नेपाल में जेन-ज़ी आंदोलन ने सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम के रूप में प्रस्तावित किया

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 10-09-2025
Who is Sushila Karki? Nepal’s Gen-Z protesters want ex-chief justice as the interim prime minister
Who is Sushila Karki? Nepal’s Gen-Z protesters want ex-chief justice as the interim prime minister

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली/ काठमांडू 

नेपाल के जेनरेशन-ज़ी (Gen-Z) द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम का प्रस्ताव रखा है। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव ने बुधवार को रॉयटर्स को दी।
 
यह निर्णय एक लगभग चार घंटे चली वर्चुअल बैठक के बाद आया, जिसमें प्रतिभागियों ने सहमति व्यक्त की कि किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़े युवाओं को नेतृत्व की चर्चा में शामिल नहीं किया जाएगा। न्यायमूर्ति कार्की को उनकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता के कारण चुना गया है। वे नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं।
 
इस मांग की पृष्ठभूमि में जेन-ज़ी के नेतृत्व में हो रहे तीव्र भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शन हैं, जो एक प्रस्तावित सोशल मीडिया प्रतिबंध के बाद हिंसक हो गए। सोमवार को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई। इस दौरान संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री निवास, प्रमुख दलों के मुख्यालय और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी गई।
 
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून, 1952 को बिराटनगर में हुआ था। उन्होंने राजनीति शास्त्र और विधि में शिक्षा ग्रहण की और कानूनी सुधार में एक प्रतिष्ठित करियर शुरू किया। उन्होंने 1972 में महेन्द्र मोरंग क्याम्पस, बिराटनगर से स्नातक (BA) किया, 1975 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर (MA) की डिग्री प्राप्त की और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से विधि की पढ़ाई पूरी की।
 
कार्की ने 1979 में बिराटनगर में वकालत शुरू की और 1985 में महेन्द्र मल्टिपल क्याम्पस, धरान में सहायक प्राध्यापक के रूप में भी कार्य किया। उन्हें 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता घोषित किया गया। 22 जनवरी 2009 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट की ऐड-हॉक न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 18 नवंबर 2010 को स्थायी न्यायाधीश बनीं। उन्होंने 13 अप्रैल से 10 जुलाई 2016 तक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और फिर 11 जुलाई 2016 से 7 जून 2017 तक नेपाल की मुख्य न्यायाधीश रहीं।
 
अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संक्रमणकालीन न्याय और चुनावी विवादों से जुड़े कई ऐतिहासिक मामलों की अध्यक्षता की, जिससे न्यायपालिका की लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में भूमिका और मजबूत हुई। 30 अप्रैल 2017 को उनके खिलाफ माओवादी केंद्र और नेपाली कांग्रेस द्वारा संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, जिसे जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद वापस ले लिया गया।
 
सुशीला कार्की ने नेपाली कांग्रेस के प्रमुख युवा नेता दुर्गा प्रसाद सुवेदी से विवाह किया, जिनसे उनकी मुलाकात बनारस में पढ़ाई के दौरान हुई थी।