विदुषी गौड़/ नई दिल्ली
सोमवार को नई दिल्ली में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (VIF) में एक विचारोत्तेजक और रणनीतिक संबोधन में, जाने-माने अर्थशास्त्री और VIF के अध्यक्ष, एस. गुरुमूर्ति ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का अनावरण किया, जो एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा और भू-राजनीतिक रणनीति है, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह “भारतीय युद्ध में एक आदर्श बदलाव” है.
इस कार्यक्रम में विद्वानों, नीति निर्माताओं, पूर्व सैन्य अधिकारियों और भारत के रणनीतिक समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया. VIF के निदेशक डॉ. अरविंद गुप्ता ने सत्र की शुरुआत की और गुरुमूर्ति का परिचय दिया, जिससे एक ऐसे प्रवचन की शुरुआत हुई जो सैन्य अंतर्दृष्टि को सांस्कृतिक और राजनीतिक विश्लेषण के साथ मिलाएगा.
अपने संबोधन में, गुरुमूर्ति ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत के सुरक्षा इतिहास में एक गेम-चेंजिंग पल बताया. उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य रणनीति नहीं है, यह सैन्य, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से एक शक्ति के रूप में भारत के आगमन की घोषणा है.”
ऑपरेशन सिंदूर - एस. गुरुमूर्ति द्वारा हेलीकॉप्टर से लिया गया दृश्य
गुरुमूर्ति ने कहा कि भारत को अपनी प्राचीन संस्कृति और दार्शनिक योगदान के लिए लंबे समय से वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता रहा है, लेकिन पिछले 14वर्षों ने इसकी वैश्विक छवि को फिर से परिभाषित किया है. उन्होंने कहा, "आध्यात्मिकता और सभ्यता में निहित एक नरम शक्ति से, भारत को अब एक उभरती हुई कठोर शक्ति के रूप में देखा जा रहा है. दो दशक पहले यह बदलाव अकल्पनीय था." उन्होंने जोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की तैयारियों और रणनीतिक संकल्प को दिखाकर इस धारणा को फिर से आकार देने में मदद की है. "यह 1947या 1999का भारत नहीं है.
यह 2025का भारत है, जो आत्मविश्वासी, सक्षम और आत्मनिर्भर है." गुरुमूर्ति ने पाकिस्तान की तीखी आलोचना की और भारत के प्रति उसकी लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी को उजागर किया. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान का राष्ट्रवाद और अस्तित्व पूरी तरह से भारत को हराने पर आधारित है. इसकी राष्ट्रीय पहचान सकारात्मक नहीं है, यह प्रतिक्रियावादी है."
पहलगाम हमले सहित हाल की आतंकी गतिविधियों का जिक्र करते हुए गुरुमूर्ति ने कहा, "उन्होंने गोली चलाने से पहले पीड़ितों से उनका धर्म पूछा. यह सिर्फ आतंकवाद नहीं है, यह धार्मिक आतंकवाद है. इसका उद्देश्य भारत के भीतर आंतरिक नफरत को भड़काना था." लेकिन, जैसा कि उन्होंने बताया, यह कदम विफल रहा. उन्होंने कहा, "वे चाहते थे कि हिंदू भारत में मुसलमानों से नफरत करें. लेकिन क्या हुआ? हिंदू और मुसलमान दोनों ही आक्रोश, दुख और संकल्प में एकजुट थे.
पाकिस्तान ने पूरी तरह से गलत अनुमान लगाया." ऑपरेशन सिंदूर की जड़ों का पता लगाते हुए, गुरुमूर्ति ने खुलासा किया कि रणनीतिक आधार 2015में शुरू हुआ जब भारत ने चुपचाप एक नए मॉडल की तैयारी शुरू कर दी, "शून्य-संपर्क युद्ध." उन्होंने कहा कि निर्णायक बिंदु 2019 में आया, जब भारत के रक्षा बलों ने परिचालन तत्परता का एक नया रूप प्रदर्शित किया. उन्होंने कहा, "2019एक महत्वपूर्ण मोड़ था. सेना तैयार थी, और राजनीतिक नेतृत्व ने इसे आगे बढ़ाया.
