निजी उपग्रह निर्माता ओवैस से पीएम मोदी ने क्या कहा कि आज भी हैं उत्साहित !

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 24-10-2021
निजी उपग्रह बनाने वाले ओवैस अहमद
निजी उपग्रह बनाने वाले ओवैस अहमद

 

मंसुरूद्दीन फरीदी /नई दिल्ली
 
कर्नाटक का ओवैस अहमद बचपन में अपनी दूरबीन से अंतरिक्ष खंगाला करता था. हर पल अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने की उसमंे बड़ी उत्सुकता थी. अब एक ऐसा समय आया है, जब उसने ‘अंतरिक्ष व्यापार’ की पहल की. इसके लिए एक ऐसा मंच तैयार किया है जो न केवल एक निजी उपग्रह लॉन्च करेगा, बल्कि इससे तेज गति से प्राप्त टेडा से दूसरों की मदद भी करेगा. ओवैस अहमद ने इस प्रोजेक्ट का नाम दिया है ‘पिक्सेल‘. 
 
इतना ही नहीं, चिकमंगलूर जिले के अलदुर गांव के 23 वर्षीय ओवैस अहमद और उनके एयरोस्पेस निर्माता कंपनी पिक्सेल दिसंबर 2021 में भारतीय धरती से पहला निजी उपग्रह लॉन्च करने को तैयार है.
 
ओवैस अहमद ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक आभासी कार्यक्रम में अपनी योजनाओं और प्रतिबद्धता की जानकारी दी थी. देश में नई पीढ़ी को स्टार्टअप का रास्ता दिखाने के लिए उनका ओवैस ने धन्यवाद भी किया था. इसपर प्रधानमंत्री ने पूछा कि ‘पिक्सल’ को क्षेत्र में तेजी से बढ़ने का मौका देने के लिए सरकार को क्या-क्या कदम उठाने चाहिए ? उन्होंने कुछ बिंदुओं पर प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान आकर्षित किया.
 
ओवैस अहमद ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने कार्यक्रम की जानकारी दी. पीएम से बात कर वह आज भी बहुत उत्साहित हैं. पहले ओवैस की अपना निजी उपग्रह रूस से लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन अब भारत की धरती से उपग्रह लॉन्च करने जा रहे हैं. उपग्रह के प्रक्षेपण की तारीख अभी तय नहीं की गई है. वैसे पिछले साल ही इसके प्रक्षेपण का कार्यक्रम था, पर कोविड 19 महामारी के चलते इसे टालना पड़ा.
 
पिक्सेल एशिया का इकलौता अंतरिक्ष स्टार्टअप था जो  लॉस एंजिल्स में 2019 के टेक स्टार्स स्टार बर्स्ट  स्पेस एक्सेलेरेटर के लिए  क्वालीफाई करने में कामयाब रहा था. फर्म का लक्ष्य दो से तीन वर्षों में 30  से ज्यादा पृथ्वी के चक्कर लगाने वाले सूक्ष्म उपग्रहों को सौर-संगत कक्षा में लॉन्च करना है.
 
ओवैस अहमद और पार्टनर के खंडेलवाल ने फरवरी 2019 में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) में पढ़ाई के दौरान कंपनी की स्थापना की थी.
 
परिवार की मिली मदद

ओवैस अहमद का जन्म और पालन-पोषण कर्नाटक के चिकमगलूर जिले के एक छोटे से शहर में हुआ है. उनका परिवार चाहता था कि वह अच्छी तरह से पढ़े. अच्छी नौकरी करें, लेकिन आज के हजारों युवाओं की तरह ओवैस अहमद भी अपने जीवन में कुछ अलग करने की चाहत लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने में लगे हैं.
 
उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उद्यमी बनने का फैसला कर लिया था. लेकिन एक ऐसे क्षेत्र में जहां अभी भी बहुत कम संभावना हैं, सोचा नहीं था.
 
ओवैस अहमद के मुताबिक, इस प्रयास में माता-पिता ने भरपूर सहयोग दिया. साथ ही उनका डर उनके चेहरों पर साफ झलकता था. दो साल बाद, ओवैस का उद्यम ‘ पिक्सेल स्पेस ’ भारत के पहले अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट के साथ तैयार है.
 
