
रुचिता बेरी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16–17 दिसंबर 2025 को इथियोपिया की यात्रा पर जाने वाले हैं। यह यात्रा इथियोपिया के रणनीतिक महत्व और भारत-इथियोपिया के बीच बढ़ती साझेदारी को उजागर करती है।इथियोपिया अफ्रीका के हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में स्थित है और अफ्रीका, एशिया और यूरोप को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है। यह अफ्रीका की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसकी अनुमानित वार्षिक विकास दर 8.5 प्रतिशत है। इस तेज़ आर्थिक विकास के पीछे इथियोपियाई सरकार द्वारा शुरू की गई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ हैं।
इथियोपिया ने ग्रैंड इथियोपियन रिनेसां डैम (GERD) के माध्यम से देश और पूरे क्षेत्र की ऊर्जा व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। इस परियोजना के पूरा होने से इथियोपिया अफ्रीका का सबसे बड़ा जलविद्युत ऊर्जा उत्पादक देश बनने की ओर बढ़ रहा है। इससे न केवल इथियोपिया में, बल्कि पूरे हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी।
एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना 750 किलोमीटर लंबी विद्युतीकृत रेलवे लाइन है, जो इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा को पड़ोसी देश जिबूती के रेड सी बंदरगाह से जोड़ती है। इथियोपियाई अधिकारी इसे “समृद्धि का आर्थिक गलियारा” कहते हैं, क्योंकि इसने भू-आवेष्ठित देश इथियोपिया को वैश्विक समुद्री व्यापार से जोड़ने का अवसर दिया है।
इथियोपिया की जनसंख्या संरचना भी इसे आकर्षक बनाती है। यह अफ्रीका का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और यहाँ बड़ी संख्या में युवा और ऊर्जावान आबादी है, जो एक विशाल श्रम शक्ति की संभावना प्रस्तुत करती है। इसके अलावा, अफ्रीकी संघ (अफ्रीकन यूनियन) का मुख्यालय भी इथियोपिया में स्थित है, जिससे इसकी महाद्वीपीय कूटनीति में अहम भूमिका है। हाल के वर्षों में आंतरिक संघर्षों के बावजूद, इथियोपिया क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देता रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले शीर्ष दस देशों में शामिल है। इसके साथ ही, अल-शबाब आतंकवादी संगठन के खिलाफ संघर्ष में अफ्रीकी संघ के समर्थन और स्थिरीकरण मिशन (AUSSOM) के लिए भी इथियोपिया बड़ी संख्या में सैनिक भेजता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा अफ्रीका के इस महत्वपूर्ण देश के साथ भारत के संबंधों को और मज़बूत करेगी। यह प्रधानमंत्री मोदी की इथियोपिया की पहली यात्रा होगी। इस दौरान उनकी इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली के साथ द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होने की संभावना है। यह यात्रा दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हुए G20 शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात के एक महीने से भी कम समय बाद हो रही है।
हालाँकि भारत और इथियोपिया के संबंध नए नहीं हैं। इनका इतिहास पहली शताब्दी ईस्वी में अक्सुमाइट साम्राज्य तक जाता है, जब दोनों देशों के बीच व्यापक व्यापार होता था। उस समय भारत से रेशम और मसालों का व्यापार होता था, जबकि इथियोपिया से सोना और हाथीदांत भारत लाया जाता था। भारत की स्वतंत्रता के बाद 1948 में इथियोपिया पहला अफ्रीकी देश था जिसने भारत में अपना राजनयिक मिशन स्थापित किया। समय के साथ दोनों देशों के बीच विकास सहयोग, व्यापार और निवेश, शिक्षा, क्षमता निर्माण और रक्षा के क्षेत्र में गहरा सहयोग विकसित हुआ है।
