अमेरिका एक बार फिर यूनेस्को से अलग होगा, इजराइल विरोधी बयानबाजी को बताया वजह

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 23-07-2025
America will once again separate from UNESCO, citing anti-Israel rhetoric as the reason
America will once again separate from UNESCO, citing anti-Israel rhetoric as the reason

 

पेरिस

अमेरिका ने मंगलवार को घोषणा की कि वह संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से एक बार फिर अलग हो रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया कि यूनेस्को की नीतियाँ और उसके हालिया कदम देश के राष्ट्रीय हित के अनुरूप नहीं हैं, और यह संगठन इजराइल विरोधी बयानबाजी को बढ़ावा देता है।

गौरतलब है कि यह निर्णय अमेरिका के पुनः सदस्य बनने के केवल दो साल बाद आया है। वर्ष 2018 में डोनाल्ड ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान अमेरिका यूनेस्को से बाहर हो गया था, लेकिन 2023 में जो बाइडन प्रशासन ने दोबारा इसमें शामिल होने की पहल की थी।

इजराइल विरोधी एजेंडे का आरोप

अमेरिका के विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बयान जारी कर कहा, “यूनेस्को का विभाजनकारी सामाजिक और सांस्कृतिक एजेंडा हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है। विशेष रूप से फलस्तीन राज्य को सदस्य देश के रूप में मान्यता देने का निर्णय हमारी नीति के विपरीत है और इससे इजराइल विरोधी बयानबाजी को बढ़ावा मिला है।”

यह फैसला दिसंबर 2026 के अंत से प्रभावी होगा। यह तीसरी बार होगा जब अमेरिका पेरिस मुख्यालय वाली यूनेस्को एजेंसी से बाहर निकलेगा। ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका दूसरी बार इससे अलग हुआ था और 2023 में ही दोबारा लौटा था।

यूनेस्को महानिदेशक की प्रतिक्रिया

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने अमेरिकी फैसले पर गहरा खेद जताया। उन्होंने कहा, “हमें इस निर्णय का अफसोस है, लेकिन यह अप्रत्याशित नहीं था। हमने इसकी तैयारी कर रखी थी।” अजोले ने यूनेस्को पर इजराइल विरोधी पूर्वाग्रह के सभी आरोपों को खारिज किया।

बजट पर पड़ेगा असर

अमेरिका यूनेस्को के बजट में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। हालांकि, हाल के वर्षों में एजेंसी ने अपने वित्तीय स्रोतों को विविध किया है। वर्तमान में अमेरिकी योगदान कुल बजट का मात्र 8 प्रतिशत है। अजोले ने कहा कि संसाधन कम होने के बावजूद एजेंसी अपने मिशन को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी कर्मचारी की छंटनी की योजना नहीं है।

अमेरिका का यूनेस्को से इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका यूनेस्को से अलग हो रहा है। 2011 में फलस्तीन को सदस्य देश के रूप में शामिल करने के बाद अमेरिका और इजराइल ने संगठन को वित्तीय सहायता बंद कर दी थी। रीगन प्रशासन के दौरान भी अमेरिका एक बार यूनेस्को से अलग हुआ था।

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में 2017 में यूनेस्को से बाहर निकलने की घोषणा की थी, जो 2018 में प्रभावी हुई। इसके बाद, 2023 में बाइडन प्रशासन ने पांच साल की अनुपस्थिति के बाद अमेरिका को दोबारा इस वैश्विक संस्था का हिस्सा बनाया।