ओवैसे कहते हैं,मुझे लगता है कि हम हमेशा सितारों और ब्रह्मांड पर मोहित रहे हैं. हर दूसरे बच्चे की तरह मैंने भी इन चीजों के बारे में बहुत कुछ पढ़ा. मेरे पास मेरी दूरबीन और विश्वकोश था. लेकिन बीआईटीएस पिलानी में रहते हुए कुछ प्रयोग किए जिससे पिक्सलेस की स्थापना में मदद मिली.
 
पहला अनुभव तब हुआ जब मैं कॉलेज के अपने पहले वर्ष में सैटेलाइट टीम का हिस्सा बना. यह इसरो के साथ काम करने वाली टीम थी. उस समय, इसरो के पास एक छात्र उपग्रह कार्यक्रम था, जहां विश्वविद्यालयों को बहुत छोटे शौकिया उपग्रह बनाने में मदद दी जाती थी. उस दौरान मुझ यह सीखने का अवसर मिला कि अंतरिक्ष के लिए हार्डवेयर कैसे बनाए ?  क्योंकि पृथ्वी के मुकाबले अंतरिक्ष के लिए हार्डवेयर बनाना बिलकुल अलग चीज है.
 
दूसरा प्रयोग तब किया जब मैं हाइपरलूप इंडिया में इंजीनियरिंग लीड में संस्थापक टीम के सदस्यों में था. यह एक स्पेसएक्स प्रतियोगिता थी. उन्होंने अपने मुख्यालय के पास एक मील लंबी वैक्यूम ट्यूब बनाई. उन्होंने दुनिया भर की टीमों को एक ऐसा वाहन बनाने की चुनौती दी जो वास्तव में तेजी से यात्रा करें और जो सबसे तेज करेगा वह जीत जाएगा.
 
वैश्विक टीम में चयन

ओवैस अहमद का कहना है कि हाइपरलूप इंडिया चयनित होने वाली एकमात्र भारतीय फाइनलिस्ट बनी. इस टीम में मैंने इंजीनियरिंग का नेतृत्व करने में मदद की. हमने बेंगलुरु में वाहन बनाया. फिर इसे लॉस एंजिल्स में स्पेसएक्स मुख्यालय ले गए. इसे एलोन मस्क और उनकी टीम के सामने पेश किया. जब हम वहां थे, उन्होंने हमें स्पेसएक्स कारखाने की सैर कराई.
 
इस फैक्ट्री में रॉकेट के इंजन बनाए जा रहे थे. अंतरिक्ष में गए रॉकेटों को छूना मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा था. मैं जब वहां से वापस आया, तो  अंतरिक्ष के बारे में खूब पढ़ा. फिर फैसला लिया कि हम उपग्रह इमेजिंग के विश्लेषण से शुरुआत करेंगे.
 
जब मुझे एहसास हुआ कि शायद इमेजिंग करने का एक बेहतर तरीका है. तभी मैंने अपने दोस्त और पार्टनर खंडेलवाल के साथ इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का निर्णय लिया.
 
माता-पिता की मेहनत

ओवैस बताते हैं कि उनके पिता एक छोटी फार्मेसी चलाते हैं. मां गृहिणी हैं, लेकिन मेरे पास शिक्षा के मामले में सब कुछ था. जब मैं बीआईटीएस में शामिल हुआ, तो मेरे माता-पिता बहुत खुश थे. उन्हांेने कहा, पढ़ाई करो, अच्छी नौकरी करो, अच्छी कंपनी में रहो. पढ़ाई के समय किसी चीज की चिंता मत करना.
 
ओवैस अहमद के पिता नदीम अहमद ने बताया, उनका बेटा बहुत प्रतिभाशाली है. इसे बिट्स पिलानी में एक बुद्धिमान छात्र माना जाता था. ओवैस अहमद के पिता के अनुसार, उपग्रह डेटा का उत्पादन करेगा जो अन्य उपग्रहों की तुलना में 50 गुना अधिक होगा. उन्होंने दावा किया कि उनके बेटे का उपग्रह भारतीय धरती से प्रक्षेपित होने वाला पहला निजी वाहन होगा.