न्यूयॉर्क
भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ, जो वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रथम उप प्रबंध निदेशक (First Deputy Managing Director) हैं, ने घोषणा की है कि वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में अपनी शैक्षणिक भूमिका में लौट रही हैं।
गोपीनाथ, जो IMF के इतिहास में पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री (Chief Economist) रही हैं, ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “IMF में लगभग 7 शानदार वर्षों के बाद मैंने अपने शैक्षणिक जीवन की जड़ों की ओर लौटने का निर्णय लिया है।”
हार्वर्ड में नई भूमिका
गोपीनाथ 1 सितंबर 2025 से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग में ‘ग्रेगरी और आनिया कॉफी प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स’ के रूप में शामिल होंगी।
उन्होंने कहा, “IMF में अपने समय के लिए मैं सचमुच आभारी हूं। पहले मुख्य अर्थशास्त्री और बाद में उप प्रबंध निदेशक के रूप में काम करना मेरे जीवन का एक अनोखा अनुभव रहा है। अब मैं फिर से अकादमिक क्षेत्र में लौट रही हूं, जहां मैं अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकोनॉमिक्स में शोध को आगे बढ़ाने के साथ नई पीढ़ी के अर्थशास्त्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए उत्साहित हूं।”
IMF में योगदान और सफर
गोपीनाथ जनवरी 2019 में IMF में मुख्य अर्थशास्त्री बनीं और जनवरी 2022 में प्रथम उप प्रबंध निदेशक के पद पर पदोन्नत हुईं। इससे पहले वे 2005 से 2022 तक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जॉन ज़वान्स्ट्रा प्रोफेसर ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज एंड इकोनॉमिक्स थीं और 2001 से 2005 तक यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के बूथ स्कूल ऑफ बिज़नेस में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थीं।
जॉर्जिएवा का बयान
IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा ने गोपीनाथ को “असाधारण बौद्धिक नेता और उत्कृष्ट सहकर्मी” बताते हुए कहा, “उन्होंने IMF के मिशन और उसके सदस्य देशों के लिए जो योगदान दिया, वह बेमिसाल है। वे एक शानदार मैनेजर और टीम लीडर भी रही हैं।”
जॉर्जिएवा ने कहा कि गोपीनाथ IMF में पहले से ही एक सम्मानित शैक्षणिक विशेषज्ञ के रूप में आई थीं, लेकिन महामारी, युद्ध, महंगाई संकट और वैश्विक व्यापार में बड़े बदलाव जैसे चुनौतीपूर्ण समय में उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया।
उन्होंने कहा, “गीता ने IMF के विश्लेषण और नीतिगत कार्यों का नेतृत्व अद्भुत स्पष्टता के साथ किया। उन्होंने जटिल और अनिश्चित समय में भी उच्चतम स्तर के विश्लेषणात्मक मानकों को कायम रखा।”
कोविड महामारी में योगदान
गोपीनाथ ने IMF की बहुपक्षीय निगरानी और नीतिगत कार्यों का नेतृत्व किया, जिसमें राजकोषीय और मौद्रिक नीति, ऋण और अंतरराष्ट्रीय व्यापार शामिल थे। मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ रिपोर्ट को वैश्विक अर्थव्यवस्था की सबसे प्रतिष्ठित रिपोर्ट बनाए रखा—जो कोविड-19 महामारी के समय एक बड़ी उपलब्धि थी।
जॉर्जिएवा ने बताया कि गोपीनाथ ने ‘पैंडेमिक प्लान’ का सह-लेखन किया, जिसने वैश्विक स्तर पर कोविड संकट से उबरने के लिए लक्ष्य और सस्ती टीकाकरण रणनीति का खाका पेश किया।