तेल अवीव (इज़रायल)
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार देर रात गाज़ा में इज़रायल की सैन्य कार्रवाई के विस्तार का विरोध करने पर ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इन देशों के नेताओं पर 7 अक्टूबर 2023 के हमले को "इनाम" देने का आरोप लगाया, जिसमें हमास ने इज़रायल पर भीषण हमला किया था।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक तीखे संदेश में नेतन्याहू ने कहा कि इज़रायल हमास के खिलाफ "पूर्ण विजय" प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह संघर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता की रूपरेखा के अनुरूप है।
उन्होंने लिखा,
"जब लंदन, ओटावा और पेरिस के नेता हमसे हमारी सीमाओं पर मौजूद हमास के आतंकियों को समाप्त किए बिना इस युद्ध को रोकने और एक फिलिस्तीनी राष्ट्र की मांग करते हैं, तो वे 7 अक्टूबर के जनसंहारकारी हमले का बड़ा पुरस्कार दे रहे हैं और भविष्य में ऐसे हमलों को आमंत्रित कर रहे हैं।"
नेतन्याहू ने इस युद्ध को "सभ्यता बनाम बर्बरता" की लड़ाई बताया और कहा कि
"इज़रायल न्यायपूर्ण तरीकों से अपनी रक्षा तब तक करता रहेगा जब तक पूर्ण विजय प्राप्त न हो जाए।"
उन्होंने संघर्ष की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि
"यह युद्ध 7 अक्टूबर को शुरू हुआ, जब फिलिस्तीनी आतंकियों ने हमारी सीमा लांघकर 1,200 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी और 250 से अधिक लोगों को गाज़ा में बंधक बनाकर ले गए।"
इज़रायली प्रधानमंत्री ने युद्ध समाप्त करने के लिए स्पष्ट शर्तें रखते हुए कहा कि
"अगर शेष बंधकों को रिहा कर दिया जाए, हमास हथियार डाल दे, उसके हत्यारे नेता निर्वासित हो जाएं और गाज़ा का विसैन्यीकरण हो जाए, तो युद्ध कल ही समाप्त हो सकता है। कोई भी राष्ट्र इससे कम स्वीकार नहीं करेगा और इज़रायल तो बिल्कुल नहीं।"
यह बयान ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा द्वारा 'गिदोन की रथों' (Gideon’s Chariots) नामक सैन्य अभियान के तहत गाज़ा में इज़रायल की कार्रवाई की निंदा करने के कुछ ही घंटों बाद आया है। इन देशों ने गाज़ा में "असहनीय" मानवीय संकट, मानवीय सहायता पर इज़रायली प्रतिबंध और वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों के विस्तार को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
इन तीनों देशों ने चेतावनी दी कि यदि इज़रायल ने सैन्य अभियान नहीं रोका तो प्रतिबंधों जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। साथ ही उन्होंने अमेरिका, कतर और मिस्र द्वारा किए जा रहे तत्काल संघर्षविराम और दो-राष्ट्र समाधान के प्रयासों का समर्थन भी दोहराया।