सियोल
दक्षिण कोरिया में मंगलवार देर रात विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार ली जे-म्यांग ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया। यह ऐतिहासिक जीत ऐसे समय में हुई है जब देश लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता और विवादों से जूझ रहा था।
यह संकट उस वक्त शुरू हुआ था जब तत्कालीन रूढ़िवादी राष्ट्रपति यून सुक येओल ने अप्रत्याशित रूप से ‘मार्शल लॉ’ लागू कर दिया था, जिससे देश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर सवाल उठने लगे थे।
हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ली जे-म्यांग के सत्ता में आने से दक्षिण कोरिया की विदेश नीति में कोई त्वरित बदलाव होगा या नहीं। आलोचक पहले उन पर चीन और उत्तर कोरिया के प्रति नरम रुख और अमेरिका और जापान से दूरी के आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन ली ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका के साथ गठबंधन दक्षिण कोरिया की विदेश नीति की बुनियाद बना रहेगा।
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के समक्ष दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय चुनौतियां होंगी—अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियां और उत्तर कोरिया का बढ़ता परमाणु खतरा। विशेषज्ञों का मानना है कि इन जटिल मसलों पर कोई भी बड़ा बदलाव जल्दी संभव नहीं होगा।
मंगलवार रात 2:40 बजे तक आए आंकड़ों के अनुसार, 95 प्रतिशत मतों की गिनती के बाद ली को 48.86 प्रतिशत वोट मिले, जबकि मुख्य रूढ़िवादी उम्मीदवार किम मून सू को 41.98 प्रतिशत मत प्राप्त हुए।
ली की औपचारिक जीत की घोषणा से पहले ही किम मून सू ने अपनी हार स्वीकार कर ली और प्रेस को बताया, "मैं जनता के निर्णय को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं।" उन्होंने ली को बधाई भी दी।
जीत के बाद, ली जे-म्यांग ने सियोल की सड़कों पर हजारों समर्थकों को संबोधित किया। उन्होंने भले ही औपचारिक रूप से जीत का ऐलान नहीं किया, लेकिन आर्थिक पुनरुद्धार, उत्तर कोरिया के साथ शांति प्रयास, और देश की एकता जैसे मुद्दों को अपनी प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा:
"हमें इस पल को उम्मीद के साथ अपनाना चाहिए और एक नयी शुरुआत करनी चाहिए।"
ली जे-म्यांग बुधवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, जिसके साथ दक्षिण कोरिया एक नये नेतृत्व के दौर में प्रवेश करेगा।