पाक अधिकृत कश्मीर में उच्च शिक्षा के अवसरों में आई गिरावटः रिपोर्ट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
पाक अधिकृत कश्मीर में उच्च शिक्षा के अवसरों में आई गिरावटः रिपोर्ट
पाक अधिकृत कश्मीर में उच्च शिक्षा के अवसरों में आई गिरावटः रिपोर्ट

 

 

इस्लामाबाद.एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा के लिए कुल उपेक्षा ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उच्च अध्ययन के अवसरों को कम कर दिया है. पीओके के प्रधान मंत्री, सरदार तनवीर इलियास खान ने हाल ही में स्कूल छोड़ने वालों खासकर लड़कियों की उच्च दर के बारे में खेद व्यक्त किया है. एशियन लाइट इंटरनेशनल द्वारा उद्धृत सियासत अखबार में एक संपादकीय के अनुसार, खान के दावे का जवाब दिया कि कैसे बेरोजगार युवाओं को उग्रवाद में पाला जा रहा है, जो शासक वर्ग को इस्लामाबाद पदानुक्रम के संघीय स्तर पर ‘राजनीतिक बढ़त’ देता है.

अखबार यह भी नोट करता है कि सरदार खान की चिंता विश्वविद्यालयों की क्षमता के प्रति अविश्वास है जबकि पीओके में शैक्षणिक स्तर आश्चर्यजनक रूप से कम है. अखबार के अनुसा, ‘‘हम शिक्षा केवल कुछ पाने के लिए लेते हैं, देने के लिए नहीं.’’

संपादकीय में यह कहा गया है कि विश्वविद्यालयों पर सारा दोष मढ़ना अनुचित है क्योंकि उनका राजनीतिक सहारा के रूप में उपयोग किया जा रहा है. नतीजतन, वे अपने कार्यों को उतनी प्रभावी ढंग से नहीं कर सकते जितना उन्हें करना चाहिए. संपादकीय उच्च शिक्षा के सबपर मानकों पर उपहास करता है, ‘‘हमारे समाज में, सरकारी नौकरी और आय प्राप्त करना ही शिक्षा का एकमात्र लक्ष्य है. जो दुनिया में योगदान करने की क्षमता रखते हैं, वे आज के समाज में सम्मानित हैं. देश या समुदाय के बारे में तो भूल ही जाइए, हमारे विश्वविद्यालयों में शोध का स्तर भी नहीं है.’’

सारगर्भित टिप्पणी करते हुए लेखक कहता है, ‘‘पीएचडी, एमफिल और एमए डिग्री धारक सरकारी नौकरी पाने के लिए मैट्रिक पास मंत्रियों के पास आते रहते हैं. नौकरी करने वाले और नौकरी देने वाले में बड़ा अंतर होता है. यहां हर कोई नौकरी पाना चाहता है.’’

दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार के बावजूद, ‘हम अभी भी केवल व्यक्तित्वों पर अध्ययन कर रहे हैं.’ इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि ‘विश्वविद्यालय डिग्री देने के कारखानों में विकसित हो गए हैं.’ एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आविष्कार में निपुण देश न केवल दुनिया को सुविधाएं दे रहे हैं, बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था पर हावी होने के अलावा अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं.’

यह अधिकांश पाकिस्तानी विश्वविद्यालयों के मामले में नहीं है, जहां मानक निम्न स्तर के हैं और महत्वपूर्ण अध्ययन विषयों की अनदेखी की जाती है. एशियन लाइट इंटरनेशनल के अनुसार, लेखक का यह भी दावा है, ‘‘हमारी सरकारें इन कॉलेजों को उच्च मानकों और शोध के लिए आवश्यक धन नहीं दे रही हैं. शैक्षिक प्रणाली अनुरूपतावादी है और छात्रों को प्रश्न पूछने और पूछताछ करने के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय अनुरूपता को बढ़ावा देती है. बहुमत अब दावा करता है कि प्रोफेसर अपने प्रदर्शन के कारण इतनी अधिक आय अर्जित करते हैं. हमारे कॉलेजों के मानकों के विरुद्ध लोगों के तर्क मान्य हैं, और यदि लोगों की स्थिति पर विचार किया जाता है, तो गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण है.’’

लेखक का तर्क है कि विश्वविद्यालयों को राजनीतिक हॉटस्पॉट के बजाय शिक्षण और सीखने के स्थान बने रहना चाहिए, यह कहते हुए कि ‘‘यह आवश्यक है कि सभी विश्वविद्यालय आवश्यक मानक प्राप्त करें और वे किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप या प्रभाव से मुक्त हों और उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं.’’ लेखक ने आगाह किया है कि ‘‘मास्टर्स अपने हाथों में भीख के कटोरे के रूप में डिग्री लेकर भीख मांगते हुए निकलेंगे.’’

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