धर्म, भाषा और समाज को जोड़ता ज्ञान: निशात लाइब्रेरी में अनूठा समारोह

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 14-12-2025
Knowledge connecting religion, language and society: Unique function in Nishat Library
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इस्लामपुर (महाराष्ट्र)

मानव जीवन को समृद्ध एवं तेजस्वी बनाने के लिए महापुरुषों और महान विभूतियों के विचारों को आत्मसात करना अत्यंत आवश्यक है, और यह केवल निरंतर पुस्तक-पठन से ही संभव है—ऐसा प्रतिपादन वरिष्ठ पत्रकार, साप्ताहिक ‘शोधन’ के कार्यकारी संपादक एवं कामेरी निवासी शाहजहान मगदूम ने किया। वे इस्लामपुर स्थित निशात उर्दू लाइब्रेरी में आयोजित ग्रंथ वितरण समारोह तथा निःशुल्क बेसिक कंप्यूटर कोर्स के प्रमाणपत्र वितरण कार्यक्रम में मुख्य मार्गदर्शक के रूप में संबोधित कर रहे थे।

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11 दिसंबर की सायंकाल संपन्न हुए इस प्रेरणादायी कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता जमीर नदाफ ने की, जबकि प्रमुख अतिथि के रूप में प्रा. नाज़ीम शेख उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत अत्यंत पावन वातावरण में मदरसे के विद्यार्थियों द्वारा पवित्र क़ुरआन के सुमधुर पाठ से हुई।

कार्यक्रम का संचालन अल्ताफ मोमीन जनाब ने अपनी सहज, प्रवाही शैली में किया। उन्होंने अतिथियों का परिचय कराते हुए निशात लाइब्रेरी की शैक्षणिक एवं सामाजिक यात्रा का संक्षिप्त किंतु प्रभावी विवरण प्रस्तुत किया।

अपने मुख्य वक्तव्य में शाहजहान मगदूम ने पठन-पाठन की संस्कृति के महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म और पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद (स.) की उदात्त शिक्षाओं से प्रेरित होकर ही हम सभी इस ज्ञान-साधना के कार्य में एकत्रित हुए हैं। पैग़ंबर साहब का मानवता का संदेश समाज के हर वर्ग तक पहुँचे, इसी उद्देश्य से उन्होंने लाइब्रेरी को इस्लामिक पुस्तकों के साथ मराठी भाषा में अनूदित पवित्र क़ुरआन की प्रतियाँ भेंट कीं।

उन्होंने महापुरुषों के जीवन से जुड़े अनेक प्रेरणादायी प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उपस्थितजनों को मार्गदर्शन प्रदान किया। निशात लाइब्रेरी से अपने पुराने और भावनात्मक संबंधों का उल्लेख करते हुए उन्होंने भविष्य में लाइब्रेरी के विकास हेतु हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने पुस्तकालय को शहर और परिसर में पठन-संस्कृति को जीवित रखने वाला एक पवित्र केंद्र बताते हुए संस्था के पदाधिकारियों के कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा न्यासियों आबिद मोमीन, अनीस मोमीन सहित सभी पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का प्रास्ताविक प्रस्तुत करते हुए निशात लाइब्रेरी के कार्यवाह अनीस मोमीन ने संस्था की चालीस वर्षों की तपस्या और संघर्षपूर्ण यात्रा का सजीव चित्रण किया। उन्होंने बताया कि इस्लामपुर जैसे शहर में पिछले चार दशकों से उर्दू के साथ-साथ मराठी और अंग्रेज़ी भाषा की पठन-संस्कृति को जीवित रखना और एक पुस्तकालय का संचालन करना एक बड़ी चुनौती रही है। अनेक समाजसेवियों, दानदाताओं और विशेष रूप से उर्दू माध्यम के विद्यार्थियों के योगदान से यह संस्था आज इस मुकाम तक पहुँची है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लाइब्रेरी केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि निःशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण और विविध सामाजिक-शैक्षणिक उपक्रमों के माध्यम से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही है।