इथियोपिया अफ्रीका में भारत का एक प्रमुख विकास साझेदार है। भारत ने इथियोपिया को एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की ऋण सहायता (लाइन ऑफ क्रेडिट) दी है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से ग्रामीण बिजली परियोजनाओं और चीनी कारखानों के विकास में किया गया है। अफ्रीका के अन्य देशों की तरह, इथियोपिया के साथ भारत का विकास सहयोग “दक्षिण-दक्षिण सहयोग” (South-South Cooperation) ढाँचे पर आधारित है। यह ढाँचा प्रधानमंत्री मोदी के “भारत-अफ्रीका सहयोग के दस मार्गदर्शक सिद्धांतों” का मुख्य हिस्सा है। इसका मूल संदेश यह है कि भारत का विकास सहयोग अफ्रीकी देशों की प्राथमिकताओं के अनुसार होगा। इसी कारण इथियोपिया की विकास आवश्यकताएँ भारत के सहयोग की दिशा तय करती हैं।
शिक्षा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में भारत और इथियोपिया की साझेदारी लंबे समय से चली आ रही है। अतीत में भारतीय शिक्षकों ने इथियोपिया के स्कूली छात्रों की सोच को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाल के वर्षों में भारतीय शिक्षाविदों ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में भी बड़ा योगदान दिया है।
वर्तमान में 2000 से अधिक भारतीय शिक्षक सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रबंधन और चिकित्सा जैसे विषयों में इथियोपियाई विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के माध्यम से भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्तियों से भी बड़ी संख्या में इथियोपियाई छात्रों ने भारत में अध्ययन किया है। इथियोपिया, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी एक प्रमुख लाभार्थी है। प्रधानमंत्री की यात्रा से कौशल विकास और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के क्षेत्र में सहयोग बढ़ने की उम्मीद है।
भारत और इथियोपिया के बीच व्यापारिक संबंध भी मजबूत हैं। भारत इथियोपिया का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत विदेशी निवेश का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है और इथियोपिया में 650 से अधिक भारतीय कंपनियाँ कार्यरत हैं। ये कंपनियाँ देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी रोजगार प्रदाता मानी जाती हैं।
वर्ष 2024-25 में भारत-इथियोपिया द्विपक्षीय व्यापार 550 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। भारत मुख्य रूप से दवाइयाँ निर्यात करता है, जबकि इथियोपिया से दालें और बीज आयात करता है। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा आर्थिक सहयोग के नए अवसर खोजने और व्यापार बढ़ाने में मदद करेगी।
रक्षा सहयोग भी दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। भारत ने इथियोपिया में हरार मिलिट्री अकादमी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जहाँ 1957 से 1977 तक इथियोपिया और अन्य अफ्रीकी देशों के सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। बाद में यह अकादमी बंद कर दी गई, लेकिन रक्षा सहयोग जारी रहा और फरवरी 2025 में एक औपचारिक रक्षा सहयोग समझौते तक पहुँचा। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और रक्षा उद्योग के क्षेत्र में सहयोग और बढ़ सकता है।
बहुपक्षीय मंचों पर भारत हमेशा ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं का समर्थन करता रहा है। अगले वर्ष भारत BRICS मंच की अध्यक्षता करेगा। ऐसे में यह यात्रा दोनों देशों के नेताओं को BRICS के भीतर सहयोग पर अपने विचारों को एक-दूसरे के साथ समन्वय करने का अवसर देगी। इसके साथ ही लंबे समय से लंबित चौथे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन की मेज़बानी को लेकर भी चर्चा हो सकती है।
निष्कर्ष रूप में, वैश्विक अस्थिरता, अमेरिका द्वारा शुल्कों के हथियारकरण और चीन की ऋण-जाल कूटनीति के बीच इथियोपिया जैसे साझेदार देशों के साथ भारत की निरंतर भागीदारी उसकी “अफ्रीका फर्स्ट” नीति को मजबूत करती है। यह नीति ज्ञान, अनुभव और प्रौद्योगिकी को साझा कर आपसी लाभ पर आधारित है।
( रुचिता बेरी,वरिष्ठ फेलो, विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन, नई दिल्ली)