दिन में मरीजों की सेवा, रात में पढ़ाई — डॉक्टर वसीम उर रहमान की UPSC में सफलता की कहानी

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 15-05-2025
Serving patients in the day, studying at night - Dr. Wasim ur Rehman's UPSC success story
Serving patients in the day, studying at night - Dr. Wasim ur Rehman's UPSC success story

 

मोहम्मद अकरम | नई दिल्ली

हर साल लाखों युवा संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा देते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जो कठिन हालात, सीमित संसाधनों और जबरदस्त मेहनत के बल पर अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं.ऐसे ही एक प्रेरणास्पद नाम हैं — डॉ. वसीम उर रहमान, जिन्होंने न केवल UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024में सफलता हासिल की है, बल्कि देशभर में 281वीं रैंक प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया है कि समर्पण, अनुशासन और निरंतर प्रयास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता.

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बिहार के मुजफ्फरपुर से दिल्ली तक का सफर

डॉ. वसीम उर रहमान बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कटरा ब्लॉक के निवासी हैं.उनका जन्म एक पढ़े-लिखे और मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ.उनके पिता हाजी सऊद आज़म रहमानी प्रखंड कृषि पदाधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि माता जहां आरा खातून एक सरकारी स्कूल की प्रधान शिक्षिका रही हैं.परिवार में शिक्षा का वातावरण शुरू से ही रहा, और वसीम को प्रारंभ से ही मेहनती और लक्ष्य केंद्रित बनने की प्रेरणा मिली.

शुरुआती शिक्षा और मेडिकल में सफलता

वसीम की प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर स्थित हाजरा अली अकादमी में हुई, जिसके बाद उन्होंने कुछ समय तक DAV स्कूल में पढ़ाई की.उनकी स्कूली पढ़ाई का एक बड़ा हिस्सा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के एक स्कूल से हुआ, जहाँ से उन्होंने 2014में 91%अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की.

इसके बाद उनका झुकाव मेडिकल क्षेत्र की ओर हुआ.उन्होंने वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (VMMC) और सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली से MBBS की पढ़ाई की.डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने मरीजों की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और इसी के साथ UPSC की कठिन परीक्षा की तैयारी भी की.

बिना कोचिंग के UPSC की तैयारी

डॉ. वसीम की सफलता की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि उन्होंने UPSC की तैयारी बिना किसी पारंपरिक कोचिंग संस्थान की मदद के की.हालांकि उन्होंने मानवशास्त्र (Anthropology) को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना और एक कोचिंग का ऑनलाइन कोर्स जरूर किया, लेकिन संपूर्ण तैयारी उन्होंने स्व-अध्ययन और डिजिटल संसाधनों के माध्यम से ही की.

उनके अनुसार, "मैं रोजाना 6से 7घंटे पढ़ाई करता था.अस्पताल में 7–8घंटे की ड्यूटी के बाद यह आसान नहीं था, लेकिन मैंने अपना टाइम मैनेजमेंट बेहतर किया और पढ़ाई के लिए ऑनलाइन कंटेंट को ही प्राथमिकता दी."

चौथी कोशिश में मिली सफलता

डॉ. वसीम ने यह सफलता अपनी चौथी कोशिश में पाई है.इससे पहले तीन प्रयासों में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.उनके अनुसार, "हर असफलता ने मुझे और मजबूत बनाया. मेरा परिवार हमेशा मेरी ताकत रहा.जब कभी मैं थक जाता, मेरे माता-पिता और भाई-बहनों का हौसला मुझे आगे बढ़ाता था."

इंटरव्यू में पूछे गए सवाल

वसीम के अनुसार, UPSC साक्षात्कार के दौरान उनसे उनके गृह जिले मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध लीची के बारे में भी सवाल पूछे गए.उन्होंने न केवल मेडिकल और प्रशासनिक ज्ञान से, बल्कि अपने स्थानीय सामाजिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य की गहरी समझ से इंटरव्यू बोर्ड को प्रभावित किया.

युवाओं के लिए संदेश

अपनी सफलता को समाज और राष्ट्र की सेवा के रूप में देखने वाले वसीम युवाओं को संदेश देते हैं:"आप ईमानदारी से मेहनत करें, अपने बड़ों की सलाह लें, सही दिशा में लगन और धैर्य से आगे बढ़ें.हर मंज़िल मुश्किल जरूर होती है, लेकिन नामुमकिन नहीं। अगर आप लगातार कोशिश करेंगे, तो एक दिन सफलता आपके कदम चूमेगी."

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आवाज द वाॅयस से बातचीत करते डाॅक्टर वसीम

वसीम की पारिवारिक पृष्ठभूमि

पिता: हाजी सऊद आज़म रहमानी (सेवानिवृत्त कृषि पदाधिकारी)

माँ: हज्जन जहां आरा खातून (सरकारी स्कूल की पूर्व प्रधान शिक्षिका)

बड़ा भाई: मुजफ्फरपुर में व्यवसायी

छोटा भाई: पटना में कानून की पढ़ाई कर रहे हैं

दो बहनें: एक सरकारी शिक्षिका, दूसरी गृहिणी

डॉ. वसीम उर रहमान की कहानी आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे सीमित संसाधनों, पेशेवर जिम्मेदारियों और अनेक बाधाओं के बावजूद लगातार प्रयास और सच्ची लगन से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.वसीम ने न केवल डॉक्टर के रूप में मरीजों की सेवा की, बल्कि अब एक प्रशासक के रूप में समाज की व्यापक सेवा के लिए तैयार हैं.