आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
देश की बहुचर्चित मुस्लिम संगठन जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से आयोजित एक महत्वपूर्ण रात्रिभोज में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने एकजुटता दिखाई और देश के मौजूदा सामाजिक व राजनैतिक हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की. दिल्ली स्थित शांगरी-ला होटल में बुधवार शाम को आयोजित इस कार्यक्रम में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, डीएमके, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग, बीजू जनता दल, आज़ाद समाज पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित कई दलों के वरिष्ठ सांसद शामिल हुए.
कार्यक्रम का उद्देश्य देश में बढ़ती सांप्रदायिकता, असम में बंगाली भाषी मुसलमानों पर अत्याचार, फ़िलिस्तीन पर सरकार की नीति और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श करना था.
रात्रिभोज की शुरुआत जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी द्वारा सभी सांसदों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन से हुई. इसके बाद जमीअत के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने अपने प्रभावशाली संबोधन में दो प्रमुख मुद्दों पर राष्ट्र का ध्यान आकर्षित किया — पहला, फ़िलिस्तीन पर भारत सरकार की मौजूदा नीति और दूसरा, असम में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ जारी दमन.
मौलाना मदनी ने कहा, “फ़िलिस्तीन का मुद्दा अब केवल वहां के मुसलमानों का नहीं, बल्कि पूरी मानवता का है. भारत की ऐतिहासिक विदेश नीति हमेशा अन्याय के खिलाफ और मानवाधिकारों के पक्ष में रही है, लेकिन आज हम ऐसे समूहों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं जो मानवता को रौंद रहे हैं. इससे न केवल हमारी नैतिक साख, बल्कि वैश्विक पहचान भी धूमिल हो रही है.”
उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत सरकार का इज़राइल के प्रति झुकाव देश के संविधान, नीति और मानवीय मूल्यों के विपरीत है.असम के हालात पर बोलते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि “वहाँ जो हो रहा है, वह किसी विकास नीति का हिस्सा नहीं, बल्कि एक संगठित साजिश है.
सरकार कानून तोड़कर एक विशेष समुदाय को बेदखल कर रही है. यह देश के लोकतांत्रिक ढांचे और सामाजिक सौहार्द के लिए घातक है.” उन्होंने प्रस्ताव रखा कि सभी धर्मनिरपेक्ष दलों का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल असम का दौरा करे और वहां की जमीनी हकीकत का जायजा लेकर तथ्यों को देश-दुनिया के सामने रखे.
इस पर सांसदों ने एकमत से सहमति जताई. ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सांसद ई. टी. बशीर ने कहा कि यदि सभी धर्मों और समुदायों के सांसदों और बुद्धिजीवियों का एक संयुक्त दल असम जाए, तो इसका गहरा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों को जवाब देने के लिए समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों को मिलकर रणनीति बनानी चाहिए.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि “यह सिर्फ मुस्लिमों का मुद्दा नहीं है, बल्कि तमाम वंचित और कमजोर तबकों पर अत्याचार का दौर चल रहा है. हम सबको एकजुट होकर देश को सांप्रदायिकता के ज़हर से बचाना होगा.”
वहीं समाजवादी सांसद हरिंदर मलिक ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक गोलवलकर का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान में वही विचारधारा हावी है, जिसमें अल्पसंख्यकों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गई है. उन्होंने जमीअत की ऐतिहासिक भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि संगठन हमेशा पीड़ितों के साथ खड़ा रहा है.
टीएमसी सांसद नदीमुल हक ने असम और बंगाल में बंगाली भाषी मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं को लेकर चिंता जताई और कहा कि “यह एक सुनियोजित हमला है, जो असहमति की आवाज़ को दबाने के लिए किया जा रहा है.”
