ग़ाज़ा सिटी
इज़राइल, ग़ाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में रविवार को तनाव और उम्मीद दोनों का माहौल देखने को मिला, क्योंकि इज़राइल और हमास के बीच संघर्षविराम जारी रहा। आने वाला दिन सभी पक्षों और पूरे क्षेत्र के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।
ऐसा माना जा रहा है कि सोमवार को ग़ाज़ा में मौजूद 48 बंधकों — जिनमें जीवित और मृत दोनों शामिल हैं — को रिहा किया जाएगा, साथ ही सैकड़ों फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को छोड़ा जाएगा। ग़ाज़ा, जो दो वर्षों के युद्ध में तबाह हो चुका है, में बड़े पैमाने पर राहत सामग्री भेजने की तैयारी भी चल रही है।
यह युद्ध तब शुरू हुआ था जब 7 अक्टूबर 2023 को हमास के नेतृत्व में आतंकवादियों ने इज़राइल पर हमला किया था, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और लगभग 250 को बंधक बना लिया गया था। इसके बाद इज़राइल की जवाबी कार्रवाई में ग़ाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 67,600 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए।
इसी बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को इज़राइल की यात्रा पर आ रहे हैं और कुछ घंटे रुकने के बाद मिस्र के लिए रवाना होंगे।
रविवार को उन बंधकों को लिए गए 737 दिन पूरे हो गए — यह गिनती इज़राइल में रोज़ाना लोगों द्वारा एक पट्टी पर लिखकर पहनी जाती है।इज़राइल ने रविवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि 20 जीवित बंधकों को सोमवार को एक साथ रिहा किया जाएगा। उन्हें इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस (ICRC) के माध्यम से इज़राइली सेना को सौंपा जाएगा, जो उन्हें दक्षिण इज़राइल के रईम सैन्य बेस ले जाएगी, जहां वे अपने परिवारों से मिल सकेंगे।
रिहाई के बाद सभी बंधकों को देश के विभिन्न पुनर्वास केंद्रों में भेजा जाएगा। रेड क्रॉस से आग्रह किया गया है कि ज़रूरत पड़ने पर तत्काल इलाज के लिए एंबुलेंसें तैनात रहें।
हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि 28 मृतकों के शव एक साथ नहीं सौंपे जाएंगे। एक संघर्षविराम दस्तावेज़ में यह प्रावधान है कि यदि 72 घंटे के भीतर शव नहीं मिलते, तो "एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी" उनकी तलाश में मदद करेगी।
संघर्षविराम समझौते के तहत करीब 2,000 फ़िलिस्तीनी कैदियों को इज़राइल की जेलों से रिहा किया जाएगा। इनमें लगभग 1,700 वे हैं जिन्हें युद्ध के दौरान ग़ाज़ा से हिरासत में लिया गया था और बिना किसी मुकदमे के कैद रखा गया।
250 से अधिक क़ैदी ऐसे हैं जिन्हें सज़ाएं सुनाई जा चुकी हैं। इनमें हमास और फतह गुट के सदस्य शामिल हैं, जो गोलीबारी, बम विस्फोट और हमलों में शामिल थे। कुछ को हल्के आरोपों में भी सज़ा दी गई थी।
इनमें से कई वेस्ट बैंक, ग़ाज़ा या निर्वासन के लिए भेजे जाएंगे। यह अभी साफ़ नहीं है कि किन्हें ग़ाज़ा भेजा जाएगा और कौन देश छोड़ने को मजबूर होगा।
मानवता से जुड़ी संस्थाएं ग़ाज़ा में राहत सामग्री पहुंचाने की तैयारी कर रही हैं, खासकर भोजन, जिसकी भारी कमी है।रविवार को मिस्र से करीब 400 ट्रक राहत सामग्री लेकर भेजे गए, जिन्हें इज़राइली सुरक्षा जांच से गुजरना होगा। इज़राइल की मानवीय सहायता एजेंसी के अनुसार, संघर्षविराम समझौते के तहत जल्द ही रोज़ाना 600 ट्रक राहत ग़ाज़ा में भेजे जाएंगे।
अगस्त में, खाद्य संकट की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था ने बताया था कि ग़ाज़ा सिटी भयानक अकाल की चपेट में है, और यदि संघर्षविराम नहीं होता, तो यह अकाल दक्षिण के शहरों — दीर अल-बलाह और खान यूनिस — तक फैल सकता था।
ग़ाज़ा का अधिकांश हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका है और लगभग 20 लाख निवासी बेघर हो चुके हैं। पुनर्निर्माण की राह बेहद कठिन है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने संघर्षविराम समझौते में अहम भूमिका निभाई, सोमवार सुबह इज़राइल पहुंचेंगे।यरुशलम में एक इमारत पर विशाल अमेरिकी झंडा लगाया गया है, और शनिवार रात को पुराने शहर की दीवारों पर इज़राइली और अमेरिकी झंडे की रोशनी डाली गई।
ट्रंप बंधकों के परिवारों से मुलाक़ात करेंगे और इज़राइली संसद — नेसेट — को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे मिस्र में "शांति सम्मेलन" में शामिल होंगे, जिसमें क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेता भाग लेंगे। वहां से वे मंगलवार देर रात व्हाइट हाउस लौटेंगे।
बंधकों की रिहाई और संघर्षविराम एक शांति योजना की शुरुआत भर है। आगे का रास्ता अब भी अनिश्चित है।
इज़राइल चाहता है कि हमास हथियार डाले
हमास चाहता है कि इज़राइल ग़ाज़ा से पूरी तरह सेना हटाए
ग़ाज़ा का प्रशासनिक भविष्य — जो पिछले 20 वर्षों से हमास के नियंत्रण में है — भी स्पष्ट नहीं है।
ग़ाज़ा का स्वास्थ्य मंत्रालय (जो हमास के तहत आता है) का कहना है कि अब तक हुई 67,600 मौतों में करीब आधी महिलाएं और बच्चे हैं। हालांकि मंत्रालय के आंकड़े कुछ विवादास्पद हैं, फिर भी संयुक्त राष्ट्र और कई स्वतंत्र विशेषज्ञ इन्हें सबसे विश्वसनीय मानते हैं।