सैंटियागो (चिली)
चिली के राष्ट्रपति चुनाव में दक्षिणपंथी उम्मीदवार जोस एंटोनियो कास्ट ने विजय हासिल कर ली है। अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, कास्ट अब देश के 38वें राष्ट्रपति बनेंगे और इसके साथ ही केंद्र-वामपंथी सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया है।प्रारंभिक नतीजों में कास्ट ने पूर्व श्रम मंत्री और कम्युनिस्ट पार्टी से ताल्लुक रखने वाली जीनत जारा को मात दी, जो सत्तारूढ़ केंद्र-वामपंथी गठबंधन यूनिटी फॉर चिली की उम्मीदवार थीं। मतदान समाप्त होते ही जारा और उनके गठबंधन ने हार स्वीकार कर ली।हार के बाद जारा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा:
"लोकतंत्र ने स्पष्ट फैसला सुनाया है। मैंने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जोस एंटोनियो कास्ट से बात कर उन्हें देश की भलाई के लिए शुभकामनाएं दीं। जिन्होंने हमारा समर्थन किया, वे आश्वस्त रहें कि हम अपने देश के बेहतर भविष्य के लिए काम करते रहेंगे।"
लैटिन अमेरिका में दक्षिणपंथ का उभार
कास्ट की जीत लैटिन अमेरिका में दक्षिणपंथ की एक और बड़ी सफलता मानी जा रही है, जहां अर्जेंटीना और इक्वाडोर जैसे देशों में हाल ही में दक्षिणपंथी नेताओं ने सत्ता हासिल की है।59 वर्षीय कास्ट चिली रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख हैं। उन्होंने तीसरे प्रयास में राष्ट्रपति पद जीता है। 2021 के चुनाव में कास्ट मौजूदा राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक से लगभग 10 अंकों से हार गए थे। बोरिक, जो चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति बने थे, अपने कार्यकाल के अंत तक लोकप्रियता में गिरकर लगभग 30 प्रतिशत पर पहुंच गए। देश के संविधान के अनुसार वे दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते।
अपराध, प्रवासन और अर्थव्यवस्था मुद्दों ने दिलाई जीत
चिली में बढ़ते अपराध, अवैध प्रवासन और धीमी अर्थव्यवस्था से जनता में बढ़ती नाराज़गी ने कास्ट को बढ़त दिलाई। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने इन समस्याओं पर सख्त कदम उठाने का वादा किया, जिसमें बड़े पैमाने पर निर्वासन, कठोर सज़ाएं और कार्टेल नेताओं को उच्च सुरक्षा वाली जेलों में अलग रखना जैसे कदम शामिल हैं। उनका सुरक्षा कार्यक्रम "इम्प्लैकेबल प्लान" जनता के बीच खासा चर्चित रहा।
सामाजिक मुद्दों पर कड़े रूख
अल जज़ीरा के अनुसार, सामाजिक और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर कास्ट के विचार बेहद रूढ़िवादी हैं। वे बलात्कार के मामलों में भी गर्भपात के खिलाफ हैं। उनकी इस सोच की आलोचना होती रही है, विशेषकर इसलिए कि उन्होंने चिली के पूर्व तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे की सार्वजनिक प्रशंसा भी की है। कास्ट ने एक बार कहा था:"अगर वह (पिनोशे) जीवित होते, तो मुझे वोट देते।"
परिवारिक पृष्ठभूमि पर भी उठे सवाल
कास्ट की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी चर्चा में रही है। उनके पिता माइकल मार्टिन कास्ट जर्मनी में नाज़ी पार्टी के सदस्य रह चुके थे और 1950 में चिली आ गए थे।अल जज़ीरा के अनुसार, कास्ट की जीत चिली के लिए ऐतिहासिक क्षण है—1990 में लोकतंत्र की वापसी के बाद यह देश की पहली सख्त-दक्षिणपंथी सरकार होगी। हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान कास्ट ने अपने एजेंडे को कुछ नरम दिखाने की कोशिश की, लेकिन पिनोशे की विरासत के प्रति उनके रुझान ने इस बात पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि उनकी सरकार कितनी रूढ़िवादी नीतियों को आगे बढ़ाएगी।






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