वॉशिंगटन (अमेरिका)
अमेरिका के व्हाइट हाउस ट्रेड एडवाइज़र पीटर नवारो ने बुधवार को भारत की रूसी तेल खरीद को लेकर कड़ी आलोचना की। नवारो ने कहा कि भारत को एक लोकतंत्र की तरह आचरण करना चाहिए और अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ खड़ा होना चाहिए, न कि "सत्तावादी ताकतों" के साथ।
ब्लूमबर्ग टेलीविज़न के कार्यक्रम बैलेंस ऑफ पावर में दिए इंटरव्यू में नवारो ने दावा किया कि भारत की रूसी तेल खरीद अप्रत्यक्ष रूप से मॉस्को के युद्ध प्रयासों को सहारा देती है और इससे अमेरिका पर यूक्रेन को आर्थिक मदद देने का बोझ बढ़ता है।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अमेरिका ने बुधवार को भारतीय निर्यात पर कुल 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। भारत ने इस कदम को "अनुचित और अस्वीकार्य" करार दिया।
नवारो ने भारत को निशाना बनाते हुए कहा:"भारतीय इतने अहंकारी हो गए हैं। कहते हैं कि हमारी संप्रभुता है, हमसे कोई नहीं तय करेगा कि हम तेल किससे खरीदें। लेकिन याद रखो—भारत, तुम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हो। ठीक है? तो लोकतंत्र की तरह बर्ताव करो और लोकतांत्रिक देशों का साथ दो।"
भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रूस से ऊर्जा खरीद के मामले में केवल भारत को अलग-थलग करना "अनुचित" है, जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ स्वयं रूस से माल का आयात जारी रखे हुए हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी जवाबी बयान में याद दिलाया कि पहले अमेरिका ने ही भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाज़ार स्थिर हो सके।
नवारो ने भारत-चीन संबंधों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा:"आप उन सत्तावादियों के साथ खड़े हो रहे हैं, जिन्होंने दशकों से आपकी जमीन पर कब्जा किया है। ये आपके दोस्त नहीं हैं।"
इसी बीच, चीन के राजदूत शु फेइहोंग ने भारत के साथ खड़े होने की पेशकश करते हुए कहा कि "चुप्पी या समझौता केवल गुंडागर्दी को बढ़ावा देता है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी रूस से तेल खरीदने पर भारत को दंडित करते हुए भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की। अब कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया है, जो अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले सबसे ऊंचे शुल्कों में से एक है।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा:"भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि उसका बड़ा हिस्सा खुले बाज़ार में बेचकर मुनाफा कमा रहा है। उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि यूक्रेन में कितने लोग रूस की युद्ध मशीन से मारे जा रहे हैं।"
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोपीय देशों ने रूसी तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है, लेकिन एशियाई देश—खासकर भारत, चीन और तुर्की—मॉस्को के सबसे बड़े ग्राहक बने हुए हैं।
वहीं, अमेरिकी हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के डेमोक्रेट्स ने ट्रंप के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि केवल भारत को टारगेट करना "अमेरिकियों को नुकसान पहुँचाना और अमेरिका-भारत संबंधों को बिगाड़ना" है।
कमेटी ने सवाल उठाया:"जब चीन और अन्य देश भारत से कहीं अधिक मात्रा में रूसी तेल खरीद रहे हैं, तो सिर्फ भारत पर टैरिफ क्यों? लगता है मामला यूक्रेन का कम और किसी और कारण का ज़्यादा है।"