पापू अली: नौकरी के इंतजार से आजिज आए, लगा दिया कामयाब चप्पल कारखाना

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 12-08-2024
Papu Ali: Tired of waiting for a job, he set up a successful slipper factory
Papu Ali: Tired of waiting for a job, he set up a successful slipper factory

 

अरिफुल इस्लाम / गुवाहाटी

असम के युवाओं के मन और विचारों में कार्य संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ रही है. प्रदेश में कई युवा अब कार्य संस्कृति को अपनाकर आत्मनिर्भर बन गये हैं. जहां लाखों बेरोजगार सरकारी नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं नलबाड़ी जिले के एक युवक ने लघु उद्यम के जरिए आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है.

यह आत्मनिर्भर युवक नलबाड़ी जिले के धरमपुर निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत पाकवा गांव का पापू अली है. उन्होंने घर पर ही एक छोटा सा चप्पल उद्योग स्थापित किया है. ‘पुना’ नाम से चप्पल की फैक्ट्री स्थापित कर वह आत्मनिर्भर बन गए हैं और गांव के चार-पांच अन्य बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार मुहैया कराया है.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/172260433626_Papu_Ali_Tired_of_waiting_for_a_job,_he_set_up_a_successful_slipper_factory_2.jfif

पापू अली तरह-तरह के डिजाइन के सैंडल बनाते हैं


आवाज-द वॉइस के साथ एक इंटरव्यू में पापू अली ने कहा, ‘‘कई वर्षों से मैं विभिन्न नौकरी के साक्षात्कारों से जूझ रहा हूं. मैं रोजगार के लिए विदेश गया था. बाद में मुझे लगा कि मैं बूढ़ा हो जाऊंगा और जीवन में कुछ नहीं कर पाऊंगा. इसलिए मैंने घर पर ही कुछ छोटा करने का फैसला किया, जिससे मैं गुजारा कर सकता था. दो महीने नौकरी की, लेकिन मैं इससे अधिक कुछ नहीं कर सकता, इसलिए मुझे समय के साथ खुद में सुधार की उम्मीद है.’’

काम को अपना धर्म मानने वाले इस उद्यमी ने चप्पल उद्योग के लिए अहमदाबाद से चप्पल बनाने की मशीन मंगवाई है. वह अमिंगांव से चप्पल का कच्चा माल जैसे रबर और चप्पल की पट्टियां खरीदते हैं. पापू अली ने बताया कि वह एक दिन में करीब 600 से 700 सैंडल बनाते हैं.

असम में बेरोजगारों को संबोधित करते हुए छोटे उद्यमी पापू अली ने कहा, ‘‘नौकरी के लिए बैठकर इंतजार करना पर्याप्त नहीं है. जो लोग नौकरी के लिए प्रयास कर रहे हैं, वे नौकरी की तलाश जारी रखते हुए अपने दम पर कुछ भी कर सकते हैं. यह आत्मनिर्भर बनने का समय है. मैंने कई लोगों को आलसी होते देखा है.’’ इसलिए अगर आप खुद काम करना शुरू कर दें, तो आपको काफी फायदा हो सकता है.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/172260435826_Papu_Ali_Tired_of_waiting_for_a_job,_he_set_up_a_successful_slipper_factory_3.jfif

वर्तमान में, वह इस उद्योग के माध्यम से प्रति दिन 4,000 से 5,000 रुपये कमा रहे हैं. वह थोक मूल्य पर गुवाहाटी, बारपेटा, बक्सा और नलबाड़ी जिलों में विभिन्न डिजाइनों के सैंडल की आपूर्ति करता है. कड़ी मेहनत, लगन और सकारात्मक सोच से सफलता के शिखर पर चढ़ने की कोशिश करने वाले पापू अली अब इलाके के बेरोजगार युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गये हैं. भविष्य में, वह डिस्पोजेबल खाद्य उद्योग और अन्य आवश्यक वस्तु उद्योग विकसित करने की उम्मीद करते हैं. इस युवक को उसके इस कदम के लिए कई लोगों ने बधाई दी है.

गौरतलब है कि असम के विभिन्न हिस्सों से पापू अली जैसे कई उद्यमशील युवा नौकरी का इंतजार किए बिना अपनी कड़ी मेहनत और एकाग्रता से आत्मनिर्भर बन गए हैं. ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से आपको ये उत्पाद नहीं खरीदने चाहिए. यही कारण हैं कि आपको ये उत्पाद नहीं खरीदने चाहिए. उन्होंने कृषि में क्रांति लाने का सपना देखा और अब वह राज्य में एक सफल किसान के रूप में स्थापित हैं. हुसैन कई अन्य युवाओं को भी रोजगार दिलाने में सफल रहे हैं.

इस बीच, नलबाड़ी जिले के एक और युवा, मेहबूब अली, बांस और बल्ले उद्योग में आत्मनिर्भर बन गए हैं. उन्होंने बांस के स्कूटर और कई अन्य लग्जरी चीजें बनाई हैं. आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम करने वाले एक और युवा हैं दरंग जिले के हबीबुर रहमान. वह किसानों को उनके उत्पादों को विदेशों में निर्यात करने में मदद करने के लिए ‘सेउजमुखी एग्रो प्रोड्यूसर लिमिटेड’ नामक प्रतिष्ठान का नेतृत्व कर रहे हैं.