ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका में ‘नरसंहार’ का आरोप लगाया, अफ्रीकी समूहों ने खारिज किया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 20-05-2025
Trump accuses South Africa of 'genocide', African groups reject it
Trump accuses South Africa of 'genocide', African groups reject it

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
दक्षिण अफ्रीका के किसानों ने वहां कृषि क्षेत्र पर हुए हमलों की याद में बनाए गए स्मारक का दौरा किया और इस हमले में मारे गए श्वेत और काले दोनों वर्ग के अफ्रीकी किसानों को श्रद्धांजलि दी.
 
यह कार्यक्रम ऐसे समय में आयोजित किया गया है जब इस सप्ताह ही दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरील रामाफोसा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए वहां जा रहे हैं. अफ्रीकी किसान अमेरिका की नयी शरणार्थी नीति के केंद्र में हैं.
 
बोथाविल में आयोजित कृषि मेले में अनाज से लेकर बंदूकों तक की प्रदर्शनी लगाई गई और मेले में हजारों किसान एकत्र हुए. कार्यक्रम में कुछ रूढ़िवादी श्वेत अफ्रीकी समूहों ने भी ट्रंप प्रशासन के उन ‘नरसंहार’ और भूमि अधिग्रहण के दावों को खारिज कर दिया जिनका हवाला देकर ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली सभी वित्तीय सहायता में कटौती कर दी थी.
 
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत नेता दिवंगत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने 25 साल पहले बोथाविल में खड़े होकर दशकों से चली आ रही रंगभेद की नस्लीय व्यवस्था के बाद के शुरुआती वर्षों में किसानों पर बढ़ते हिंसक हमलों को स्वीकार किया था. उन्होंने कहा था, ‘‘लेकिन हमारे खेतों पर अपराध की जटिल समस्या, अन्य जगहों की तरह, दीर्घकालिक समाधान की मांग करती है.’’ कृषि मेले में कुछ लोगों ने कहा कि देश छोड़कर भागना किसी तरह का समाधान नहीं है.
 
कृषि मंत्री जॉन स्टीनहुइसन ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया, ‘‘मुझे वाकई उम्मीद है कि राष्ट्रपति सिरील रामाफोसा वाशिंगटन की आगामी यात्रा के दौरान अपने समकक्ष के सामने तथ्य रखने में सक्षम होंगे और यह प्रदर्शित करेंगे कि दक्षिण अफ्रीका में भूमि का कोई बड़े पैमाने पर अधिग्रहण नहीं हो रहा है और कोई नरसंहार नहीं हो रहा है.’’ कृषि मंत्री बुधवार की बैठक के लिए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे.
 
अमेरिका ने कम से कम 49 अफ्रीकी लोगों को शरणार्थी का दर्जा दिया है, जिसके कारण अल्पसंख्यक श्वेत अफ़्रीकी समुदाय सुर्खियों में है. इन लोगों का दावा है कि वे नस्लीय और हिंसक उत्पीड़न तथा श्वेतों के स्वामित्व वाली भूमि पर व्यापक कब्ज़े के कारण भागकर आए हैं, जबकि इस बात के प्रमाण हैं कि ऐसे दावे झूठे हैं.