिर्फ क्रिकेट नहीं, एक उत्सव बन गई जिसमें न केवल दीपक चाहर जैसे खिलाड़ी उभर कर सामने आए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सितारों जैसे सनथ जयसूर्या, दिलशान, जैकब ओरम और जस्टिन केम्प ने भी भाग लिया.
इसके अलावा बॉलीवुड हस्तियाँ जैसे सुनील शेट्टी, सोहेल खान, रवीना टंडन, जैकी श्रॉफ, अमीषा पटेल आदि ने भी इस लीग की शोभा बढ़ाई. अमीन ने हाल ही में बहरीन में भी क्रिकेट लीग की शुरुआत करके अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी पहचान बनाई.
क्रिकेट से परे, समाज सेवा उनके जीवन का दूसरा सबसे बड़ा जुनून है. वे मानते हैं कि लोगों की मदद करना उन्हें सबसे अधिक संतोष देता है. कोटा में उनकी एनजीओ ग़रीबों की सहायता करती है, वहीं व्यापार संघ के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने व्यापारियों की समस्याओं का समाधान निकाला.
राजनीति में उनका प्रवेश 1998 में वसुंधरा राजे और भवानी सिंह राजावत से मुलाकात के बाद हुआ. 2004 में वे पार्षद बने और बाद में राजस्थान सरकार में राज्य मंत्री भी रहे। उनकी पत्नी रज़िया पठान दो बार पार्षद बनीं, और अब उनकी भतीजी भी उसी राह पर चल रही है.
राजस्थान हज कमेटी के चेयरमैन के रूप में उन्होंने हज यात्रियों की सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार किए. 2018 से 2023 तक वे अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के चेयरमैन रहे. इस दौरान उन्होंने कई कठिन लेकिन जनहितकारी निर्णय लिए.
दरगाह की विवादित ज़मीन पर शौचालय निर्माण, कायड़ विश्राम स्थली में वुजू खाना, कमरे और अन्य बुनियादी सुविधाएँ बनवाना – ऐसे निर्णयों ने उन्हें आम जायरीनों का प्रिय बना दिया, भले ही उन्हें इसका विरोध झेलना पड़ा. अमीन पठान की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे हर धर्म, समुदाय और वर्ग के साथ चलने में यकीन रखते हैं, और यही वजह है कि कोटा और राजस्थान में वे केवल एक नेता नहीं, एक भरोसेमंद नाम हैं.
उनका जुड़ाव क्रिकेट और बॉलीवुड के दिग्गजों से भी गहरा है. आईपीएल की शुरुआत के समय वे राजस्थान रॉयल्स और मुख्य कमेटी का हिस्सा थे. इस दौरान सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ, सोहेल खान, बिंदु दारा सिंह, शहज़ाद खान जैसे सितारों से उनकी गहरी दोस्ती हुई, जो आज भी कायम है. मोहम्मद अज़हरुद्दीन उनके खास मित्र हैं, और साजिद-वाजिद जैसे संगीतकार, कई टीवी कलाकार और डिजिटल इन्फ्लुएंसर उनके करीबी माने जाते हैं.
शारजाह, जो कभी क्रिकेट का मक्का था, वहाँ भी अमीन पठान ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. उनका मानना है कि काम की सच्चाई और नियत की सफ़ाई से ही असली सफलता मिलती है। वे युवाओं को यही संदेश देते हैं कि वे अपने सपनों को खुद चुनें, मेहनत करें और ईमानदारी से आगे बढ़ें.
कोटा जैसे छोटे शहर से निकलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी जगह बनाने वाले अमीन पठान आज भी उसी ज़मीन से जुड़े हैं, जहाँ से उन्होंने शुरुआत की थी.उनकी कहानी बताती है कि अगर किसी इंसान के पास जज़्बा हो, नीयत साफ़ हो और दूसरों की भलाई का इरादा हो, तो वह न केवल अपनी तकदीर बदल सकता है, बल्कि अपने पूरे समाज को एक नई दिशा दे सकता है.
अमीन पठान वास्तव में राजस्थान के उन चुनिंदा लोगों में से हैं जिन्हें सच्चे अर्थों में ‘चेंजमेकर’ कहा जा सकता है – एक ऐसा इंसान जिसने क्रिकेट, करुणा और नेतृत्व के मेल से समाज में एक स्थायी बदलाव लाने की कोशिश की.