अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) के एनाटॉमी विभाग ने ‘वर्ल्ड एनाटॉमी डे’ के अवसर पर प्रथम वर्ष के एमबीबीएस छात्रों के लिए कैडेवरिक शपथ समारोह का आयोजन किया। यह कार्यक्रम विभागाध्यक्ष प्रो. फ़ज़ल उर रहमान के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ नेमा उस्मान द्वारा वर्ल्ड एनाटॉमी डे 2025 की थीम — “एनाटॉमी के वैश्विक दृष्टिकोण” — के परिचय से हुई। इसके बाद प्रो. फ़ज़ल उर रहमान ने छात्रों को कैडेवरिक शपथ दिलाई। इस शपथ में छात्रों ने चिकित्सा शिक्षा हेतु शरीरदान करने वाले मानव अंगों के प्रति सम्मान, गरिमा और नैतिक आचरण को बनाए रखने की प्रतिज्ञा ली।
प्रो. रहमान ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कैडावर (शव) एक बार जीवित रहे व्यक्ति होते हैं, जिन्होंने चिकित्सा विज्ञान की उन्नति के लिए निःस्वार्थ भाव से अपने शरीर का दान किया है। उन्होंने छात्रों से अध्ययन के दौरान गहन श्रद्धा और कृतज्ञता बनाए रखने की अपील की।
प्रो. फ़रहान किर्मानी ने कैडावर को हर मेडिकल छात्र का "पहला शिक्षक" बताया, जबकि डॉ एस.के. गौर (अध्यक्ष, देहदानकर्तव्य संस्था, अलीगढ़) ने शरीरदान की महत्ता पर प्रकाश डाला और इसे चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान को सशक्त बनाने का आधार बताया।
इस अवसर पर प्रो. फरहा ग़ौस, प्रो. सालाउद्दीन अंसारी, डॉ. दावर हुसैन और डॉ. अरशद भी उपस्थित रहे। आयोजन समिति में डॉ. विश्वानी, डॉ. रजालक्ष्मी, डॉ. दिव्या, और डॉ. दिलशाद शामिल थे। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जावेद ने किया।
यह आयोजन चिकित्सा शिक्षा की नैतिक नींव और शरीरदानकर्ताओं के अमूल्य योगदान को स्मरण करने का एक भावपूर्ण अवसर बना, जिससे भावी चिकित्सकों में संवेदनशीलता और कर्तव्यबोध का विकास होता है।