पाकिस्तानः  हुंजा घाटी को पट्टे पर देने को लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 12-05-2022
पाकिस्तानः  हुंजा घाटी को पट्टे पर देने को लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन
पाकिस्तानः  हुंजा घाटी को पट्टे पर देने को लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन

 

आवाज द वाॅयस /गिलगित बाल्टिस्तान 
 
पाकिस्तान निकट भविष्य में चीन को ऊपरी हुंजा घाटी  पट्टे पर देने जा रहा है, जिसके विरोध में यहां हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. आरोप है कि पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) परियोजना में चीनी निवेश से अपने बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने के लिए चीनियों को गिलगित बाल्टिस्तान के खनिज-समृद्ध क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन की इजाजत देने जा रहा है. इसकी संभावना  को देखते हुए स्थानीय समुदाय का विरोध हिंसक रूप ले चुका है.

इस क्रम में स्कर्दू में अधिकारियों और उनके वाहनों पर स्थानीय लोगों ने पथराव किए. पिछले कुछ हफ्तों में स्थानीय लोगों और पाकिस्तानी सेना के बीच झड़प काफी बढ़ गई है.पिछले महीने के अंत में, पाकिस्तानी सैनिकों ने गिलगित-बाल्टिस्तान के पर्यटन मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को स्थानीय समुदाय के लिए लड़ने के लिए खड़े होने के लिए पीटा. वे स्कर्दू रोड पर सेना के अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे. 
 
पर्यटन मंत्री, राजा नासिर अली खान, अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान के कट्टर समर्थक हैं.27 अप्रैल, 2022 को हुई इस घटना ने सेना के खिलाफ जनता का विरोध बढ़ा दिया है. घटना के बाद गुस्साए लोगों ने सेना के अधिकारियों और उनके वाहनों पर पथराव किया. स्थानीय समुदाय हाल के दिनों में अलग-अलग मौकों पर सेना के खिलाफ खड़ा हुआ है.
 
राजा नासिर ने बाद में ट्वीट किया कि स्वास्थ्य मंत्री हाजी गुलबर सब पर भी सैनिकों ने हमला किया. ‘‘बस बहुत हो गया, यह यहीं समाप्त होना चाहिए.  उन्होंने लिखा, ‘‘किसी भी तरह से, हमें वश में नहीं किया जा सकता है.‘‘
 
इस क्षेत्र में जमीन के मुद्दों पर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ स्थानीय विरोध प्रदर्शनों में तेजी देखी जा रही है. चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के नाम पर सेना की ‘जमीन हथियाने‘ की होड़ से स्थानीय लोग नाराज हैं.
 
स्थानीय समुदायों का मानना है कि पाकिस्तान ने सीपीईसी और उसकी सुरक्षा की आड़ में पूरी गिलगित बाल्टिस्तान को चीन को अगली आधी सदी के लिए पट्टे पर दे दिया है. सीपीईसी परियोजना पर काम कर रहे क्षेत्र में कई हजार चीनी पहले से मौजूद हैं. उनके साथ सैकड़ों चीनी जासूस और सेना के जवान स्थानीय लोगों पर नजर रखने के साथ चीनी कंपनियों को सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं.
 
सीपीईसी परियोजनाओं के अलावा, सैकड़ों चीनी कंपनियों ने, पाकिस्तानी सेना से जुड़े ठेकेदारों के साथ, इस क्षेत्र के लगभग सभी खनन पट्टों पर कब्जा कर लिया है. पाकिस्तान सरकार ने गिलगित बाल्टिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में चीनी कंपनियों को सोना, यूरेनियम और मोलिब्डेनम खनन के लिए 2000 से अधिक पट्टे दिए हैं.
 
यह बताया गया है कि हुंजा और नगर को यूरेनियम और अन्य खनिजों में समृद्ध कहा जाता है जो ज्यादातर परमाणु और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में उपयोग किए जाते हैं. ऊपरी हुंजा में चपुरसान घाटी जैसे क्षेत्र हैं जहां चीनी खनिज सुरंग खोदते रहे हैं और खनिजों की खोज करते रहे हैं.
 
अपने क्षेत्र के बड़े पैमाने पर चीनी-पाक सेना के अधिग्रहण के खिलाफ सार्वजनिक विरोध लंबे समय से क्रूर सैन्य शक्ति के साथ दबा दिया गया है. सड़कों पर झड़पों और सशस्त्र सैनिकों को खुले तौर पर चुनौती देने वाले लोगों के साथ, गिलगित बाल्टिस्तान पाकिस्तान के नेतृत्व के लिए संघर्ष का अगला बिंदु बनने की संभावना से अधिक है.