मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
क्या आपको पता है कि आज का युवा वर्ग गूढ़ विषयों और गंभीर पढ़ाई-लिखाई की बातें कहाँ करना पसंद करता है? सुनेंगे तो हैरान रह जाएँगे—जी हाँ, पब (Pub) और बार (Bar) में! देश के बड़े-बड़े मसलों पर चर्चाएँ और विज्ञान से जुड़े गहरे विषयों पर विचार-विमर्श अब कॉफ़ी शॉप की शांत मेज़ों से निकलकर, बीयर के मग और हल्के-फुल्के माहौल वाले पब और बारों तक पहुँच गए हैं।

यह नया और अनूठा ट्रेंड लोगों में तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि यहाँ पढ़ाई जैसी गंभीर चीज़ भी हल्के-फुल्के और दिलचस्प तरीके से समझाई जाती है। इन चर्चाओं में कॉलेज के छात्रों और लेक्चरर से लेकर अन्य पेशेवर लोग भी शामिल होते हैंऔर चूँकि गंभीर मसलों पर बेहद अनौपचारिक अंदाज़ में लेक्चर दिए जाते हैं, इसलिए बुजुर्ग लोग भी ऐसे विचारों के आदान-प्रदान में शामिल होना पसंद करते हैं।
यह अनोखी शैक्षणिक गतिविधि पहले केवल चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहरों तक सीमित थी, लेकिन अब यह क्रांति दिल्ली सहित एनसीआर के अन्य शहरों में भी फैल चुकी है। उदाहरण के लिए, 23 नवंबर को दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के पिबले स्ट्रीट (Pebble Street) में भी दोपहर दो बजे ऐसे आयोजन हो रहे हैं, जिसका विषय है: 'झारखंड को कोई नहीं जानता है'।
इस तरह के आयोजन को Lecture On The Rocks (LOTR), पिंट ऑफ साइंस (Pint of Science), बायनॉमियल नोमेनक्लेचर (Binomial Nomenclature), और पिंट ऑफ व्यू (Pint of View) जैसे अलग-अलग नामों से आयोजित किया जा रहा है, और इन्हें पब/बार के अलावा कई संगठन भी प्रायोजित करते हैं।

