कोलकाता
बॉन्ड बाजार में प्रतिफलों (यील्ड्स) में तेजी के कारण कंपनियों के लिए पूंजी जुटाना महंगा हो गया है, जिससे वे अब दोबारा वाणिज्यिक बैंकों से कर्ज लेने की दिशा में लौट सकती हैं। यह बात भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कही।
एसबीआई के प्रबंध निदेशक (अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग और वैश्विक परिचालन) राम मोहन राव अमारा ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक कार्यक्रम में कहा:"पहली तिमाही में करीब 3 लाख करोड़ रुपये के डेट इंस्ट्रूमेंट्स (ऋण पत्र) जारी किए गए थे, लेकिन अब उनकी मात्रा घट रही है क्योंकि बॉन्ड प्रतिफल बढ़ रहे हैं।"
उन्होंने बताया कि 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल 6.6% तक पहुंच गया है, जबकि राज्य सरकारों के 30 साल के बॉन्ड का प्रतिफल 7.5% तक चला गया है।“अगर यह रुझान जारी रहा, तो कंपनियां कर्ज के लिए बैंकों की ओर लौटेंगी।”
उन्होंने कहा कि यह स्थिति गतिशील है और इसका लगातार आकलन किया जाना चाहिए।अंतरराष्ट्रीय शुल्कों के बारे में पूछे जाने पर अमारा ने कहा कि अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाने के असर का आकलन चालू तिमाही में किया जा सकेगा।
इससे पहले अमारा ने भरोसा जताया कि घरेलू बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी उपलब्ध है और वे आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि बैंक नवीकरणीय ऊर्जा, स्टार्ट-अप और अन्य उभरते क्षेत्रों को भी ऋण देने में रुचि रखते हैं।