शांति, सुरक्षा और साझेदारी: भारत–जॉर्डन रिश्तों में ऐतिहासिक मोड़

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 15-12-2025
A new era begins in India-Jordan relations.
A new era begins in India-Jordan relations.

 

मुहम्मद मुदस्सिर क़मर

15-16 दिसंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाशमी किंगडम ऑफ़ जॉर्डन की यात्रा भारत जॉर्डन संबंधों में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। यह यात्रा जॉर्डन के सम्राट हिज़ मजेस्टी किंग अब्दुल्लाह द्वितीय बिन अल-हुसैन के निमंत्रण पर हो रही है।
 
 
यह प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की जॉर्डन की पहली औपचारिक यात्रा होगी, हालांकि फरवरी 2018 में फ़िलिस्तीन की आधिकारिक यात्रा के दौरान वे अल्प समय के लिए अम्मान में रुके थे। यह यात्रा भारत और जॉर्डन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है।
 
भारत और जॉर्डन के बीच पहला द्विपक्षीय मैत्री एवं सहयोग समझौता 1947 में हुआ था, जिसे 1950 में दोनों देशों द्वारा पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए जाने के साथ औपचारिक रूप दिया गया। उल्लेखनीय है कि 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अम्मान यात्रा के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक जॉर्डन यात्रा है।
 
मजबूत होती राजनीतिक और कूटनीतिक साझेदारी
 
भारत और जॉर्डन के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी और किंग अब्दुल्ला द्वितीय के नेतृत्व में राजनीतिक, कूटनीतिक, आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो द्विपक्षीय संबंधों में एक नए दौर का संकेत देती है।
 
अक्टूबर 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की जॉर्डन यात्रा किसी भारतीय राष्ट्रपति की पहली यात्रा थी। इसके बाद फरवरी 2018 में किंग अब्दुल्ला की भारत यात्रा ने बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती दी। विदेश मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर भी कई उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठकें हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी और किंग अब्दुल्ला ने बहुपक्षीय मंचों के इतर भी मुलाकातें की हैं और महत्वपूर्ण साझा मुद्दों पर टेलीफोनिक बातचीत की है।
 
सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी सहयोग
 
पिछले एक दशक में भारत–जॉर्डन संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भारत क्षेत्रीय मामलों में जॉर्डन की अहम भूमिका को भली-भांति समझता है। सुरक्षा और रक्षा सहयोग, विशेष रूप से आतंकवाद और धार्मिक उग्रवाद के खिलाफ सहयोग, पश्चिम एशिया के प्रति भारत की नीति में एक प्रमुख प्राथमिकता बनकर उभरा है।
 
 
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की कूटनीतिक पहलें व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी सहयोग पर केंद्रित रही हैं। इसी क्रम में भारत और जॉर्डन ने रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति जताई है। इस संदर्भ में जॉर्डन की ऐतिहासिक भूमिका—मध्यमार्गी इस्लाम को बढ़ावा देने और आतंकवाद से मुकाबला करने—को विशेष महत्व प्राप्त है।
 
क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में साझा हित
 
भारत और जॉर्डन के साझा हितों में आतंकवाद-रोधी प्रयासों के साथ-साथ पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता की स्थापना भी शामिल है। जॉर्डन के पड़ोस में सीरिया, लेबनान और इज़राइल–फ़िलिस्तीन संघर्ष जैसे कई संवेदनशील क्षेत्र स्थित हैं, ऐसे में क्षेत्रीय स्थिरता दोनों देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
 
आर्थिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार
 
भारत और जॉर्डन के बीच आर्थिक संबंध मजबूत और निरंतर बढ़ते हुए हैं। वर्ष 2025 तक भारत लगभग 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार के साथ जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है। भारत जॉर्डन से उर्वरक, फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड आयात करता है, जबकि जॉर्डन को विद्युत मशीनरी, अनाज, जमे हुए मांस, जैविक और अकार्बनिक रसायन, पशु आहार, पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाइल पुर्ज़े निर्यात करता है।
 
जॉर्डन में भारतीय निवेश लगभग 1.35 अरब अमेरिकी डॉलर का है। जॉर्डन, विशेष रूप से फॉस्फेट और पोटाश के मामले में, भारत के लिए एक प्रमुख उर्वरक आपूर्तिकर्ता है। इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) और जॉर्डन फॉस्फेट माइंस कंपनी (JPMC) के बीच जॉर्डन इंडिया फर्टिलाइज़र कंपनी (JIFCO) के रूप में एक महत्वपूर्ण साझेदारी भी स्थापित है। इसके अलावा, जॉर्डन के क्वालिफाइड इंडस्ट्रियल ज़ोन्स में लगभग 15 भारतीय परिधान कंपनियां कार्यरत हैं।
 
 
व्यापार, उद्योग और निवेश में सहयोग
 
हाल के वर्षों में दोनों देशों के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रियों के बीच यात्राओं का आदान-प्रदान हुआ है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को नई गति मिली है। उद्योग और व्यापार संगठनों के बीच संपर्क बढ़ा है। जॉर्डन के कई व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भारत आए हैं और भारतीय उद्योगपतियों व वाणिज्य मंडलों के साथ बैठकें की हैं, वहीं भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों ने जॉर्डन जाकर निवेश और व्यापार के अवसरों की संभावनाएं तलाशी हैं।
 
