क्वेटा. बलूचिस्तान में स्थिति लगातार खराब होती जा रही है, क्योंकि पाकिस्तानी रक्षा बलों ने बलूच समुदाय पर क्रूरतापूर्वक कार्रवाई की है, क्योंकि वे बलूच राष्ट्रीय सभा के लिए बलूचिस्तान में एकत्र हुए थे. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पाकिस्तानी रक्षा बल उन्हें राष्ट्रव्यापी सभा में भाग लेने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जो सरकार और रक्षा बलों को उनकी ‘क्रूरता’ के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं.
हालांकि, प्रदर्शनकारियों के अनुसार, पाकिस्तान में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने बलूचिस्तान में हिंसा के मुद्दे को अपने पक्ष में कर लिया है. बलूच यकजेहती समिति ने एक मीडिया बयान में अंतरराष्ट्रीय मीडिया से इस मुद्दे को कवरेज देने का आग्रह किया.
बीवाईसी के बयान में कहा गया है, ‘‘बलूचिस्तान अब पूरी तरह से युद्धग्रस्त क्षेत्र बन गया है. पाकिस्तान इस शांतिपूर्ण सार्वजनिक सभा को रोकने के लिए अपनी सारी मशीनरी और शक्ति का उपयोग कर रहा है और सबसे खराब मानवाधिकार उल्लंघन कर रहा है.’’
बलूचिस्तान में चल रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर प्रकाश डालते हुए अधिकार समूह ने कहा, ‘‘पिछले 48 घंटों से ग्वादर और मकुरान के अधिकांश हिस्सों में इंटरनेट पूरी तरह से बंद है, जबकि कल शाम से फोन नेटवर्क बंद कर दिए गए हैं. ग्वादर और आस-पास के इलाकों में पूरी तरह से अघोषित कर्फ्यू लगा दिया गया है. किसी को भी ग्वादर में प्रवेश करने या वहां से जाने की अनुमति नहीं है.’’
बयान में बलूच कारवां पर पाकिस्तानी रक्षा बलों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है, जो एक राष्ट्रीय सभा के लिए ग्वादर की यात्रा कर रहे थे. कथित तौर पर, हजारों लोगों सहित बलूच राष्ट्रीय सभा का कारवां कल सुबह क्वेटा से रवाना हुआ. उन्हें पाकिस्तानी सेना, फ्रंटियर कोर द्वारा रोका गया और बाधा डाली गई. इन कई बाधाओं को पार करने के बाद कारवां मस्तुंग पहुंचा, जहां पाकिस्तानी सेना ने सैकड़ों महिलाओं और बच्चों को ले जा रहे कारवां पर सीधी गोलीबारी की. इस बर्बरता में 14 प्रतिभागी घायल हो गए, जिनमें से तीन गंभीर रूप से घायल हो गए और अब क्वेटा ट्रॉमा सेंटर में उनका इलाज चल रहा है.
इसके बाद, सैन्य बलों ने काफिले के सभी वाहनों के टायर फोड़ दिए, जिससे वे बेकार हो गए और सीधी गोलीबारी से खिड़कियों के शीशे टूट गए. बलूच राष्ट्रीय सभा के लिए जाने वाला कारवां वर्तमान में मस्तुंग में शांतिपूर्ण धरना दे रहा है. बीवाईसी ने आगे आरोप लगाया कि बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर छापे मारे गए और कई लोगों को ‘जबरन गायब कर दिया गया.’’ अन्य लोगों पर झूठे मामले दर्ज किए गए.
बयान में कहा गया, ‘‘बलूच राष्ट्रीय सभा को विफल करने के लिए, पिछले सप्ताह राष्ट्रीय सभा की तैयारी कर रहे शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं पर बलूचिस्तान के विभिन्न हिस्सों में छापे मारे गए. कराची से पांच और क्वेटा से कई लोगों को जबरन गायब कर दिया गया और बलूचिस्तान के विभिन्न हिस्सों में शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं के खिलाफ कई झूठी एफआईआर दर्ज की गई.’’
पूरे बलूचिस्तान क्षेत्र को ‘युद्ध क्षेत्र’ करार देते हुए, बीवाईसी ने वैश्विक मीडिया घरानों और पत्रकारों से पत्रकारिता के मूल्यों और सिद्धांतों का सम्मान करने और इस मुद्दे को कवर करने का आग्रह किया. बयान में कहा गया है, ‘‘पिछले 48 घंटों से पूरा बलूचिस्तान युद्ध क्षेत्र बना हुआ है, लेकिन यह बेहद अफसोसजनक और पत्रकार समुदाय के लिए शर्म की बात है कि तथाकथित पाकिस्तानी मुख्यधारा के मीडिया और पत्रकारों में से किसी ने भी इस गंभीर मुद्दे पर एक शब्द नहीं कहा है, बल्कि सभी को आपराधिक तरीके से चुप करा दिया गया है. हम वैश्विक स्तर पर सभी मीडिया घरानों और पत्रकारों से अपील करते हैं कि वे बलूचिस्तान में युद्ध जैसी स्थिति, ग्वादर में पूर्ण कर्फ्यू और पाकिस्तानी राज्य द्वारा की गई गंभीर क्रूरता और उत्पीड़न की कवरेज प्रदान करने के लिए पत्रकारिता के मूल्यों और सिद्धांतों का सम्मान करें.’’
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