लंदनः बलूच एक्टिविस्ट ने किया विरोध प्रदर्शन, संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान में हस्तक्षेप की मांग

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 20-05-2022
लंदनः बलूच एक्टिविस्ट ने किया विरोध प्रदर्शन, संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान में हस्तक्षेप की मांग
लंदनः बलूच एक्टिविस्ट ने किया विरोध प्रदर्शन, संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान में हस्तक्षेप की मांग

 

लंदन. बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) ने लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन किया है. इस प्रदर्शन का उद्देश्य होशाप में पाकिस्तानी सेना द्वारा नूरजन बलूच की अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध दर्ज कराना था.

गिरफ्तारी के बाद, नूरजन बलूच को बाद में एक अदालत में पेश किया गया और फर्जी और आधारहीन प्राथमिकी और फिर से बलूच छात्रों के जबरन गायब होने और पंजाब के विभिन्न विश्वविद्यालयों में उनकी नस्लीय प्रोफाइलिंग का आरोप लगाया गया.

बड़ी संख्या में बीएनएम कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन में भाग लिया और बलूचिस्तान में चल रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में तख्तियां प्रदर्शित कीं. प्रदर्शनकारियों को बीएनएम के केंद्रीय कनिष्ठ संयुक्त सचिव हसन दोस्त बलूच, केंद्रीय समिति के सदस्य नियाज बलूच, मेहनाज बलूच और मास्टर मंजूर बलूच ने संबोधित किया.

नूरजन बलूच की गैर-न्यायिक गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पाकिस्तान राज्य बलूचिस्तान में युद्ध के सभी कानूनों का उल्लंघन कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘यह मानवता का अपमान है और बुनियादी मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान लंबे समय से बलूचिस्तान में महिलाओं को गिरफ्तार और गायब कर रहा है. आज, पाकिस्तानी यातना कक्षों में पुरुषों के साथ बलूच महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है और हाल ही में पाकिस्तान ने इस प्रथा को तेज किया है.’’

एक अन्य वक्ता ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार बनुक शरई बलूच की कार्रवाइयों के बाद जवाबी कार्रवाई के रूप में बलूच महिलाओं को अपमानित कर रही है और सभी बलूच पुरुषों और महिलाओं को धमकाने की पूरी कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘जरीना मैरी से लेकर सैकड़ों बलूच महिलाएं जिनका अपहरण किया गया था और जबरन गायब कर दिया गया था, क्या उनका भी किसी कार्रवाई की प्रतिक्रिया में अपहरण किया गया था? जवाब नहीं है. यह बलूच जनता को आतंकित करने के लिए राज्य की नीति है.’’

वक्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार निकायों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तानी अत्याचारों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और बलूचिस्तान में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना सभी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों और सिद्धांतों के उल्लंघन में, बलूच नरसंहार की हत्या में खुले तौर पर शामिल थी.