सांसद अब्दुल समद समदानी ने जमीअत को देश की "नैतिक संपत्ति" बताया और उसके नेतृत्व को "राष्ट्र के विवेक की आवाज़" करार दिया.जियाउर रहमान बर्क ने नफरत के खिलाफ एक संगठित आंदोलन चलाने की आवश्यकता बताई और कहा कि “अब केवल सड़कों पर नहीं, अदालतों में भी मजबूती से लड़ना होगा.”
उन्होंने संभल में जमीअत द्वारा पीड़ितों की मदद को याद करते हुए कहा कि यह संगठन ज़मीन पर काम करने वाला सच्चा प्रतिनिधि है.मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने असम की तुलना फ़िलिस्तीन से करते हुए कहा कि वहां भी घरों से लोगों को उठाया जा रहा है और पुलिस उन्हें मैरिज हॉल व रिसॉर्ट्स में ले जाकर प्रताड़ित कर रही है. उन्होंने कहा कि “यह केवल स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि हमारे देश के लोकतांत्रिक चरित्र और अंतरराष्ट्रीय छवि का सवाल है.”
आज़ाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने वर्तमान दौर को “वैचारिक युद्ध” की संज्ञा दी और कहा कि “हिंदुत्व की राजनीति से टकराना केवल मुस्लिमों का काम नहीं है, यह पूरे लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है. हमें रेत में मुंह छिपाने के बजाय सच के साथ खड़ा होना होगा.”
किशनगंज से सांसद मोहम्मद जावेद ने कहा कि “देश में जो हिंदू-मुस्लिम की राजनीति हो रही है, उसका सबसे बड़ा नुकसान दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को हो रहा है. यह लड़ाई केवल मुस्लिमों की नहीं, पूरे समाज की है.”
कांग्रेस सांसद ईसा खान चौधरी ने कहा कि संविधान देश के हर नागरिक को देश के किसी भी कोने में बसने की गारंटी देता है, तो फिर बंगाली मुसलमानों को किस आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है?
ओडिशा से राज्यसभा सांसद मुजीबुल्लाह खान ने अपने राज्य की घटना साझा करते हुए बताया कि एक मुस्लिम लड़की को ज़िंदा जलाने की कोशिश की गई. “आज वह दिल्ली के एम्स में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है.” उन्होंने राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था और सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मियां अल्ताफ लारवी ने कहा कि “चाहे वह असम हो या फिलिस्तीन, सरकार की नीतियां देश की साख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुँचा रही हैं.” लक्षद्वीप के सांसद मुहम्मद हमदुल्ला सईद ने बताया कि उनके द्वीप में मुसलमानों को निशाना बनाया गया, मदरसे बंद किए गए और अरबी भाषा पाठ्यक्रम से हटाई गई, लेकिन जनता के विरोध से यह प्रयास विफल हुआ.
राज्यसभा सांसद हारिस बीरन ने न्यायपालिका को लोकतंत्र की सबसे बड़ी उम्मीद बताते हुए कहा कि सभी मसलों को कानूनी रूप से चुनौती देने की ज़रूरत है. इमरान प्रतापगढ़ी और इकरा हसन समेत कई सांसदों ने जमीअत द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का समर्थन किया और असम दौरे के प्रस्ताव को तत्काल अमल में लाने की अपील की.
कार्यक्रम में मौजूद अन्य प्रमुख सांसदों में सहारनपुर से इमरान मसूद, अबू ताहिर खान, आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी, डीएमके सांसद मुहम्मद अब्दुल्ला, अब्दुल वहाब, राज्यसभा सांसद जेबी माथुर और श्रीजी कुमार नाइक शामिल रहे.
इस अवसर पर मौलाना शब्बीर अहमद नदवी सहित जमीअत उलमा-ए-हिंद के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित थे. पूरी शाम एक स्वर था — सांप्रदायिकता और नफ़रत के खिलाफ आवाज़ उठानी है, एकजुट होकर संघर्ष करना है, और न्याय की लड़ाई में कोई समझौता नहीं करना है.