मेवात की दो हाफ़िज़ा छात्राएं 10 वीं में टॉप कर बनीं मिसाल

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 19-05-2025
Two Hafiza students of Mewat set an example by topping 10th
Two Hafiza students of Mewat set an example by topping 10th

 

यूनुस अलवी | नूंह (हरियाणा)

हरियाणा के मेवात क्षेत्र के ऐतिहासिक गांव गांधी ग्राम घासेड़ा से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जो न केवल शिक्षा के दो आयामों—धार्मिक और आधुनिक—के बीच संतुलन स्थापित करती है, बल्कि समाज में व्याप्त कई पूर्वग्रहों को भी तोड़ती है. यहां की दो हाफ़िज़ा छात्राओं, समरीन खानम और सादिया खातून, ने हरियाणा बोर्ड की दसवीं कक्षा की परीक्षा में मैरिट में स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि कुरान की रौशनी और किताबों की मेहनत साथ-साथ चल सकती है.
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कुरान भी याद, किताबें भी क़ायम

समरीन खानम ने 81% अंक प्राप्त कर अपने विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि  सादिया खातून ने 80% अंक हासिल कर स्कूल की सेकेंड टॉपर बनीं. 

यह दोनों छात्राएं हाफ़िज़ा-ए-कुरान हैं यानी उन्होंने मुकम्मल तौर पर कुरान पाक हिफ़्ज़ कर रखा है. उनके अनुशासन, समर्पण और दोहरी शिक्षा प्रणाली में उत्कृष्ट प्रदर्शन ने पूरे मेवात क्षेत्र में गर्व की लहर दौड़ा दी है.

पारिवारिक पृष्ठभूमि: दीनी और सामाजिक सेवा 

समरीन के पिता  खालिद मेवाती एक जागरूक समाजसेवी हैं, जो गांव के युवाओं को शिक्षा की राह पर ले जाने के लिए सक्रिय रहते हैं. 

वहीं सादिया के पिता मौलाना मुहम्मद जाहिद अमीनी, घासेड़ा की प्रसिद्ध शाही जामा मस्जिद के इमाम और खतीब हैं. दोनों परिवारों में शिक्षा, तहज़ीब और सेवा का माहौल है, जिसने इन बच्चियों को आगे बढ़ने की मजबूत नींव दी.

स्कूल की स्थिति और शिक्षकों का योगदान

राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, घासेड़ा से इस वर्ष कुल 80 छात्राओं ने 10वीं की परीक्षा दी, जिनमें से 78 छात्राएं उत्तीर्ण हुईं. 

स्कूल के साइंस शिक्षक विनोद कुमार ने बताया कि इस वर्ष 31 छात्राएं प्रथम श्रेणी, 29 द्वितीय और 18 तृतीय श्रेणी में पास हुईं. समरीन और सादिया की इस ऐतिहासिक सफलता ने न केवल स्कूल की साख बढ़ाई,  अन्य छात्राओं को भी प्रेरणा दी है.

विद्यालय की प्राचार्य सविता कौशिक सहित शिक्षक विनोद कुमार, मास्टर फारूक, आबिदा मैम, रश्मी, लीला देवी, शहनाज और मंजीत मैम के योगदान को विशेष रूप से सराहा गया, जिन्होंने इन बच्चियों के आत्मविश्वास को बनाए रखा और उनकी प्रतिभा को निखारने में योगदान दिया.
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 सामाजिक स्तर पर सराहना और सम्मान

इस उपलब्धि को गांव के कई सम्मानित व्यक्तियों ने न केवल सराहा, बल्कि इसे घासेड़ा और पूरे मेवात के लिए एक प्रेरणास्रोत बताया. 

मौलाना शेर मुहम्मद अमीनी, मुफ्ती लुकमान कासमी, मौलाना नूरुद्दीन कासमी, सरपंच इमरान खान, पूर्व सरपंच अशरफ अली, पूर्व पार्षद वली मुहम्मद, बीएस मेंबर जकरा भाई, पंच दादा खलील, औसाफ नंबरदार और भाई फखरुद्दीन जैसे प्रमुख लोगों ने बच्चियों और उनके माता-पिता को दिल से मुबारकबाद दी.

एक नई सोच की शुरुआत

इस खबर ने यह स्पष्ट किया है कि धार्मिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा के बीच कोई टकराव नहीं, बल्कि यह दोनों मिलकर एक संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं.

घासेड़ा की यह दो हाफ़िज़ा बहनें अब न केवल मेवात की बेटियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं, बल्कि उन्होंने पूरे देश को यह दिखा दिया है कि जब नीयत नेक हो और मेहनत ईमानदार, तो हर राह आसान हो जाती है.