गुवाहाटी के शेख सबा अहमद की कविता से कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद पर करारा प्रहार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-06-2025
Sheikh Saba Ahmed's poem from Guwahati hits hard on Pak sponsored terrorism in Kashmir
Sheikh Saba Ahmed's poem from Guwahati hits hard on Pak sponsored terrorism in Kashmir

 

दौलत रहमान / गुवाहाटी

जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने भारत में वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बना लिया है, तब गुवाहाटी के एक स्कूल शिक्षक शेख मोहम्मद सबा अहमद ने इस गंभीर मुद्दे को एक अलग माध्यम — कविता — के ज़रिए उठाने की कोशिश की है.उनकी कविता “इन द वैली ऑफ रेड” (In the Valley of Red), जो कश्मीरी युवाओं की जानों के नुकसान की कहानी कहती है, “The Penguin Book of Poems on the Indian City” नामक प्रतिष्ठित कविता संकलन में शामिल की गई है.

ग़ालिब का दिल्ली, नीसीम एज़ेकियल का बॉम्बे, आगा शाहिद अली का श्रीनगर, कमला दास का कलकत्ता, सरोजिनी नायडू का हैदराबाद, अरुंधति सुब्रमण्यम का मद्रास और किनफाम सिंग नोंगकिंरीह का शिलॉन्ग — ये सभी मिलकर इस संकलन में पाठकों को भारत के 37शहरों की एक अद्भुत काव्य यात्रा पर ले जाते हैं.

यह संकलन करीब 300 कविताओं को समेटे हुए है, जिनमें से कुछ अंग्रेज़ी में लिखी गई हैं और कुछ 25क्षेत्रीय भाषाओं से अनूदित हैं.यह संग्रह भारत के शहरी परिदृश्य की एक गहन और भावनात्मक झलक प्रस्तुत करता है.

Awaz-The Voice से बातचीत में सबा अहमद ने बताया कि उनकी कविता “इन द वैली ऑफ रेड” मासूम कश्मीरी युवाओं की विडंबना को दर्शाती है, जिन्हें ब्रेनवॉश कर सीमा पार आतंकवादी बना दिया जाता है.ये युवा जब वापस अपने ही घर (कश्मीर) लौटते हैं, तो उन्हें अपने ही लोगों की हत्या करनी पड़ती है — और अंततः वे खुद भी सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ों में मारे जाते हैं.

सबा अहमद कहते हैं, "इस कविता के माध्यम से मैंने उन माता-पिताओं की भावनाओं को व्यक्त करने की कोशिश की है जो अपने बेटों की वापसी की राह देखते रहते हैं.लेकिन अंत में उन्हें उनके मृत शरीर ही मिलते हैं.मेरी कविता यह दिखाने की कोशिश करती है कि कैसे पाकिस्तान ने कश्मीर जैसे स्वर्ग को नर्क बना दिया है."

पेंगुइन की इस किताब में शामिल होने से पहले, सबा अहमद की यह कविता WITNESS: The Red River Book of Poetry of Dissent (2021) में प्रकाशित हुई थी.यह संग्रह भारत के हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज़ को दर्शाने वाली कविताओं का संकलन है, जिसे प्रसिद्ध कवयित्री नबीना दास ने संपादित किया था.

इसके बाद यह कविता लंदन स्थित Joao-Roque Literary Journal में 28फरवरी 2022को प्रकाशित हुई, जिसे ब्रिटिश-एशियाई लेखिका और संपादक सेल्मा कार्वाल्हो ने संपादित किया.

पेंगुइन की इस कविता पुस्तक में सबा अहमद की एक और कविता “Guwahati Diaries” को भी शामिल किया गया है, जो कोविड-19महामारी के दौरान गुवाहाटी शहर की स्थिति को दर्शाती है.

“The Penguin Book of Poems on the Indian City” को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बिलाल मोइन ने संपादित किया है और इसे 30मई 2025को प्रकाशित किया जाएगा.सबा अहमद, जो गुवाहाटी के प्रतिष्ठित डॉन बॉस्को स्कूल, पानबाजार में सामाजिक विज्ञान पढ़ाते हैं, छात्रों, अभिभावकों और सहकर्मियों के बीच अपने मिलनसार स्वभाव के लिए बेहद लोकप्रिय हैं.

वे कहते हैं, "मैंने 1988या 1989में, जब मैं आठवीं या नौवीं कक्षा में था, कुछ पंक्तियाँ लिखनी शुरू की थीं.ऐसा लगा जैसे मैं 14साल का बच्चा फिर से बन गया हूं.वहीं से यह लंबी यात्रा शुरू हुई."

उन्हें 2019में रुएल इंटरनेशनल प्राइज फॉर पोएट्री से सम्मानित किया गया था, जो उन्हें पूर्वोत्तर भारत के सबसे उभरते कवि के रूप में मिला.उनकी कविताओं का इटालियन अनुवाद इटली के नेपल्स शहर के कवि जॉर्जियो मोइओ ने किया, जबकि मणिपुरी में अनुवाद वरिष्ठ आलोचक लैश्राम मेमो सिंह ने किया.

सबा अहमद कश्मीर की वर्तमान स्थिति को लेकर काफी चिंतित हैं.उन्होंने कहा,"कश्मीर में दशकों बाद हालात सामान्य हो रहे थे.लेकिन पहलगाम में हुए हमले ने सबकुछ बर्बाद कर दिया.फिर भी मैं उम्मीद करता हूं कि कश्मीर के अच्छे दिन लौटेंगे.यदि मेरी कविता कश्मीरी युवाओं को छू सके और वे सीमा पार दिखाए गए गलत रास्ते को छोड़ सकें — तो वह मेरे जीवन का सबसे सुखद क्षण होगा."