कराची
कराची के लियारी बगदादी इलाके में तीन दिन पहले गिरी पांच मंजिला इमारत के मलबे से 27 शवों को बाहर निकाल लिया गया है और सोमवार को रेस्क्यू ऑपरेशन को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया गया।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी जावेद नबी खोसो ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि मलबे के नीचे से सभी शवों को निकाल लिया गया है, इसलिए सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है।
क्या था मामला?
चार जुलाई को कराची के लियारी में स्थित एक पुरानी पांच मंजिला इमारत अचानक गिर गई थी। इस हादसे के बाद लगातार तीन दिन तक रेस्क्यू टीमें मलबा हटाने और फंसे हुए लोगों को निकालने में लगी रहीं।
2022 से घोषित थी 'असुरक्षित'
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि यह इमारत 2022 और 2024 के बीच ‘असुरक्षित’ घोषित की जा चुकी थी, और निवासियों को नोटिस भी जारी किए गए थे। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला।
पीड़ितों में 20 हिंदू शामिल
अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता संदीप महेश्वरी ने बताया कि हादसे में मारे गए 20 लोग हिंदू समुदाय से थे, और इनमें से अधिकतर बहुत गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते थे।
सरकार की कार्रवाई और मुआवज़ा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रांतीय मंत्रियों ज़िया लांजार और सईद गनी के साथ वरिष्ठ मंत्री शर्जील मेमन ने कहा कि इस हादसे की जांच के लिए गठित फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट दो दिन में पेश की जाएगी।
उन्होंने बताया कि सिंध बिल्डिंग कंट्रोल अथॉरिटी (SBCA) के महानिदेशक को निलंबित कर दिया गया है, और यदि किसी भी सरकारी अधिकारी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मृतकों के परिजनों को सरकार की ओर से 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा।
खतरनाक इमारतों का सर्वे शुरू
सईद गनी ने बताया कि कमिश्नर कराची को जिम्मेदारी दी गई है कि शहर की 51 सबसे खतरनाक इमारतों का तत्काल सर्वे कराया जाए। इसके साथ ही, कराची में मौजूद 588 खतरनाक इमारतों की सूची भी मांगी गई है, ताकि यह तय किया जा सके कि कौन-सी इमारतें तुरंत गिराई जानी चाहिए और कौन-सी मरम्मत के योग्य हैं।
एफआईआर और जवाबदेही तय होगी
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी। जिन अधिकारियों ने 2022 में इस इमारत को ‘असुरक्षित’ घोषित किया था, उनकी पहचान की जा रही है ताकि उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।
यह हादसा कराची की शहरी संरचनात्मक लापरवाहियों की एक और दर्दनाक मिसाल बनकर सामने आया है, जिसमें न केवल दर्जनों मासूम लोगों की जान गई, बल्कि प्रशासन की विफलता भी उजागर हुई है।