अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के एक हिंदू छात्र अखिल कौशल ने विश्वविद्यालय प्रशासन से दीपोत्सव, पटाखों और मिठाइयों के साथ दीवाली मनाने की अनुमति मांगी है। उन्होंने इस संबंध में कुलपति को एक पत्र लिखा है।
अखिल कौशल, जो एएमयू के सोशल साइंस और मास कम्युनिकेशन विभाग के छात्र हैं, ने मीडिया से बात करते हुए कहा,“मैंने कुलपति महोदय को पत्र लिखा है कि हमें विश्वविद्यालय में दीपावली का कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी जाए। इसमें दीपोत्सव, आतिशबाज़ी और मिठाई वितरण शामिल होगा। हम विश्वविद्यालय के वैध छात्र हैं और कोई बड़ा कार्यक्रम करने के लिए प्रशासन की अनुमति ज़रूरी होती है।”
उन्होंने आगे कहा कि,“होली पर प्रशासन ने हमें अनुमति नहीं दी थी, जो उनकी गलती थी। उम्मीद है कि इस बार वह ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे। अगर हमें अनुमति नहीं दी जाती, तो एएमयू के बाब-ए-सैयद गेट पर हम हिंदू छात्र जोर-शोर से दीवाली मनाएंगे।”
एएमयू के प्रोवोस्ट प्रोफेसर वसीम अली ने छात्र की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,“दीवाली मनाने पर कोई रोक नहीं है। अखिल हमारे विश्वविद्यालय के छात्र हैं। उन्होंने एनआरएससी क्लब में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। हमने स्पष्ट किया कि आयोजन पर कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए अलग से लिखित अनुमति की ज़रूरत नहीं है।”
हालांकि, उन्होंने आयोजन की तारीख को लेकर व्यावहारिक दिक्कत बताई।“छात्र 18 अक्टूबर को कार्यक्रम करना चाहते हैं, लेकिन 17 अक्टूबर को एक बड़ा आयोजन हो रहा है। उस स्थान की सफाई एक दिन में संभव नहीं है। उन्होंने खुद भी 1-2 दिन का समय मांगा है, ताकि जगह को साफ कर दीपावली उचित तरीके से मना सकें।”
दीवाली भारत का प्रमुख प्रकाश पर्व है। 'दीपावली' का अर्थ है दीयों की पंक्ति। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।
दीवाली पांच दिनों का त्योहार होता है:
-
धनतेरस: इस दिन लोग बर्तन, आभूषण आदि खरीदते हैं और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं।
-
नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली): राक्षस नरकासुर पर भगवान कृष्ण की विजय का उत्सव।
-
मुख्य दीवाली: इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा कर समृद्धि की कामना की जाती है।
-
गोवर्धन पूजा: भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की याद में यह पूजा होती है।
-
भाई दूज: इस दिन बहनें भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते हैं।
अखिल कौशल और अन्य छात्रों की यह पहल एएमयू परिसर में सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाने वाली है।