अध्यक्षीय भाषण में जमीर नदाफ ने वाचन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पुस्तकें मनुष्य की दृष्टि को व्यापक बनाती हैं और उसे पूर्णता की ओर ले जाती हैं। उन्होंने इस्लामपुर में उर्दू और मराठी साहित्य के संगम के रूप में एक भव्य कवि सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव दिया तथा सभी समाजों के सहयोग से शैक्षणिक व सामाजिक गतिविधियाँ बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने स्वयं आगे आकर ऐसे उपक्रमों में सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।

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प्रमुख अतिथि प्रा. नाज़ीम शेख ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि निशात लाइब्रेरी के रूप में उन्हें ज्ञान का एक सशक्त केंद्र प्राप्त हुआ है, जिसका अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर एवं जरूरतमंद विद्यार्थियों को निःशुल्क कंप्यूटर कक्षाओं के साथ-साथ मराठी, अंग्रेज़ी और गणित के मार्गदर्शन वर्गों का लाभ लेकर अपने भविष्य का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे सदैव उर्दू माध्यम के विद्यार्थियों की शैक्षणिक उन्नति हेतु प्रयासरत रहते हैं।

सामाजिक सौहार्द का संदेश देते हुए संभाजी ब्रिगेड के सांगली जिला अध्यक्ष उमेश शेवाले ने छत्रपति शिवाजी महाराज, राजर्षि शाहू महाराज, महात्मा ज्योतिराव फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रगतिशील विचारों को स्मरण कराया। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि राजर्षि शाहू महाराज ने सभी जाति-धर्मों के उत्थान के लिए कार्य किया और उस दौर में क़ुरआन के मराठी अनुवाद हेतु आर्थिक सहयोग देकर धार्मिक समरसता की मिसाल कायम की। साथ ही उन्होंने संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे के कार्य को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

संभाजी ब्रिगेड इस्लामपुर शहर अध्यक्ष अजित हवलदार ने मुस्लिम समाज के साथ अपने पारिवारिक और सामाजिक सौहार्दपूर्ण संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि एक पुस्तकप्रेमी होने के नाते निशात लाइब्रेरी के इस कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति स्वाभाविक है। उन्होंने भविष्य में हर सकारात्मक सामाजिक पहल में सहयोग का भरोसा दिलाया।

इस अवसर पर उमेश सूर्यगंध ने भी अपने प्रेरणादायी विचार व्यक्त करते हुए निशात लाइब्रेरी के सामाजिक योगदान की प्रशंसा की।

कार्यक्रम के दौरान शाहजहान मगदूम के विशेष प्रयासों से इस्लामिक मराठी पब्लिकेशन ट्रस्ट (मुंबई) की ओर से 10 मराठी अनूदित पवित्र क़ुरआन तथा विभिन्न विषयों की 250 पुस्तकें लाइब्रेरी को भेंट की गईं। इसके अतिरिक्त संभाजी ब्रिगेड इस्लामपुर की ओर से लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे के चयनित साहित्य के 8 खंड तथा शाकीरभाई तांबोली द्वारा लिखित पुस्तक “ओबीसी आरक्षण सब-कोटा: इबादत भी, जिम्मेदारी भी” की 100 प्रतियाँ भी पुस्तकालय को प्रदान की गईं।

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इसी अवसर पर निःशुल्क बेसिक कंप्यूटर प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले विद्यार्थियों को मान्यवरों के करकमलों से प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शाहजहान मगदूम, जमीर नदाफ और प्रा. नाज़ीम शेख का पुष्पगुच्छ, शॉल, स्मृतिचिन्ह एवं ग्रंथ भेंट कर भव्य सत्कार किया गया।

कार्यक्रम के अंत में हाजी सैफ मुल्ला ने सभी उपस्थितों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष जावेद मोमीन सहित नदीम पटवेकर, बरकतुल्ला मोमीन, जहूर पटवेकर, आकील मोमीन, शाहनवाज़ मुल्ला, नसीमुलगणी पटवेकर, जफ़र दिवाण, नज़ीर बिजापुरे, मौलाना अजमल रज़ा, यशवंत धुमाळे, दीपक तोडकर सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, वाचक और सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु अनीस मोमीन, आबिद मोमीन, ग्रंथपाल अरमान पटेल और लिपिक खुशी शानेदिवाण ने विशेष परिश्रम किए।