चेन्नई बना ज्ञान का नया केंद्र
टाइम्स आॅफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार,चेन्नई के पब अब केवल खाने-पीने, संगीत और सामाजिक मेल-जोल की जगह नहीं रह गए हैं। वे अब ज्ञान के नए केंद्र और अनौपचारिक लेक्चर हॉल में बदल रहे हैं।
यहाँ अब प्रोफेसर और वैज्ञानिक भी मजेदार अंदाज़ में लेक्चर दे रहे हैं। 'लेक्चर ऑन द रॉक्स' (LOTR) इसी सीरीज का हिस्सा है, जो अकादमिक विषयों को पब और क्लबों में लेकर आई है।
LOTR के आयोजक जिनो जे ने बताया कि न्यूयॉर्क में ऐसे टॉक्स सुनने के बाद उन्हें लगा कि चेन्नई में भी ऐसा होना चाहिए। उनका मकसद है कि लोग विज्ञान और शोध से जुड़े दिलचस्प विषयों को आसान भाषा में समझ सकें।
मैसूर के प्रोफेसर और आणविक आनुवंशिकी (Molecular Genetics) के विशेषज्ञ बर्टी एशले (Berty Ashley) भी इस पहल का हिस्सा हैं। वे पौधों और जानवरों के वैज्ञानिक नाम रखने की प्रक्रिया, यानी 'बायनॉमियल नोमेनक्लेचर' को बेहद मज़ाकिया और आसान तरीके से समझाते हैं।
वे बताते हैं कि कैसे अजीब-अजीब नाम, जैसे आलू का वैज्ञानिक नाम Solanum tuberosum, लोगों को यह सिखा सकता है कि विज्ञान में नामकरण कैसे होता है। उन्होंने 'द रेकॉर्ड' नाम के पब में 'The Sexy Side of Scientific Naming' नाम से लेक्चर दिया है।
बर्टी एशले बताते हैं कि कुछ प्रजातियों के नाम उनके विचित्र शारीरिक हिस्सों, जानवरों के व्यवहार या मज़ाकिया विवरण पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए, विलुप्त हो चुके दरियाई घोड़े (Hippopotamus) से संबंधित एक प्रजाति का नाम 'जैगरमेरीक्स' रखा गया था, जो रोलिंग स्टोन्स के लीड सिंगर मिक जैगर के नाम पर था, क्योंकि इसकी 'बड़ी होंठ' विशेषता थी। उनके लेक्चर में छात्र नहीं, बल्कि पब में आए आम लोग होते हैं, जो विज्ञान और वर्गीकरण के 'रोमांचक पहलुओं' को समझते हैं।
विज्ञान से साहित्य तक: हर विषय पर चर्चा
सिर्फ़ विज्ञान ही नहीं, अन्य प्रोफेसर भी अलग-अलग विषयों पर बात कर रहे हैं। प्रियाल नागेश, जो मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़ में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, बुजुर्ग महिलाओं की सेहत और उनके कामकाज पर बात करेंगी। अंग्रेजी की प्रोफेसर मंजुशी भट्ट साहित्य से जुड़े मजेदार टॉपिक पर लोगों को जोड़ती हैं।
इन आयोजनों को केवल LOTR तक ही सीमित नहीं रखा गया है। पिंट ऑफ साइंस (Pint of Science - POS) भी एक महत्वपूर्ण मंच है। यह एक अंतरराष्ट्रीय लेक्चर सीरीज है जो पहले यूके में शुरू हुई थी और अब 27देशों में फैल चुकी है।
भारत में यह 50से ज़्यादा शहरों में आयोजित होती है। देबारती चटर्जी, जो इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में काम करती हैं, भारत में POS की कोऑर्डिनेटर भी हैं।
उनका कहना है, "टिकटों का उद्देश्य मुनाफ़ा कमाना नहीं है, बल्कि नवीनतम विज्ञान और अनुसंधान को आम जनता तक पहुँचाना है।" ये मंच युवा वैज्ञानिकों और छात्रों को अपने शोध आम लोगों को समझाने का मौका देते हैं।
इसके अलावा, पिंट ऑफ व्यू (Pint of View - POV) जैसे कार्यक्रम भी चेन्नई में आयोजित किए जा रहे हैं। POV चेन्नई की संस्थापक, न्यूरोसाइंटिस्ट सुम्युक्था आनंद, मेमोरी फॉर्मेशन (स्मृति निर्माण) जैसे विषयों पर व्याख्यान देती हैं। इन पहलों का उद्देश्य पारंपरिक कक्षाओं से बाहर सीखने को रोचक और सुलभ बनाना है।

'लेक्चर ऑन द रॉक्स' और 'पिंट ऑफ साइंस' जैसे कार्यक्रम, जो वैश्विक प्रारूप जैसे 'Lectures on Tap' से प्रेरित हैं, प्रोफेसरों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों को चेन्नई के पब में अनौपचारिक माइक्रो-लेक्चर देने का मंच प्रदान करते हैं।
अब चेन्नई के पब न केवल सामाजिक मिलन स्थल बल्कि ज्ञान के नए केंद्र भी बन रहे हैं, जिससे अकादमिक चर्चाओं को एक व्यापक और उत्साहित दर्शकों तक पहुंचाया जा रहा है।
तो चलिए, चेन्नई और दिल्ली, उठाइए अपना गिलास और सोचने का समय शुरू कीजिए! यह नया ट्रेंड दिखाता है कि युवा वर्ग अब हल्के-फुल्के माहौल में भी गंभीर ज्ञान और बौद्धिक विमर्श को महत्व दे रहा है।