स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रौद्योगिकी में सहयोग
 
संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा भारत–जॉर्डन सहयोग के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान दोनों देशों ने निकट सहयोग किया, जिसमें वैक्सीन आपूर्ति भी शामिल रही। फरवरी 2021 में जॉर्डन की सशस्त्र सेनाओं के 15 चिकित्सा विशेषज्ञों ने दिल्ली के सैन्य बेस अस्पताल में कोविड-19 और आईसीयू प्रबंधन पर दो सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
 
भारत स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा पर्यटन के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरा है, और कई जॉर्डन नागरिक जटिल एवं तात्कालिक चिकित्सीय उपचार के लिए भारत आते हैं।
 
आईटी और क्षमता निर्माण
 
2 अक्टूबर 2021 को हुसैन टेक्निकल यूनिवर्सिटी में भारत–जॉर्डन उत्कृष्टता केंद्र (आईटी) का उद्घाटन किया गया। यह केंद्र अत्याधुनिक आईटी अवसंरचना, जिसमें PARAM Shavak सुपरकंप्यूटर भी शामिल है, से सुसज्जित है। इसका उद्देश्य जॉर्डन में उन्नत क्षेत्रों में सॉफ्टवेयर विशेषज्ञता को विकसित करना है। अगले पांच वर्षों में यहां लगभग 3000 जॉर्डन विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना है।
 
शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
 
शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में आदान-प्रदान से दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क और समझ बढ़ी है। क्षमता निर्माण के तहत जॉर्डन को ITEC कार्यक्रम के अंतर्गत 26 छात्रवृत्तियां और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के माध्यम से 5 छात्रवृत्तियां प्रदान की गई हैं। वर्तमान में 500 से अधिक जॉर्डन छात्र भारत में अध्ययन कर रहे हैं।
 
अगस्त 2022 में भारत–जॉर्डन एलुमनी एसोसिएशन की स्थापना की गई, जो भारत में शिक्षित जॉर्डन के पूर्व छात्रों को एक मंच प्रदान करती है। लगभग 2500 जॉर्डन नागरिक, जो भारत में पढ़ चुके हैं, जॉर्डन में भारत के अनौपचारिक सांस्कृतिक दूत के रूप में कार्य कर रहे हैं।
 
सांस्कृतिक जुड़ाव और जन-संपर्क
 
जॉर्डन में भारतीय कला और संस्कृति, विशेषकर भारतीय सिनेमा, के प्रति गहरी रुचि है। कई भारतीय फ़िल्मों की शूटिंग जॉर्डन में की जा चुकी है। दोनों देशों के बीच नियमित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आदान-प्रदान होता रहा है। जुलाई 2022 में जेराश संस्कृति और कला महोत्सव के 36वें संस्करण में ICCR के तत्वावधान में क़व्वाली संगीत प्रस्तुति दी गई।
 
“आजादी का अमृत महोत्सव” के तहत भारत के दूतावास ने जॉर्डन में व्याख्यान, वृक्षारोपण अभियान, पुस्तक प्रदर्शनी सप्ताह, हथकरघा फैशन शो के साथ सांस्कृतिक उत्सव, फ़िल्म महोत्सव, फ़ूड फेस्टिवल और योग दिवस जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए।
 
भारतीय समुदाय की भूमिका
 
जॉर्डन में 17,500 से अधिक भारतीय नागरिक विभिन्न क्षेत्रों—जैसे वस्त्र, निर्माण और विनिर्माण—में कार्यरत हैं। रॉयल जॉर्डनियन एयरलाइंस ने हाल ही में अम्मान और मुंबई के बीच सीधी उड़ानें शुरू की हैं और भविष्य में नई दिल्ली तक विस्तार की योजना है। जॉर्डन भारतीय पर्यटकों को आगमन पर वीज़ा प्रदान करता है और हाल ही में ई-वीज़ा प्रणाली भी शुरू की गई है।
 
 
जॉर्डन–इंडिया फ्रेंडशिप सोसाइटी, अकाबा इंडियन कम्युनिटी एसोसिएशन, जॉर्डन–इंडिया एलुमनी एसोसिएशन और इंडियन वुमन एसोसिएशन सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
 
प्रधानमंत्री की यात्रा का कार्यक्रम और भविष्य की दिशा
 
यात्रा के दौरान 15 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी किंग अब्दुल्ला द्वितीय के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत होगी। अगले दिन दोनों नेता भारत–जॉर्डन बिज़नेस इवेंट को संबोधित करेंगे, जिसमें दोनों देशों के प्रमुख उद्योगपति शामिल होंगे। प्रधानमंत्री जॉर्डन में सक्रिय भारतीय समुदाय से भी मुलाकात करेंगे और युवराज के साथ ऐतिहासिक शहर पेट्रा का दौरा करेंगे, जिसका भारत के साथ प्राचीन व्यापारिक संबंध रहा है।
 
भारत और जॉर्डन के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंध उनके साझा इतिहास और समान हितों को दर्शाते हैं। नेतृत्व स्तर की पहल और बहुआयामी सहयोग के माध्यम से इन रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अम्मान यात्रा से भारत–जॉर्डन संबंधों में एक और महत्वपूर्ण गुणात्मक छलांग की उम्मीद की जा रही है।
 
(लेखक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं )