आवाज द वाॅयस/ हैदराबाद
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) का गौरव बढ़ाते हुए इसकी शोधार्थी एस. झांसी को आंध्र प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा प्रतिष्ठित ‘उर्दू एक्सीलेंस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। यह उपलब्धि न सिर्फ विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है, बल्कि उर्दू भाषा के संवर्धन में युवाओं की बढ़ती भूमिका का भी प्रेरक संदेश देती है। अकादमी ने यह सम्मान उन्हें उर्दू के प्रचार–प्रसार में दिए गए उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया, जिसे एक दुर्लभ उपलब्धि माना जा रहा है।
एस. झांसी वर्तमान में MANUU के उर्दू विभाग में पीएचडी कर रही हैं। उन्होंने सितंबर 2023 में पीएचडी कार्यक्रम जॉइन किया था और डॉ. बी बी रज़ा खातून की निगरानी में शोध कार्य कर रही हैं। उनका समर्पण, भाषा के प्रति उनका जुनून और शोध के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें अपने समकालीन शोधार्थियों से अलग खड़ा करती है।
यह पुरस्कार उन्हें भारत के पहले शिक्षा मंत्री और महान चिंतक मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया गया। कार्यक्रम में अकादमी ने विशेष रूप से झांसी की ‘उर्दू की उड़ान’ जैसे अभियानों में सक्रिय भागीदारी की सराहना की—जो आंध्र प्रदेश में उर्दू भाषा को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे हैं। इस पहल के माध्यम से वे न केवल उर्दू सीखने को बढ़ावा देती हैं, बल्कि युवाओं में भाषा के सांस्कृतिक महत्व के प्रति जागरूकता भी उत्पन्न करती हैं।
सम्मान प्राप्त करते हुए झांसी ने कहा, “भाषा का धर्म से कोई संबंध नहीं होता; यह संस्कृति तक पहुँचने का सेतु मात्र है।” उनका यह संदेश न केवल उर्दू भाषा की भावना को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उनके उस मिशन को और मजबूत करता है जिसका उद्देश्य भाषा के माध्यम से समाज में आपसी समझ, प्रेम और सद्भाव को बढ़ाना है।
इस उपलब्धि ने MANUU की शैक्षणिक प्रतिष्ठा को और ऊँचा किया है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने भी इस गौरवपूर्ण पल को पूरे उत्साह से मनाया। उपकुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन और रजिस्ट्रार प्रो. इश्तियाक़ अहमद ने झांसी को बधाई देते हुए कहा कि उनका यह सम्मान विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को नए सिरे से रेखांकित करता है। MANUU परिवार ने भी इस सफलता पर उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।
यह सम्मान न सिर्फ एक छात्रा की उपलब्धि है, बल्कि उर्दू भाषा के भविष्य के लिए उम्मीद का उजाला भी है।