एनएसए अजित डोभाल: भारत की निर्णायक आतंकवाद-रोधी रणनीति के शिल्पकार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-05-2025
NSA Ajit Doval: The architect of India's decisive counter-terrorism strategy
NSA Ajit Doval: The architect of India's decisive counter-terrorism strategy

 

banarjiअरित्रा बनर्जी

22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक की दर्दनाक मौत हुई, ने भारत सरकार से त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की मांग की. नई दिल्ली की प्रतिक्रिया थी ‘ऑपरेशन सिंदूर’—पाकिस्तान की सरहद के भीतर गहराई तक की गई एक सुनियोजित सैन्य कार्रवाई, जिसने आतंकी ढांचों को ध्वस्त कर दिया और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल की रणनीतिक सूझबूझ और निर्णायक नेतृत्व को फिर से उजागर किया.

डोभाल की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति उनके दशकों के खुफिया अनुभव पर आधारित है—चाहे वह पंजाब में उग्रवाद का दौर रहा हो, कश्मीर में गोपनीय अभियान या 1999 में कंधार विमान अपहरण जैसी जटिल स्थितियां.

उनकी प्रसिद्ध रणनीतिक सोच “आक्रामक प्रतिरक्षा” (Offensive Defence) पूर्व-निर्धारित कार्रवाई, सक्रिय लक्ष्य साधना और परमाणु युद्ध की सीमा से नीचे रहकर कठोर जवाबी कार्रवाई को प्राथमिकता देती है. यही स्पष्ट रणनीतिक सोच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की योजना का आधार बनी.

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता कोई संयोग नहीं थी. इससे पहले गहन खुफिया तैयारी की गई थी—आतंकी शिविरों के लेआउट, निर्माण, स्थलाकृतिक परिस्थितियों और संरचना का विस्तृत विश्लेषण किया गया.

सवाई नाला, मुरिदके और बहावलपुर जैसे क्षेत्रों को लेकर की गई इस तैयारी में डोभाल की यह गहरी मान्यता झलकती है कि ठोस रणनीति की नींव हमेशा भरोसेमंद और क्रियाशील खुफिया जानकारी पर टिकी होनी चाहिए.

इस ऑपरेशन के दौरान कई शीर्ष आतंकवादी नेताओं को मार गिराया गया, जिनमें मुरिदके स्थित लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर मु़दस्सिर खडियान खास, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का रणनीतिक प्रमुख हाफिज मुहम्मद जमी़ल और अफगानिस्तान से हथियारों की तस्करी के लिए कुख्यात खालिद अबू अकाशा शामिल हैं.

इन प्रमुख आतंकियों का उनके अड्डों पर ही खात्मा डोभाल की इस रणनीति को दर्शाता है कि केवल आतंक की विचारधारा पर बात करने से नहीं, बल्कि ठोस ठिकानों पर निर्णायक वार करके ही सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीतिक सफलता का असर युद्धक्षेत्र से परे भी दिखाई दिया. पाकिस्तान की सेना और उसकी आतंकी साजिशों के बीच की साठगांठ खुलकर सामने आ गई जब मुरिदके में मारे गए आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तान की IV कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज़ हुसैन शाह, 11वीं इंफैंट्री डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल राव इमरान सर्जत और पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. उस्मान अनवर जैसे वरिष्ठ अधिकारी खुलेआम मौजूद थे.

यह तथ्य वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की डोभाल की रणनीति से मेल खाता है.ऑपरेशन के बाद की तत्परता भी डोभाल के नेतृत्व की विशेष पहचान रही है.

ऑपरेशन के तुरंत बाद भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के रामनगर, नौशेरा और मीरन साहिब में पाकिस्तान से आए कई ड्रोन को मार गिराया. यह डोभाल की ड्रोन और निगरानी क्षमता पर वर्षों से दी जा रही प्राथमिकता का परिणाम था, जिसने भारत की सीमा सुरक्षा को और मजबूत किया.

डोभाल के कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) को अभूतपूर्व सशक्तिकरण प्राप्त हुआ. 2019 में इसे विधिक अधिकार और कैबिनेट-स्तर की हैसियत मिली, जिससे यह भारत की रणनीतिक धड़कन बन गया.

डोभाल ने अनुभव और युवा नेतृत्व के संतुलन को ध्यान में रखते हुए, भारत के पहले अतिरिक्त एनएसए रजिंदर खन्ना और उप-एनएसए टीवी रविचंद्रन और पवन कपूर को नियुक्त किया.

साथ ही, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह भी सिद्ध किया कि डोभाल विभिन्न सुरक्षा क्षेत्रों को एकीकृत कर समन्वित रणनीति बनाने में कितने सक्षम हैं. रक्षा योजना समिति (DPC) में उनके नेतृत्व ने विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत किया, जिससे पाकिस्तान और चीन से एकसाथ पैदा होने वाले खतरों का प्रभावी मुकाबला संभव हो सका.

अजित डोभाल की रणनीतिक दृष्टि और संचालन में सटीकता, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से स्पष्ट रूप से सामने आई, न केवल भारत की तात्कालिक सुरक्षा को सुदृढ़ करती है, बल्कि भविष्य की रणनीतियों के लिए भी ठोस दिशा प्रदान करती है.

बदलते खतरों के बीच, भारत आज आत्मविश्वास से सुरक्षित खड़ा है—अजित डोभाल जैसे दूरदर्शी और रणनीतिक रूप से प्रवीण राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की बदौलत.

लेखक परिचय
अरित्रा बनर्जी रक्षा, विदेश नीति और एयरोस्पेस मामलों के पत्रकार हैं. वे The Indian Navy @75: Reminiscing the Voyage पुस्तक के सह-लेखक हैं. उन्होंने टीवी, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में कार्य किया है. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रणनीतिक मामलों पर नियमित लेखन करते रहे हैं. उनका रिपोर्टिंग अनुभव कश्मीर जैसे संघर्षग्रस्त क्षेत्रों तक फैला हुआ है.
ट्विटर: @Aritrabanned