सेवा ही धर्म: रायपुर के भरोसेमंद नाम डॉ. अब्बास नकवी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 13-10-2025
Dr. Abbas Naqvi considers medicine not a profession but a service to humanity
Dr. Abbas Naqvi considers medicine not a profession but a service to humanity

 

रायपुर शहर की चिकित्सा सेवाओं में कैसा नाम है जिसने अपनी समर्पण मेहनत ईमानदारी और सेवा भावना से न केवल स्वास्थ्य जगत में नहीं पहचान बनाई बल्कि समाज में भरोसे का प्रतीक भी बन गया. आवाज द वॉयस के चेंज मेकर सीरीज के लिए रायपुर से पेश है हमारे सहयोगी मंदाकिनी मिश्रा की खास रिपोर्ट डॉक्टर अब्बास नकवी पर.

रायपुर शहर में चिकित्सा क्षेत्र की पहचान बने डॉ. अब्बास नकबी उन चुनिंदा चिकित्सकों में गिने जाते हैं, जिनके लिए डॉक्टर होना केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज की सेवा का माध्यम है. मरीजों के बीच उनकी पहचान सिर्फ़ एक अनुभवी चिकित्सक के रूप में ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान के रूप में भी है. 
 
रायपुर में जन्मे और पले-बढ़े डॉ. नकबी ने बचपन से ही चिकित्सा विज्ञान की ओर रुचि दिखाई. मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आगे विशेषज्ञता हासिल की और रायपुर लौटकर अपनी सेवाएं देना शुरू किया. उनका मानना रहा कि बड़े शहरों में जाने के बजाय अपने ही शहर और समाज के लिए कार्य करना ही असली योगदान है.
 
डॉ. नकबी रोज हजारों मरीजों का इलाज कर रहे हैं आधुनिक तकनीक और मानवीय संवेदना का संतुलन उनकी पहचान है. इलाज के दौरान वे मरीज और उनके परिवार को सहज और आत्मविश्वास से भरते हैं. गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए उन्होंने हमेशा दरवाज़े खुले रखे हैं. चिकित्सा सेवा के अलावा डॉ. नकबी कई सामाजिक अभियानों से भी जुड़े हैं। वे स्वास्थ्य शिविरों, रक्तदान कार्यक्रमों और जन-जागरूकता अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं.
 
कोरोना महामारी के समय उनकी सेवाएँ विशेष रूप से सराही गईं, जब उन्होंने दिन-रात मरीजों की मदद की और कई परिवारों को नया जीवन दिया.
 
डॉ. नकबी के कार्यों के लिए उन्हें विभिन्न सामाजिक संस्थाओं और संगठनों द्वारा सम्मानित भी किया गया है. लेकिन वे हर सम्मान को अपने मरीजों की मुस्कान से छोटा मानते हैं. डॉ. नकबी मानते हैं कि डॉक्टर का असली धर्म केवल इलाज करना नहीं, बल्कि इंसानियत को जीवित रखना भी है. यही वजह है कि उनके क्लिनिक से निकलने वाला हर मरीज सिर्फ़ दवा ही नहीं, बल्कि उम्मीद और भरोसा भी लेकर जाता है. साल 2004 में डॉ. नकवी ने रामकृष्ण अस्पताल की नींव रखी. 
 
यह अस्पताल आज छत्तीसगढ़ का प्रमुख मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल बन चुका है. वर्तमान में डॉ. नकवी यहां मेडिसिन विभाग के डायरेक्टर और कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत हैं.
 
1995 से लगातार कर रहे सेवा, मां की इच्छा के कारण रायपुर को बनाया कर्मभूमि
 
डॉ. नकवी ने 1995 से अपने चिकित्सकीय करियर की शुरुआत की. इससे पहले उन्होंने मुंबई के प्रतिष्ठित जसलोक अस्पताल में कार्य किया. खाड़ी देशों और पश्चिमी दुनिया में अवसर मिलने के बावजूद, उन्होंने अपनी मां की इच्छा और अपनी जड़ों से जुड़े रहने के संकल्प के कारण रायपुर लौटने का निर्णय लिया. 
 
 
एक छोटे से क्लिनिक से शुरुआत करने के बाद 1998 में उन्होंने आस्था नर्सिंग होम की स्थापना की. बेहद किफायती और मरीज-हितैषी सेवाओं के कारण यह नर्सिंग होम लंबे समय तक लोगों की पहली पसंद बना रहा और आज भी लोग इसे याद करते हैं. 
 
समाज और मेडिकल जगत से उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. समाज के प्रति उनकी यह संवेदनशीलता और मरीजों के प्रति अपनापन ही उन्हें आज चिकित्सा जगत में अलग पहचान दिलाता है.
 
सबसे बड़ी चुनौती-इलाज की बढ़ती लागत
 
डॉ. नकवी का मानना है कि बीमारी सिर्फ शरीर की नहीं होती, मन और समाज की भी होती है. अगर डॉक्टर सच्चे मन से मरीज की मदद करे तो आधी बीमारी वहीं ठीक हो जाती है. डॉ. नकवी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इलाज की बढ़ती लागत है.
 
डॉ. नकवी लगातार प्रयास कर रहे हैं कि हर वर्ग का व्यक्ति, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, बेहतर और सस्ती चिकित्सा सेवाएं प्राप्त कर सके. मेडिकल कॉलेज के दिनों से ही नेतृत्व क्षमता उनकी पहचान रही. वह वहां सचिव और अध्यक्ष जैसे पदों पर रहे, और आगे चलकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी बने.
 
डॉ. नकवी की मुस्कान सहजता से मरीजों का आधा दर्द हो जाता खत्म
 
डॉ. नकवी आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का इलाज बेहद कम खर्च में या कई बार निःशुल्क कर देते हैं. यही कारण है कि समाज के हर वर्ग का उन पर गहरा भरोसा है. इलाज कराने मरीज बताते हैं कि डॉ. नकवी मरीजों से ऐसे मिलते हैं जैसे परिवार के किसी सदस्य से बात कर रहे हों. उनकी मुस्कान और सहजता मरीज के आधे दर्द को वहीं खत्म कर देती है.
 
रायपुर के पुराने लोग आज भी 1998 में शुरू हुए आस्था नर्सिंग होम को याद करते हैं. सस्ती और मानवीय सेवाओं की वजह से यह नर्सिंग होम आम लोगों के लिए एक बड़ी राहत था.
 
बचपन से ही सेवा-भाव और पढ़ाई के प्रति गहरी रुचि
 
डॉ. नकवी का जन्म रायपुर में एक साधारण और संस्कारी परिवार में हुआ. बचपन से ही उनमें सेवा-भाव और पढ़ाई के प्रति गहरी रुचि रही. उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उच्च प्रशिक्षण मुंबई के जसलोक अस्पताल से हासिल किया. यहाँ काम करने के अनुभव ने उनके पेशेवर जीवन को नई दिशा दी.
 
मेडिकल कॉलेज के दिनों से ही डॉ. नकवी छात्रों और डॉक्टरों के बीच नेतृत्व की भूमिका निभाते रहे. उस समय भी उनकी छवि एक ऐसे छात्र नेता की थी, जो केवल साथियों के अधिकारों और समाज की भलाई के लिए खड़ा होता था.