पर्वतारोहण का जुनून ऐसा, कर्ज लेने से भी नहीं हिचकते हसन खान

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 19-05-2023
पर्वतारोहण का जुनून ऐसा, कर्ज लेने से भी नहीं हिचकते हसन खान
पर्वतारोहण का जुनून ऐसा, कर्ज लेने से भी नहीं हिचकते हसन खान

 

तिरुवनंतपुरम.

केरल सरकार के 36 वर्षीय कर्मचारी शेख हसन खान में पर्वतारोहण का जुनून है और ये जुनून इस कदर है कि उन्होंने इसके लिए कर्ज भी लिया है. हसन खान राज्य सचिवालय में वित्त विभाग में काम करते हैं और पठानमथिट्टा जिले के पंडालम के रहने वाले हैं.

अब तक वह माउंट एवरेस्ट और किलिमंजारो की चढ़ाई कर चुके हैं. सोमवार को अमेरिका के डेनवर से फोन पर  बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनका अगला कठिन ट्रैक तब शुरू हुआ, जब वह अलास्का में माउंट डेनाली की तीसरी सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ना शुरू किया.

उनके साथ तीन अमेरिकी भी हैं, जिनमें से एक उनके साथ था, जब वे पिछले साल माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे थे. खान ने कहा, मैं 185 देशों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पांच साल की छुट्टी लेने की योजना बना रहा हूं.

डेनाली तीसरा होगा और जुलाई में मैं रूस और अगस्त में जापान पहुंचूंगा। 2023 के लिए, मेरा लक्ष्य विभिन्न देशों में 15 चोटियों को फतह करना है. लेकिन फिर खान के सामने एक बड़ी समस्या है कि 2028 तक अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्हें लगभग 2.50 करोड़ रुपये की जरूरत है.

मेरा एवरेस्ट ट्रिप की लागत 3.5 मिलियन रुपये थी और वर्तमान में यह लगभग 20 लाख रुपये होगी. लागत का सबसे बड़ा हिस्सा हवाई टिकट खरीदना और बोर्डिग खर्च है. मैं प्रायोजकों की तलाश में हूं, एक नहीं, बल्कि कई प्रायोजकों की तलाश में हूं.

खान का कहना है कि अब तक उन पर 2.5 मिलियन रुपये का कर्ज बकाया है, जो उन्होंने अपने पिछले दो अभियानों के लिए लिया था. उन्होंने कहा, मेरे पास राज्य सरकारी नौकरी है, इसलिए बैंक ऋण प्राप्त करना आसान है और मुझे घर बनाने की जरूरत नहीं है.

घर मुझे विरासत में मिला है. मेरे जुनून को आगे बढ़ाने के लिए लिये गए ऋणों को चुकाने में भी मेरा अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है. मैंने कुछ उपकरण खरीदे हैं, जो मेरे ट्रिप के लिए अनिवार्य हैं. इसलिए मुझे यकीन है कि मैं अपना लक्ष्य हासिल कर लूंगा और कुछ हलकों से मदद मिलेगी.

खान को पत्नी, जो पेशे से एक शिक्षिका हैं, और छह साल की बेटी से पूरा सपोर्ट मिल रहा है. खान यह सुनिश्चित करते हैं कि वह जिस भी चोटी पर विजय प्राप्त करें, तिरंगा फहराया जाए.

आत्मसंतुष्टि के अलावा उनका मकसद एकता का संदेश देने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रति लोगों को जागरूक करना है.