मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
मुंबई के विखरोली पश्चिम की भीड़भरी, मुड़ती-तुड़ती गलियों में, जहां रोज़मर्रा की जद्दोजहद और संघर्ष जीवन का हिस्सा हैं, वहीं एक चालनुमा कमरा आज देश में एक नई शैक्षणिक क्रांति का केंद्र बन रहा है। यहाँ न तो अत्याधुनिक मशीनें हैं, न महँगे उपकरण—सिर्फ कबाड़, फटे कपड़े, पुराने कंप्यूटर पार्ट्स और सीखने की अटूट प्यास। इन्हीं सीमित संसाधनों के बीच मजदूरों और रिक्शा चालकों के बच्चे आज रोबोट बना रहे हैं, गेम डिज़ाइन कर रहे हैं और ऐसे समाधान तैयार कर रहे हैं जो वास्तविक दुनिया की समस्याओं से मुकाबला करते हैं।

ये चमत्कार कर रहा है PiKademy, एक अनूठा प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग स्कूल, जिसकी अगुवाई कर रही हैं आईआईटी मुंबई की पूर्व शोधकर्ता इक़रा शेख, साथ ही उनके सह-संस्थापक हमजा खान। इक़रा, जिन्हें लाखों की सैलरी वाली नौकरी मिल सकती थी, उन्होंने अपने जीवन का रास्ता बदलते हुए वंचित बच्चों की शिक्षा को नया आयाम देने का फैसला किया—और यही फैसला आज हजारों सपनों में नई जान फूंक रहा है।

कबाड़ से रोबोट तक: सीखने का असली अर्थ
PiKademy में सीखने की शुरुआत किताबों से नहीं, बल्कि सवालों से होती है। यहाँ प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग वह पुल है जो बच्चों को वास्तविक जीवन, विज्ञान, तकनीक और रचनात्मकता से जोड़ता है।
किसी दिन बच्चे कबाड़ से उपयोगी मशीनें बनाते हैं, तो किसी दिन फटे कपड़ों को जोड़कर पहनने योग्य डिजाइन तैयार करते हैं। कभी वे कंप्यूटर पर गेम बनाते हैं जो काल्पनिक पात्रों के बजाय वास्तविक विज्ञान और डिजाइन सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
इंटरनैशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में सिर्फ5% बच्चोंके पास ही ‘एम्प्लॉयबिलिटी स्किल्स’ हैं। PiKademy इस कमी को जड़ से दूर करने के लिए काम कर रहा है।
उदाहरण के लिए, जब बच्चे पानी के बारे में पढ़ते हैं, तो उन्हें सिर्फ परिभाषाएँ रटाई नहीं जातीं। वे पास की नदी से पानी लाकर उसकी गुणवत्ता जांचते हैं, समस्या का समाधान तैयार करते हैं और उसे नगरपालिका के साथ साझा करते हैं।
अगले दिन वही बच्चे बेघरों के लिए शेल्टर मॉडल तैयार कर रहे होते हैं। यह सीखना कक्षा की दीवारों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन से गहरे जुड़ा हुआ है।

एक मिशन, एक सपना: हर बच्चा बनेगा चेंजमेकर
PiKademy का विज़न साफ है—“एक दिन, हर बच्चा बदलाव का नेतृत्व करेगा।”इसके लिए संस्था सिर्फ छात्रों को परीक्षाओं के लिए नहीं, बल्किजीवनके लिए तैयार कर रही है।

PiKademy तीन मुख्य प्रोग्राम चलाता है:
फाउंडेशन स्कूल में बच्चे मुख्य विषय परियोजना आधारित शिक्षण के माध्यम से सीखते हैं। मूल्यांकन परीक्षाओं से नहीं, बल्कि प्रस्तुतियों, रिसर्च रिपोर्ट और समस्या-समाधान के आधार पर होता है।
Pi.X अन्य स्कूलों के छात्रों को डिजाइन थिंकिंग, थिएटर, विज्ञान प्रयोग और सहयोगी संस्थानों के दौरे का अवसर देता है।
Pi+ युवाओं को फिल्म निर्माण, उद्यमिता, संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य, इलेक्ट्रॉनिक्स और रोबोटिक्स जैसे विषयों में पेशेवर अनुभव दिलाता है—वह भी शीर्ष अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की साझेदारी में।

गली से ग्लोबल मंच तक: सफलता की कहानियाँ
PiKademy में हर छात्र की यात्रा अनोखी है।किसी ने खुद की मिनी-फिल्म बनाई, किसी ने स्वचालित नाव तैयार की, किसी ने डेटा के आधार पर नदी की सफाई का समाधान तैयार किया।
अकादमी ऑफ लाइटके साथ साझेदारी में बने फिल्म निर्माण कार्यक्रम में छात्रों ने अपनी फिल्में मुंबई में @roykapurfilms के थिएटर में दिखाई। इस मौके पर छात्रों ने अपनी कहानियों, सपनों और भविष्य की योजनाओं को साझा किया—जिन्हें सुनकर अनुभवी फिल्मकार भी मंत्रमुग्ध रह गए।
किसी और दिन, PiKademy को “संस्कृति के कार्निवल” में अपने इनोवेशन दिखाने का मौका मिला। यहाँ बच्चों ने बताया कि कैसे परियोजनाओं के जरिए वे अपने समुदाय में बदलाव ला रहे हैं।

शिक्षा का पुनर्निर्माण—क्यों और कैसे?
PiKademy का मानना है कि लगातार बदलती दुनिया में शिक्षा को स्थिर नहीं रहना चाहिए।इसलिए संस्था ने ऐसे स्कूलों की रचना की है जो प्रयोगशाला, मेकर स्पेस और नवाचार केंद्रों की तरह दिखते हैं।
यहाँ प्रोजेक्ट्स की शुरुआत एक सवाल से होती है,“यह समस्या हल कैसे होगी?”और अंत होता है,“हमने इसका समाधान तैयार कर लिया।”इस पूरी यात्रा में बच्चे टीमवर्क, रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान जैसे कौशल सीखते हैं—वह भी बिना बोझ, बिना डर, बिना रटने के दबाव के।

भविष्य की ओर कदम
PiKademy का लक्ष्य देशभर के प्रमुख शहरों में ऐसे स्कूल खोलने का है। मुंबई में 15 नए केंद्रों की तैयारी शुरू हो चुकी है।मौजूदा समय में 200 से अधिक बच्चे PiKademy के कार्यक्रमों से जुड़कर अपनी सीखने की दुनिया बदल रहे हैं।
सिर्फ एक कमरे से शुरू हुआ यह सपना आज उन पंखों में बदल रहा है, जो गली, मोहल्ले और झुग्गियों के बच्चों को आकाश की ऊँचाइयों की ओर उड़ने का मौका दे रहा है।
शिक्षा यहाँ किताबों का बोझ नहीं, बल्कि सपनों को आकार देने का साधन है—और यही PiKademy को असाधारण बनाता है।