पूर्व अफगान शरणार्थी महिला फातिमा पेमैन ऑस्ट्रेलिया की बनी पहली कम उम्र सांसद

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 22-06-2022
पूर्व अफगान शरणार्थी  पहली हिजाबी मुस्लिम महिला ऑस्ट्रेलियाई संसद की बनीं
पूर्व अफगान शरणार्थी  पहली हिजाबी मुस्लिम महिला ऑस्ट्रेलियाई संसद की बनीं

 

मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
 
हौसला हो तो पराये देश में भी शरणार्थी बहुत कुछ कर सकते हैं. इसे साबित कर दिखाया है अफगान शरणार्थी फातिमा पेमैन ने. वो ऑस्ट्रेलियाई संसद में हिजाब पहनने वाली पहली और वह भी कम उम्र महिला बन गई हैं.अफगानिस्तान की एक पूर्व शरणार्थी पेमैन ने यह उपलब्धि तब हासिल की जब पूरा विश्व शरणार्थी दिवस मना रहा था.

एबीसी न्यूज के अनुसार, पेमैन ने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की छठी और अंतिम सीनेट जीत ली है. वह लेबर पार्टी की उम्मीदवार थी. 27 वर्षीय पेमैन सीनेट के इतिहास में तीसरे सबसे कम उम्र की सीनेटर हैं.
जीत के साथ ट्विटर पर उन्होंने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के लिए सीनेटर के रूप में अपने चुने जाने की घोषणा की. उन्होंने सभी को धन्यवाद देते हुए लिखा, “हम जीत गए !!! मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि मुझे आधिकारिक तौर पर पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के लिए सीनेटर के रूप में चुना गया.
 
आपके प्यार और समर्थन के लिए आप सभी का धन्यवाद! हमने कर दिया! हम जीत गए !!!इसपर प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने ट्विटर पर बधाई देने में देरी नहीं की.
अफगानिस्तान से ऑस्ट्रेलिया के संसद तक की कहानी

अब पेमैन एक सीनेटर के रूप में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगी. ऐसा करने वाली हिजाब पहनने वाली पहली मुस्लिम महिला होंगी. देश के लिए छठे सीनेटर के रूप में जीतकर, वह संसद में पहली अफगान ऑस्ट्रेलियाई भी हैं.
 
पेमैन ने एक साक्षात्कार में कहा, उनके पिता ने 1999 में अफगानिस्तान से भागकर ऑस्ट्रेलिया में राजनीतिक शरण ली थी. उन्होंने 2003 में अपने परिवार को आगे लाने के लिए अलग-अलग काम किए. पेमैन का पालन-पोषण पर्थ के उत्तरी उपनगरों में चार बच्चों की सबसे बड़ी बेटी के रूप में हुआ.
 
वह बताती हैं, “मेरे पिता ने सचमुच हमारे लिए एक बेहतर देश खोजने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी. उन्होंने 11 रातों तक नाव से यात्रा की. नाव से यात्रा करने वालों को आम तौर पर अपराधी और बुरे लोगों के रूप में देखा जाता है. उन्होंने कहा, मैं अपने पिता के इस संघर्ष इस तरह नहीं देखती. वह  शरण चाहते थे. जीवित रहने के लिए उन्हें एक सुरक्षित जगह की तलाश थी.
पेमैन का सियासी सफर

पेमैन का राजनीतिक करियर  पिता के संघर्षों और यूनाइटेड वर्कर्स यूनियन के साथ भागीदारी के प्रेरणा का नतीजा है. वह बताती हैं सियासत में उन्हें अपने पिता के समान संघर्ष करने वाले कई कार्यकर्ता मिले.वह कहती हैं,“एक कामकाजी वर्ग की पृष्ठभूमि से आने के कारण,
 
मैंने देखा कि मेरे माता-पिता दिन-रात बहुत मेहनत करते हैं ताकि वे अपना गुजारा कर सकें. किसी भी परिवार की तरह भोजन पाने के लिए, सुनिश्चित करते थे कि उन्हें अच्छी शिक्षा मिले. अपने पिता को ल्यूकेमिया से खोने के बाद उन्हें तय कर लिया था कि वह पिता के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगी. ”
 
उन्होंने कहा कि वह न केवल उन लोगों के लिए खड़ी हैं जो शरणार्थी, अप्रवासी, रंगभेद या मुसलमान हैं, बल्कि पूरी तरह से ऑस्ट्रेलियाई आबादी के लिए खड़ी हैं. “उन्होंने कहा,हां, यह सच है कि मैं हिजाब पहनने वाली पहली सांसद बनी हूं, लेकिन मेरे श्रम मूल्य है, जो मुझे यहां तक ले आया.
 
इससे पहले कि मैं कुछ और पहचानी जाऊं, मैं एक लेबर सीनेटर हूं. इसलिए मैं आकांक्षा करती हूं या परिवर्तन देखना चाहती हूं, ऐसी चीजें जो बहुसांस्कृतिक लोगों को आवाज देती हैं और उन्हें संसद में प्रतिबिंबित करती हैं. ”
मुबाकरबाद का लगा तांता

ग्रीन सीनेटर मेहरीन फारूकी ने ट्विटर पर पेमैन की सराहना करते हुए कहा, “एक और मुस्लिम महिला का सीनेट में शामिल होना वास्तव में बहुत अच्छा है. प्रतिनिधित्व मायने रखता है, और मैं फातिमा के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं. बधाई हो.
सत्तारूढ़ लेबर सरकार में पहली महिला मुस्लिम मंत्री, ऐनी एली, और कैबिनेट में सेवा करने वाली पहली मुस्लिम, एड हुसिक सहित एक अन्य मंत्री लाइनअप ने कहा, हिजाबी सीनेटर के रूप में फातिमा पेमैन की जीत उच्च सदन में महत्वपूर्ण है, जहां ऑस्ट्रेलिया की वन नेशन पार्टी के नेता पॉलीन हैनसन जैसे नेताओं ने देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ कई चुनौतियां देखी हैं.