हैदराबाद
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद इस साल 19 अक्टूबर को पारंपरिक और भव्य सदर महोत्सव (जिसे डुन्ना पोटुला पंडुगा भी कहा जाता है) मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह पर्व यादव समुदाय का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे इस वर्ष तेलंगाना सरकार ने राजकीय उत्सव घोषित किया है।
कांग्रेस सांसद अनिल कुमार यादव ने इस अवसर पर यादव समुदाय के साथ बैठक की और उत्सव की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने समुदाय के सदस्यों के साथ पारंपरिक सदर नृत्य में भाग लिया और हाथ में हॉकी स्टिक लेकर परंपरागत अंदाज में जश्न मनाया।
सांसद अनिल कुमार यादव ने कहा,"सदर त्योहार यादव समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन सभी सदस्य एकजुट होकर उत्सव मनाते हैं। जब से कांग्रेस की सरकार तेलंगाना में बनी है, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इस त्योहार को राजकीय मान्यता दी है। इससे यादव समुदाय में भारी उत्साह है।"
सदर महोत्सव विशेष रूप से भैंसों को समर्पित होता है, जो यादव समुदाय की आजीविका का मुख्य आधार हैं। इस अवसर पर सुंदर ढंग से सजाई गई भैंसों को सड़कों पर जुलूस के रूप में निकाला जाता है। उनके सींगों को रंगा जाता है, गले में मालाएं, घुंघरू, और पैरों में घंटियां पहनाई जाती हैं। यह नजारा देखते ही बनता है। पारंपरिक ढोल-नगाड़ों और संगीत के साथ यह उत्सव जीवन्त हो उठता है।
इस त्योहार की जड़ें द्वापर युग की कथा से जुड़ी हैं, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने एक पर्वत उठाकर लोगों की रक्षा की थी। वर्ष 1942 में यादव समुदाय द्वारा इस उत्सव की शुरुआत की गई थी, और तब से यह एक विशाल सांस्कृतिक आयोजन बन गया है। नवम्बर 2024 में तेलंगाना सरकार ने इसे राज्य उत्सव घोषित किया था, ताकि इसकी सांस्कृतिक महत्ता को सम्मान दिया जा सके और क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
इस बार सदर महोत्सव हैदराबाद के कई प्रमुख इलाकों में मनाया जाएगा, जिनमें शामिल हैं:
नारायणगुड़ा: यहाँ सबसे बड़ा आयोजन होता है, जिसे "पेडा सदर" कहा जाता है।
शैखपेट: सदर के उत्सवों के लिए प्रसिद्ध इलाका।
सैदाबाद: जहाँ हर साल रंगारंग कार्यक्रम होते हैं।
अमीरपेट: सांस्कृतिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र।
खैरताबाद: एक और प्रमुख स्थान जहाँ सदर महोत्सव का भव्य आयोजन होता है।
तेलंगाना सरकार ने GHMC के आयुक्तों और जिलाधिकारियों से आग्रह किया है कि वे इस उत्सव को भव्यता और उत्साह के साथ मनाएं। राज्य सरकार का मानना है कि इस प्रकार के त्योहार सांस्कृतिक एकता, पर्यटन और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देते हैं।