राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर ख्वाजा शाहिद अलियास मिया मुजाहिद का पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों द्वारा अपहरण कर लिया गया था. अब सोशल मीडिया पर उसका शव मिलने की खबर आई है. मिया मुजाहिद पर ‘2018 सुंजुवान आतंकवादी हमले’ यानी भारतीय सेना शिविर पर हमला करने के आरोप हैं. वह इस हमले के मास्टरमाइंडों में से एक था.
टाइम्स अलजेब्रा ने एक्स पर कहा, ‘‘बिग ब्रेकिंग न्यूज ⚡ लापता वांटेड लश्कर आतंकी ख्वाजा शाहिद का शव पीओके के अथमुकाम सेक्टर में एलओसी के पास मिला. कल अज्ञात लोगों ने उसका अपहरण कर लिया था 🔥🔥 अज्ञात आतंकवादी का एक और शव भी मिला. सदमे में हैं बाकी पाकिस्तानी आतंकी हैं बेबस.’’
BIG BREAKING NEWS ⚡ Missing Wanted Lashkar terrorist Khwaja Shahid behe@ded dead body found near LoC in Athmuqam sector of PoK.
— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) November 5, 2023
He was kidnapped by UNKNOWN MEN yesterday 🔥🔥 Another dead body of unidentified terrorist also found.
Other Pakistani terrorists in shock, they are… pic.twitter.com/Y4SGDkb8iX
मूल रूप से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की नीलम घाटी के रहने वाले ख्वाजा शाहिद उर्फ मिया मुजाहिद ने फरवरी 2018 में जम्मू में सुंजुवान सेना शिविर पर घातक हमले की योजना बनाई थी. उसके अपहरण के पाकिस्तानी अधिकारी हाई अलर्ट पर आ गए हैं.
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तानी सेना दोनों के लिए एक चुनौती है और उसके अपहरण के पीछे की रहस्यमय परिस्थितियों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि वे स्थिति को सुलझाने के प्रयास तेज कर रहे हैं.
सुंजुवान आतंकी हमला 10 फरवरी, 2018 को हुआ था, जब जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने जम्मू के सुंजुवान में एक भारतीय सेना शिविर को निशाना बनाया था, जिसके परिणामस्वरूप लोगों की दुखद हानि हुई थी. एके-47 असॉल्ट राइफलों और ग्रेनेड से लैस हमलावरों ने शिविर पर हमला कर दिया, जिसमें छह सैनिक, तीन हमलावर और एक नागरिक की मौत हो गई.
हमले में 14 सैनिकों और पांच महिलाओं और बच्चों सहित 20 अन्य घायल हो गए. यह घटना 2016 के उरी हमले के बाद सबसे घातक हमलों में से एक है और यह 2001 के भारतीय संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की मौत की सालगिरह के साथ मेल खाती है.
हमले के दौरान आतंकवादियों को शिविर के भीतर एक आवासीय परिसर में घेर लिया गया था. 24 घंटे से अधिक समय तक चलने वाली भीषण लड़ाई हुई, जिसके दौरान विशेष बलों ने आतंकवादियों से मुकाबला किया. अंततः सभी हमलावर मारे गये. 150 इमारतों वाले सेना शिविर को हटा दिया गया और किसी भी शेष खतरे को बेअसर करने के लिए फ्लशिंग अॉपरेशन चलाया गया.
हमले में सूबेदार और पांच सैनिकों मदन लाल चैधरी, मोहम्मद अशरफ मीर, हवलदार, हबीबुल्लाह कुरैशी, एन.के. मंजूर अहमद, और मोहम्मद इक़बाल की जान चली गई थी. हमलावरों की पहचान कारी मुश्ताक, मोहम्मद खालिद खान और मोहम्मद आदिल के रूप में की गई, जो सभी पाकिस्तानी नागरिक थे.
अवैध रोहिंग्याओं की संलिप्तता
इस हमले में कुछ अवैध रोहिंग्याओं की संभावित संलिप्तता के संकेत भी मिले थे. उन्होंने हमले के दौरान आतंकवादियों को रसद पहुंचाई थी.