इस्लामाबाद
भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छवि को लेकर आलोचना झेल रहे पाकिस्तान ने अब ‘शांति मिशन’ के नाम पर वैश्विक मंचों पर प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है.
यह कदम भारत की कूटनीतिक पहल की नकल जैसा प्रतीत होता है, जिसमें भारत ने सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल गठित किए हैं जो विश्व के प्रमुख देशों में जाकर आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी देंगे.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने शनिवार को बताया कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने उन्हें इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा,“आज प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने मुझसे संपर्क किया और वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की शांति की बात रखने के लिए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने को कहा। मैं इस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करते हुए देश की सेवा में प्रतिबद्ध हूं.”
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यह घोषणा पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिगड़ी छवि को सुधारने की हताश कोशिश है. भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी ढांचे को उजागर कर दिया है, जिससे पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने वाली नीति की खुली आलोचना हो रही है.
बिलावल के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल उस समय वैश्विक मंचों का रुख करेगा जब पाकिस्तान की विश्वसनीयता पहले से ही कमजोर हो चुकी है. खासकर इसलिए क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक क्षेत्रों पर गोलाबारी और ड्रोन हमलों का प्रयास किया.
उधर भारत ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू के माध्यम से घोषणा की थी कि सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के प्रमुख साझेदार देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों से मिलेंगे और भारत की ‘आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता’ की नीति को प्रस्तुत करेंगे.
इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व ये प्रमुख नेता करेंगे:
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शशि थरूर (कांग्रेस)
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रविशंकर प्रसाद (भाजपा)
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संजय कुमार झा (जेडीयू)
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बैजयंत पांडा (भाजपा)
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कनीमोझी करुणानिधि (डीएमके)
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सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी)
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श्रिकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना)
रिजिजू ने कहा,“जब देश को एकजुट होकर बोलने की ज़रूरत होती है, भारत तब एक स्वर में खड़ा होता है. ये प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के खिलाफ हमारे राष्ट्रीय दृष्टिकोण को दुनिया तक पहुंचाएंगे.”
ये प्रयास भारत की 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की गई सशक्त सैन्य प्रतिक्रिया का हिस्सा हैं. 7 मई को शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया, जिसमें 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया. इनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से जुड़े आतंकी शामिल थे.
इसके जवाब में पाकिस्तान ने एलओसी और जम्मू-कश्मीर सीमा पर गोलाबारी, साथ ही ड्रोन हमले किए, जिसके बाद भारत ने 11 पाकिस्तानी एयरबेस पर रडार, संचार केंद्र और एयरफील्ड को निशाना बनाते हुए जवाबी हमला किया.
इस घटनाक्रम से साफ है कि भारत जहां अपने ठोस और समन्वित कूटनीतिक-सैन्य दृष्टिकोण से वैश्विक समर्थन जुटा रहा है, वहीं पाकिस्तान अब प्रतिउत्तर की मुद्रा में ‘शांति’ का आवरण ओढ़कर अपनी नीतियों पर उठते सवालों से बचने की कोशिश कर रहा है.