पाक अधिकृत कश्मीर के नाम पर अमेरिका में मांग रहे भीख

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 19-09-2022
पाक अधिकृत कश्मीर के नाम पर अमेरिका में मांग रहे भीख
पाक अधिकृत कश्मीर के नाम पर अमेरिका में मांग रहे भीख

 

वाशिंगटन. एक तरफ मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है, वहीं दूसरी तरफ आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तानी सरकार, अमेरिका और यूरोप में अपने लिए लॉबी नहीं जुटा पा रही है. ऐसे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के नेता और कारोबारी अमेरिका के अलग-अलग शहरों में रैलियां कर रहे हैं और खुलेआम पीओके के लोगों के लिए प्रवासियों से चंदा और अन्य मदद की गुहार लगा रहे हैं. इन मुलाकातों में कश्मीर की बात कम और पाकिस्तान की बात ज्यादा होती है. नतीजतन, भारत से अमेरिका जाने वाले कश्मीरी युवक इन बैठकों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.

पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में, वाशिंगटन डीसी में पाकिस्तान बिजनेस फोरम, पीओके द्वारा कश्मीर पर एक चर्चा का आयोजन किया गया था. एनआरआई कश्मीरियों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन गुलाम नबी फई जैसे एक या दो अलगाववादियों को छोड़कर कोई कश्मीरी युवा शामिल नहीं हुए, जिन्होंने भारत सरकार का विरोध करना जारी रखा.

दूसरी ओर, सभी नेता पीओके के नागरिकों द्वारा किए गए बलिदानों का उल्लेख करते हुए हाल ही में कश्मीर पर एक चर्चा में पाकिस्तान के बड़े कारोबारियों और पीओ सरदार जुल्फिकार खान, सरदार जरीफ खान, सरदार जुबैर खान और इरफान तसादेक खान के नेताओं ने हिस्सा लिया.

वक्ताओं ने प्रवासी कश्मीरियों के सामने पीओके के इन नामों को रोल मॉडल के तौर पर रखने की कोशिश की. उसके बाद कश्मीरी युवक ने सवाल उठाया कि जम्मू-कश्मीर के अंदर आपके साथ कौन है? विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. उसके बाद बैठक में गुलाब नबी फई ने हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी और यासीन मलिक की गैरमौजूदगी का जिक्र किया और एक तरह से मजबूरियां बताने लगे. हर बार पांच नाम लेने के बाद भी वह कोई नया चेहरा और नई समस्या नहीं बता सके.

विदेशों में बैठकर कश्मीर को समस्या बता रहे इन वरिष्ठ अलगाववादियों को प्रवासी कश्मीरी युवा ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं. अधिकांश युवा अब अमेरिकी नागरिक हैं और उन्होंने वहां जीवन जीने का अपना तरीका अपनाया है. इसके अलावा पाकिस्तानी युवा कश्मीर के नाम पर बने संगठनों की तारीफ सुनने को तैयार नहीं हैं.

इसका एक उदाहरण अमेरिका में ही एक ईद सभा के दौरान देखने को मिला. दरअसल वहां कश्मीरी परिवारों को ईद मिलन के नाम से बुलाया गया था. कई परिवार छोटे बच्चों के साथ भी आए. शुरुआती बैठक के बाद जैसे ही पीओके के नेताओं ने भारत विरोधी भाषण देना शुरू किया, कई परिवार अपने बच्चों के साथ तुरंत वहां से चले गए. कुछ युवाओं ने जम्मू-कश्मीर अवेयरनेस फोरम जैसे संगठनों पर नाराजगी जताई.