ब्राज़ील में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो की जेल सजा कम करने वाले विधेयक के खिलाफ रोष

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 15-12-2025
Massive protests erupt in Brazil against bill to reduce former President Bolsonaro's prison sentence
Massive protests erupt in Brazil against bill to reduce former President Bolsonaro's prison sentence

 

रियो डी जनेरियो 

ब्राज़ील में रविवार को दसियों हज़ार लोग सड़कों पर उतर आए। जनता उस विधेयक का विरोध कर रही है जिसे इस सप्ताह संसद के निचले सदन ने मंज़ूरी दी और जो पूर्व राष्ट्रपति जैयर बोल्सोनारो की 27 वर्ष से अधिक की जेल सजा को कम कर सकता है। यह प्रस्ताव अब सीनेट के पास लंबित है।

प्रदर्शन राजधानी ब्रासीलिया, साओ पाउलो, फ्लोरियनापोलिस, सल्वाडोर, रेसीफे सहित देश के कई बड़े शहरों में हुए।रियो डी जनेरियो के कोपाकबाना बीच पर वामपंथी समर्थकों की भारी भीड़ ने नारे लगाए—“नो एमनेस्टी” और “ह्यूगो मोट्टा इस्तीफा दो”, जो निचले सदन के स्पीकर हैं और जिनके नेतृत्व में विधेयक पास हुआ।

56 वर्षीय भूवैज्ञानिक एंटोनियो एडसन लीमा डी ओलिवेरा ने कहा,“यह तख्तापलट की कोशिश करने वालों को बचाने की कोशिश है। ब्राज़ील कई तानाशाहियों से गुजर चुका है—और वे देश के लिए भयावह थीं। हम दोबारा ऐसी स्थिति नहीं चाहते।”

रियो में प्रसिद्ध संगीतकार कैटानो वेलोसो और गिल्बर्टो गिल ने प्रदर्शनकारियों के बीच प्रस्तुति दी। तेज धूप और विरोध के जोश ने माहौल को उत्सव जैसा लेकिन गुस्से से भरा बना दिया। कई लोग पोस्टर लिए हुए थे—“संसद जनता की दुश्मन है।”

18 वर्षीय छात्रा-नेत्री लैविनिया स्कालिया ने कहा,“उनका (कलाकारों का) यहाँ होना महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें सिर्फ गाने नहीं, बल्कि संघर्ष करना चाहिए।”

8 जनवरी 2023 की हिंसा से जुड़ा मामला

विवादित विधेयक के प्रायोजक पॉलिन्हो दा फोर्सा का कहना है कि यह प्रस्ताव “समाधान और मेल-मिलाप” की दिशा में है। यदि इसे कानून बना दिया गया तो बोल्सोनारो की जेल सजा घटकर सिर्फ 2 साल 4 महीने रह सकती है।
हालाँकि अंतिम मंज़ूरी के लिए राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा की अनुमति ज़रूरी है—और लूला पहले ही कह चुके हैं कि वे इसे वीटो कर देंगे।

8 जनवरी 2023 को बोल्सोनारो समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट और संसद पर हमला कर दिया था। न्यायाधीशों ने बोल्सोनारो को इस विद्रोह के पीछे “अवैध आपराधिक संगठन” का मास्टरमाइंड माना और लोकतांत्रिक शासन को हिंसक तरीके से पलटने की कोशिश का दोषी ठहराया।

वर्तमान प्रस्ताव दो प्रमुख आरोपों :_

  1. तख्तापलट की कोशिश

  2. कानून व्यवस्था को हिंसक तरीके से उखाड़ फेंकने
    —की सजाएँ अलग-अलग चलने के बजाय एक साथ (concurrent) चलाने का प्रावधान करता है, जिससे कुल सजा स्वतः कम हो जाएगी।

इसके अलावा विधेयक पैरोल व्यवस्था को भी बदल देता है—सजा के एक-चौथाई की जगह मात्र एक-छठे हिस्से की पूर्ति पर कैदी को डे-पैरोल मिल सकेगा।

राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव

बोल्सोनारो और उनके समर्थक पहले आम माफी (amnesty) की मांग कर चुके हैं, लेकिन मौजूदा विधेयक सजा खत्म करने के बजाय उसे कम करने पर केंद्रित है। राजनीतिक विश्लेषक लूसियाना सांताना का कहना है कि भारी विरोध के बाद सीनेट में इस बिल में बदलाव संभावित है।

उन्होंने कहा,“सीनेट की संरचना, जनता का विरोध और निचले सदन में बिल का देर रात पास होना—इन सभी के कारण सीनेट में इसका पारित होना पहले जितना आसान नहीं होगा।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बोल्सोनारो मामला चर्चा में रहा। जुलाई में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्राज़ीलियाई सामानों पर 50% टैरिफ लगा दिया था और बोल्सोनारो के मुकदमे को “witch hunt” कहा था। यह अमेरिका–ब्राज़ील संबंधों के 200 साल के इतिहास का सबसे खराब दौर माना गया।

हालाँकि हाल में संबंध सुधरे हैं—अक्टूबर में लूला और ट्रंप की मलेशिया में मुलाकात हुई और कई टैरिफ हटा दिए गए।
अमेरिका ने शुक्रवार को ब्राज़ील के सुप्रीम कोर्ट जज अलेक्ज़ांद्रे डी मोराएस को भी अपने प्रतिबंध सूची से हटा दिया, जिन्हें बोल्सोनारो पर मुकदमा चलाने में अहम भूमिका के कारण पहले शामिल किया गया था।