बलूच लोग पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं: नवाब असलम रईसानी, पूर्व सीएम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-12-2024
Baloch women protest
Baloch women protest

 

क्वेटा. बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रांतीय विधानसभा के वर्तमान सदस्य नवाब असलम रईसानी ने कहा है कि बलूच लोगों का बहुमत पाकिस्तान से आजादी का समर्थन करता है. एक बयान में, रईसानी ने बलूच राष्ट्र को तीन अलग-अलग गुटों में विभाजित बताया. बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘बलूच लोगों का एक बड़ा हिस्सा स्वतंत्रता का समर्थक है और सक्रिय रूप से राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए प्रयास कर रहा है.’’

रायसानी ने कहा कि दूसरे समूह में राज्य प्रतिष्ठान से जुड़े लोग शामिल हैं, जो व्यक्तिगत हितों और सत्ता की इच्छा से प्रेरित हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह गुट मौजूदा व्यवस्था के प्रति वफादार रहता है, जो राष्ट्रीय आकांक्षाओं पर सत्ता को प्राथमिकता देता है.’’

रायसानी ने कहा कि तीसरे गुट में राष्ट्रवादी दल शामिल हैं जो संघ के भीतर स्वायत्तता और संसाधन नियंत्रण की वकालत करते हैं. हालांकि, उन्होंने इस समूह को कमजोर और सीमित प्रभाव वाला बताया. उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा परिस्थितियों में, इन राष्ट्रवादी संसदीय दलों ने अपना महत्व खो दिया है.’’

30 नवंबर को बलूच यखजेती समिति ने बलूच युवाओं के लगातार गायब होने के मुद्दे को उजागर किया. बीवाईसी ने एक्स पर अपने बयान में कहा. ‘‘बलूचों के जबरन गायब होने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे पीड़ितों और उनके परिवारों पर गंभीर असर पड़ रहा है और सामूहिक पीड़ा हो रही है. पिछले कुछ दिनों से सुरक्षा बलों ने कई लोगों को गायब कर दिया है, जिनमें से 11 को दर्ज किया गया है. उनका विवरण इस प्रकार है - उथल बाजार से बलाच, बयान, नासिर और गुलाब बलूच, लासबेला विश्वविद्यालय के छात्र. असकानी बाजार, तुर्बत, केच से निसार बलूच और सलीम बलूच. जेवानी, ग्वादर से फकीर मुहम्मद, दाद मुहम्मद और दुर्जन बलूच. कराची से परवेज समद, सिद्दीक अहमद. राज्य और उसके अधिकारियों ने बलूच नरसंहार को आगे बढ़ाने और प्रतिरोध को कुचलने के लिए जबरन गायब होने की घटनाओं को तेज कर दिया है. हर जगह बलूच राज्य के लिए एक लक्ष्य बन गए हैं.’’

27 नवंबर को, बीवाईसी ने दिल जान बलूच के परिवार के साथ अवारन में एक धरना शिविर का आयोजन किया, जिसे 22 जून, 2024 को जबरन गायब कर दिया गया था. सेमिनार के दौरान, बीवाईसी के नेता सम्मी दीन बलूच और दिल जान के परिवार के सदस्यों सहित अन्य वक्ताओं ने बलूच लोगों की मौजूदा दुर्दशा पर प्रकाश डाला. उन्होंने पिछले आश्वासनों को पूरा करने में राज्य की विफलता की निंदा की.

वक्ताओं ने बलूच लोगों के खिलाफ राज्य के निरंतर युद्ध अपराधों की निंदा की. उन्होंने श्रोताओं को दशकों से चली आ रही पीड़ा की याद दिलाई, जिसमें प्रियजनों के क्षत-विक्षत शवों को वापस करना और जबरन गायब किए जाने की दैनिक खबरें शामिल हैं. सेमिनार का समापन एक शानदार संदेश के साथ हुआरू उत्पीड़न, धमकियाँ और परिवहन अवरोध बलूच लोगों के न्याय के संघर्ष को रोक नहीं पाएंगे.