दिवाली 2025: सस्ती हुई खरीदारी, बढ़ी बाज़ार की रौनक

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-10-2025
Diwali 2025: Shopping becomes cheaper, market becomes livelier
Diwali 2025: Shopping becomes cheaper, market becomes livelier

 

अनीता

कार्तिक मास में कृष्ण पद्वा की त्रयोदशी पर धनतेरस के साथ दीवाली की धूम शुरू हो जाती है. भाई दूज और गोवर्द्धन पूजन तक जारी रहती है. 2025 का यह दिवाली-मौसम भारतीय उपभोक्ता एवं व्यापार जगत के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है. सरकार ने ’’जीएसटी 2.0’’ के नाम से कर प्रणाली में बड़े बदलाव किए हैं. इन बदलावों से आम रोजमर्रा की चीजों के अलावा “लग्जरी वस्तुएँ” भी सस्ती हो गई हैं.

2025 में सरकार ने घोषणा की कि भारत में जीएसटी प्रणाली को सरलीकृत करके मूलतः दो स्लैब (5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत ) लागू किए जाएंगे। पुराने चार स्लैब (5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत ) को समेकित कर दिया गया है, और 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की श्रेणियाँ समाप्त की गईं. 

छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स, टीवी, एयर कंडीशनर आदि को 28ः से घटाकर 18ः कर दिया गया है, जिससे उनकी कीमतों में गिरावट आई है. छोटे पेट्रोल व डीजल वाहनों पर भी राहत दी गई है. अर्थात् उनकी जीएसटी दर 18 प्रतिशत होगी. इसलिए कारें सस्ती हो गई हैं और कारों की बिक्री ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं. इस तरह, सामान्य वस्तुएँ अधिकांशतः “सस्ती” श्रेणी में आई हैं, लेकिन ’’उच्च श्रेणी की लक्जरी वस्तुएँ’’ अब अधिक कर के दायरे में आ गई हैं.
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सेल वॉल्यूम बढ़ा

धनतेरस और दिवाली बाजार भारत में हमेशा से ही “खरीदारी महोत्सव” रहे हैं. लोग सोना, चांदी, गहने, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू उपयोग, बर्तन, सजावट सामग्री आदि खरीदते हैं. जीएसटी घटने का असर बाजार में साफ दिख रहा है. बाजारों में ’’रौनक’’ पहले ही दिखने लगी है. दुकानों को सजाया गया, नए संग्रह व ऑफर्स लाए गए.
ज्वैलरी बाजारों में लोगों की उम्मीद है कि ’’सोना, चांदी के छोटे गहने’’ की मांग बढ़ेगी, क्योंकि सोना 1.30 लाख रुपए प्रति दस ग्राम तब पहुंच गया है.

इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, एयर कंडीशनर आदि, जिन पर कर घटाया गया है, उनकी मांग बढ़ने की संभावनाएँ हैं. अधिकांश ग्राहक मध्य श्रेणी की खरीदारी करेंगे. छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स, सजावटी सामान, छोटे गहने आदि.

बड़ी, महंगी वस्तुएँ शायद “सोच-समझकर” खरीदी जाएंगी. ऑफर्स, योजनाएँ, इंस्टालमेंट विकल्प आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे. शहरों में भीड़ रहेगी, लेकिन ग्रामीण और छोटे शहरों में अपेक्षाकृत मध्यम गतिविधि हो सकती है. ऑनलाइन बिक्री तेज होगी, क्योंकि डिलीवरी सुविधा, छूट आदि आकर्षण बढ़ाएँगी.
Delhi-NCR's 2025 Diwali melas feature diverse shopping, food, and cultural festivities.
उद्यमियों की धारणा सकारात्मक

कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इस दिवाली पर खर्च किया गया हर रुपया न केवल उपभोक्ताओं की खुशी बढ़ाएगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था, कारीगरों और स्थानीय व्यापारियों को भी मजबूती देगा.

खंडेलवाल के अनुसार, त्योहारी प्रधानमंत्री मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान का असर साफ नजर आ रहा है. लोग अब स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं और बाजार भारतीय सामानों से भरे पड़े हैं.

कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान से लेकर सजावटी वस्तुओं तक, हर जगह भारतीय ब्रांड्स की पकड़ मजबूत हो चुकी है. दिलचस्प बात यह है कि इस बार चीनी सामान बाजार से लगभग गायब हो चुके हैं.

उपभोक्ता अब विदेशी की बजाय भारतीय वस्तुओं पर भरोसा कर रहे हैं. खासकर दिवाली की सजावट और पूजा से जुड़े सामान स्थानीय स्तर पर तैयार हो रहे हैं. कैट का अनुमान है कि दिल्ली की तरह देशभर के बाजार भी इस बार ऐतिहासिक बिक्री दर्ज करेंगे.पूरे भारत में त्योहारी सीजन का कुल कारोबार 4.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंचने की उम्मीद हैं यह भारतीय खुदरा अर्थव्यवस्था के लिए नया रिकॉर्ड साबित होगा.

महेंद्रा ग्रुप के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने जीएसटी में बदलाव प्रणाली को सरल बनाएगा, खरीद को सस्ते करेगा और उद्योगों को आगे बढ़ने की राह खोलेगा. जब ऑटोमोबाइल कंपनियों ने वाहन दामों में कटौती की, तो उन्होंने इसे सकारात्मक कदम माना. 

लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय कार्यकारिण सदस्य एवं उद्योगपति अरुण बजाज का कहना है कि इस साल धनतेरस और दिवाली पर जीएसटी के नए वर्जन से मार्केट में एक अच्छा वातावरण बन गया है.

वैसे तो इससे सभी वर्ग के लोगों को लाभ मिलेगा, परंतु विशेष तौर पर निम्न और मध्यम वर्ग के लोागें को बहुत राहत महसूस हो रही है. कुल मिलाकर, लोगों में सकारात्मक सोच का संचार हो रहा है। इसके परिणाम भी दिखाई देने लग गए हैं. भारतीय ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में मजबूती देखने को मिल रही है.

त्योहारी सीजन में उद्योग जगत के ये विचार बाजार में उठान के लिए सकरात्मक दृष्टिकोण रखते हैं. जिससे लक्जरी और घरेलू उपभेग के सामानों की बिक्री में सकारात्मक घटनाक्रम देखने को मिलेगा. उद्योग जगत सुधारों को “उत्साहवर्धक” मान रहा है और उम्मीद कर रहा है कि त्योहारों पर ये सुधार उपभोक्ताओं को भी आकर्षित करें.

कई विश्लेषक, बड़े व्यवसायी और व्यापार संगठन इस बदलाव को “दीवाली गिफ्ट” कह रहे हैं, लेकिन साथ ही सावधानी बरतने की चेतावनी दे रहे हैं कि लाभ जो ग्राहक को पहुँचाना है, वह वास्तविक हो.