आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
पंजाब में हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ ने हजारों परिवारों को बेघर कर दिया है और जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. चारों ओर तबाही का मंज़र है, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में कई संगठन आगे बढ़कर पीड़ितों का सहारा बन रहे हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के बाद, अब जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) भी राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए मैदान में उतर आया है.
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों में से एक, यह संगठन न केवल तत्काल राहत पहुंचा रहा है, बल्कि बाढ़ से तबाह हुए पंजाब को फिर से पटरी पर लाने के लिए एक व्यापक पुनर्वास कार्यक्रम की योजना भी बना रहा है.
बाढ़ के पानी से बर्बाद हुए घर, खेत और सड़कें पुनर्निर्माण की मांग कर रहे हैं. इसी उद्देश्य से, हाल ही में जमात-ए-इस्लामी हिंद के एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.
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इस दौरे का मुख्य लक्ष्य जमीनी स्थिति का आकलन करना और एक दीर्घकालिक पुनर्वास रणनीति तैयार करना था. मौलाना शफी मदनी, जो जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय सचिव हैं, ने अन्य जमात नेताओं के साथ मिलकर सुल्तानपुर लोधी के संगरा और बाऊपुर जदीद गाँवों का दौरा किया.
इन क्षेत्रों में बाढ़ का कहर स्पष्ट रूप से दिख रहा था। पठानकोट जिले के सुंदर चक और बहादुरपुर जैसे गाँवों में भी भारी नुकसान हुआ है. सबसे दुखद स्थिति कोलिया गाँव की थी, जहाँ 30 से अधिक पक्के घर बाढ़ में बह गए.
इस त्रासदी में चार लोगों की जान चली गई, जिनमें तीन मासूम भाई-बहन और उनकी 75 वर्षीय दादी शामिल थीं. यह दर्दनाक घटना दिल दहला देने वाली है और यह दर्शाती है कि बाढ़ ने न केवल संपत्ति, बल्कि जीवन को भी किस हद तक प्रभावित किया है.
प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा के दौरान सिख समुदाय के नेताओं, स्थानीय अधिकारियों और प्रभावित ग्रामीणों से सीधे बातचीत की. इस चर्चा का उद्देश्य उनकी तत्काल जरूरतों को समझना था. ग्रामीणों ने भोजन, स्वच्छ पेयजल, आश्रय और चिकित्सा सुविधाओं की कमी की शिकायत की.
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इन सभी जरूरतों को गंभीरता से लिया और तत्काल राहत पहुंचाने का काम शुरू कर दिया. संगठन के स्वयंसेवक, सोसाइटी फॉर ब्राइट फ्यूचर के साथ मिलकर, राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। वे विस्थापित परिवारों को भोजन किट, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित कर रहे हैं.
मौलाना शफी मदनी ने इस स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हम बाढ़ पीड़ितों की कठिनाइयों को लेकर बेहद चिंतित हैं. जमात-ए-इस्लामी हिंद, अपने सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर, सामान्य स्थिति पूरी तरह बहाल होने तक सभी प्रकार की बुनियादी सहायता - भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य सेवा और पुनर्वास - प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है."
उनका यह बयान संगठन की मानवीय सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह सिर्फ एक तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक योजना है जिसका उद्देश्य पीड़ितों को उनके पैरों पर फिर से खड़ा होने में मदद करना है.
संगठन का मानना है कि केवल तात्कालिक राहत पर्याप्त नहीं है. स्थायी समाधान के लिए पुनर्वास कार्यक्रम पर काम करना होगा. मौलाना मदनी ने कहा, "जमात-ए-इस्लामी हिंद बाढ़ प्रभावित समुदायों के साथ खड़ा रहेगा और उनकी राहत और पुनर्वास के लिए अथक प्रयास करेगा."
उन्होंने सरकार से भी अपील की है कि वह राहत वितरण में तेजी लाए, बुनियादी ढांचे में सुधार करे और प्रभावित परिवारों के लिए पर्याप्त मुआवजा पैकेज की घोषणा करे.
इस संकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर जोर देते हुए मौलाना मदनी ने आम जनता और शुभचिंतकों से भी आग्रह किया कि वे आगे आएं और इन परिवारों की मदद के लिए हाथ बढ़ाएं.
𝐉𝐚𝐦𝐚𝐚𝐭-𝐞-𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢 𝐇𝐢𝐧𝐝 𝐓𝐞𝐚𝐦 𝐕𝐢𝐬𝐢𝐭𝐬 𝐅𝐥𝐨𝐨𝐝-𝐇𝐢𝐭 𝐀𝐫𝐞𝐚𝐬 𝐢𝐧 𝐏𝐮𝐧𝐣𝐚𝐛, 𝐀𝐬𝐬𝐮𝐫𝐞𝐬 𝐂𝐨𝐦𝐩𝐫𝐞𝐡𝐞𝐧𝐬𝐢𝐯𝐞 𝐑𝐞𝐥𝐢𝐞𝐟 𝐚𝐧𝐝 𝐑𝐞𝐡𝐚𝐛𝐢𝐥𝐢𝐭𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧
— Jamaat-e-Islami Hind (@JIHMarkaz) September 9, 2025
New Delhi : Maulana Shafi Madani, National Secretary of Jamaat-e-Islami Hind… pic.twitter.com/jTl0pHqNYk
जमात-ए-इस्लामी हिंद का यह कदम न केवल मुस्लिम समुदाय, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है. यह दिखाता है कि जब आपदा आती है, तो सभी समुदायों को एकजुट होकर मानवता की सेवा करनी चाहिए. यह संगठन सिर्फ राहत सामग्री नहीं पहुंचा रहा है, बल्कि उम्मीद और विश्वास भी जगा रहा है कि इस अंधेरे में भी, सहायता और भाईचारे की किरण मौजूद है.