अध्यक्ष, वीआईएफ, एस. गुरुमूर्ति
यह सटीक था, यह शक्तिशाली था, और यह अदृश्य था. आधुनिक युद्ध की यही खूबसूरती है, आप बिना देखे जीत जाते हैं." गुरुमूर्ति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2017की इजरायल यात्रा की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी, एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम के रूप में, जो बाद में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान फलीभूत हुआ.
उन्होंने जोर देकर कहा, "उस समय विपक्ष, मीडिया और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत पर उंगलियां उठाई गई थीं. लेकिन अगर 2025में इजरायल भारत के साथ खड़ा नहीं होता, तो चीजें बहुत अलग होतीं." गुरुमूर्ति ने ऑपरेशनल बारीकियों का खुलासा करने से परहेज किया, लेकिन संकेत दिया कि इजरायल के समर्थन ने, संभवतः खुफिया और प्रौद्योगिकी के मामले में, भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
गुरुमूर्ति के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में चार मूलभूत ताकतें शामिल थीं:
मजबूत राजनीतिक नेतृत्व: “आपको ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है जो पीछे न हटे, पीछे न हटे. आज हमारे पास जो नेतृत्व है उसके बिना ऑपरेशन सिंदूर नहीं हो सकता था.”
लचीली अर्थव्यवस्था: उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत ने उसे अंतरराष्ट्रीय दबावों और प्रतिबंधों का सामना करने में सक्षम बनाया. “एक कमज़ोर अर्थव्यवस्था एक मज़बूत युद्ध का जोखिम नहीं उठा सकती. लेकिन हमारे पास संसाधन थे, और हमने उनका बुद्धिमानी से इस्तेमाल किया.”
वैश्विक भारतीय प्रवासी: “भारतीय प्रवासी सिर्फ़ एक समुदाय नहीं हैं; यह एक रणनीतिक संपत्ति है. मीडिया के प्रभाव से लेकर नीति निर्माण तक, उनका समर्थन बहुत ज़्यादा था.”
आत्मनिर्भरता: “मेक-इन-इंडिया सिर्फ़ एक नारा नहीं था. यह एक रणनीतिक अनिवार्यता बन गई. हमारे अपने हथियार, हमारी अपनी प्रणाली, हमारी अपनी रक्षा खुफिया जानकारी. यही आत्मनिर्भरता की कार्रवाई है.”
वीआईएफ के निदेशक डॉ. अरविंद गुप्ता (बाएं) और वीआईएफ के चर्मन एस. गुरुमूर्ति (दाएं)
गुरुमूर्ति ने ज़ोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ़ सैन्य प्रभुत्व के बारे में नहीं है, बल्कि भारत के सांस्कृतिक और सभ्यतागत आत्मविश्वास को बहाल करने के बारे में है. उन्होंने कहा, "हम विजय पर आधारित राष्ट्र नहीं हैं. हम चेतना पर आधारित राष्ट्र हैं. लेकिन अब, हम अपनी चेतना पर बिना किसी परिणाम के हमला नहीं होने देंगे." गुरुमूर्ति ने राष्ट्र से एकजुट और सतर्क रहने का आग्रह करते हुए समापन किया.
"यह अंत नहीं है. यह भारत की यात्रा के एक नए चरण की शुरुआत है, जो स्पष्टता, एकता और तत्परता की मांग करता है. हमें आत्मसंतुष्टि को अपने अंदर नहीं आने देना चाहिए." संबोधन के बाद एक जीवंत प्रश्नोत्तर सत्र हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने साइबर युद्ध से लेकर सीमा कूटनीति तक के मुद्दे उठाए. कमरे में मौजूद लोगों में नए आत्मविश्वास की भावना थी.